नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ अधिकारी और किसान नेता “स्थिति को जटिल बनाने के लिए गैर-जिम्मेदार बयान दे रहे हैं।”
कोर्ट ने पंजाब के अधिकारियों की आलोचना की और कहा कि वे मीडिया में यह गलत जानकारी फैला रहे हैं कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के अनशन को तोड़ने के “प्रयास किए जा रहे हैं।” बता दें कि दल्लेवाल 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं।
पंजाब के मुख्य सचिव से सोमवार तक हलफनामा दाखिल करने को कहा
कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि उसको 20 नवंबर को यह निर्देश दिया गया था कि दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता दे और अस्पताल में भर्ती करें। अदालत ने छह जनवरी तक इस आदेश की पालन की स्थिति जानने के लिए एक तारीख तय की। पंजाब के मुख्य सचिव से सोमवार तक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कभी दल्लेवाल के अनशन को तोड़ने का आदेश नहीं दिया, बल्कि उसकी चिंता उनके स्वास्थ्य को लेकर थी। पंजाब सरकार ने इस पर जवाब दिया कि दल्लेवाल को बिना अनशन तोड़े चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने का प्रयास किया जा रहा है।
किसानों ने जगजीत सिंह दल्लेवाल के चारों ओर कड़ा सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार को दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के आदेश को लागू करने के लिए तीन और दिन दिए, लेकिन राज्य के केंद्र को इस मुद्दे में शामिल करने के प्रयास पर कोई ध्यान नहीं दिया।
28 दिसंबर को पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि दल्लेवाल के चारों ओर किसानों ने सुरक्षा घेरा बना लिया है, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती करने में समस्या आ रही है, क्योंकि बल प्रयोग से नुकसान हो सकता है।
कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई और कहा कि एक जीवन बचाने के लिए और अधिक जीवन नहीं खो सकते। साथ ही, केंद्र को किसानों से बातचीत में शामिल करने की राज्य की कोशिशों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।