अफगानिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के लिए हालात हर गुजरते दिन के साथ मुश्किलों भरे होते जा रहे हैं। हाल में उसकी कई सैन्य चौकियों को निशाना बनाया गया है। पिछले हफ्ते शनिवार और रविवार को भी अफगानिस्तान सुरक्षा बलों द्वारा कुछ इलाकों में भारी गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं। कुछ पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने और कई अन्य के घायल होने की भी खबर है। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक अफगानिस्तान बलों की गोलीबारी की कार्रवाई को कमतर करके दिखाने की कोशिश की है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों ओर के अधिकारियों ने भारी हथियारों के इस्तेमाल सहित छिटपुट लड़ाई की रिपोर्टों की पुष्टि की है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत और अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत को अलग करने वाली सीमा पर सीमा बलों के बीच रात भर गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं। अफगानिस्तान बलों की ओर से कार्रवाई का कारण अफगान क्षेत्र में पिछले हफ्ते पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) के जेट विमानों द्वारा की गई हवाई बमबारी थी। पाकिस्तानी जेट विमानों का निशाना तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) लड़ाकों के ठिकाने थे।
अफगानिस्तान की ओर से ताजा गोलीबारी तालिबान अधिकारियों के इस आरोप के बाद हुई कि पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत में सीमा के पास हवाई हमलों में 46 से अधिक लोगों को हताहत किया। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। पाकिस्तान की ओर से एयर स्ट्राइक मंगलवार को किया गया था। दूसरी ओर, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि अफगान क्षेत्र के अंदर हमलों को अंजाम देने के लिए पीएएफ जेट का इस्तेमाल किया गया था।
पाकिस्तान के तालिबान पर आरोप
इस साल यह दूसरी बार है जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान क्षेत्र के अंदर स्थित तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) शिविरों को निशाना बनाने के लिए पीएएफ लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया है। पाकिस्तान बार-बार सार्वजनिक बयान देता रहा है कि टीटीपी ने अफगानिस्तान के अंदर पनाहगाह बनाया हुआ हैं। इनमें से ज्यादातर ठिकाने खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के करीब स्थित हैं। पाकिस्तानी सेना अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का भी आरोप लगाती रही है।
दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान अक्सर तालिबान सरकार पर आरोप लगाता रहा है कि वह टीटीपी को आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए अपने क्षेत्र यानी अफगान जमीन का इस्तेमाल करने देता है। ये हमले पाकिस्तान के लिए एक गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं क्योंकि उसकी सेना को पश्चिमी मोर्चे पर तैनात रहना पड़ रहा है। इससे पहले, पाकिस्तान अपने पश्चिमी मोर्चे पर अफगानिस्तान के साथ लगने वाली सीमा पर बहुत खास सुरक्षा इंतजाम नहीं रखता था। पाकिस्तान अपने अधिकांश सैन्य संसाधनों को भारत के साथ पूर्वी मोर्चे पर तैनात रखता रहा है।
पाकिस्तान की उम्मीदों को तालिबान से झटका
पाकिस्तान सरकार 15 अगस्त, 2021 को अफगान तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद उसे बधाई देने वाली पहली सरकार थी। उसे उम्मीद थी कि वह भारत के खिलाफ हमले करने के लिए अफगानिस्तान क्षेत्र का उपयोग कर सकेगा। हालांकि, उम्मीदों के उलट अफगान तालिबान ने भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश की है, जिससे पाकिस्तान को काफी निराशा हुई है।
दो दशकों से अधिक समय से भारत के खिलाफ विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में जेहाद छेड़ने के लिए पाकिस्तान अपने द्वारा तैयार किए गए लड़ाकों को तैनात करता रहा था। प्रारंभिक चरण में, 1990 की शुरुआत में और उसके बाद कुछ वर्षों तक पाकिस्तान प्रशिक्षित अफगान और पाकिस्तानी लोगों की भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ कराता रहा। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के उस सबसे हिंसक दौर में पाकिस्तान का हाथ था और अफगानों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि अफगान धरती से पाकिस्तान में ‘आतंकवादी हमले’ हो रहे हैं। बयान में कहा गया कि आतंकवादी समूहों को अफगान क्षेत्र के भीतर बेलगाम तरीके से काम करने के लिए ‘सुरक्षित ठिकाने, समर्थन और स्वतंत्रता’ दी जा रही है।
पाकिस्तानी सेना की चेतावनी…
पाकिस्तान के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के प्रमुख और मुख्य सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने रावलपिंडी में एक पत्रकारों से कहा कि पाकिस्तान आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, ‘सेना प्रमुख का स्पष्ट और दृढ़ रुख है कि पाकिस्तान को अफगान धरती से सक्रिय प्रतिबंधित संगठनों की सुरक्षित पनाहगाहों, सुविधा और अनियंत्रित गतिविधियों पर चिंता है।’
उन्होंने कहा कि पहली बार अफगानिस्तान पर स्पष्ट और व्यापक नीति बनी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यथास्थिति अब पाकिस्तान को स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘अफगानिस्तान को फितना अलखवारिज की बजाय पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को चुनना होगा।’ यह व्यापक रूप से माना जाता है कि तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) कैडर खैबर पख्तूनख्वा के बड़े हिस्से में सक्रिय हैं और अफगानिस्तान के निकटवर्ती सीमावर्ती इलाकों में उनके अड्डे हैं। पाकिस्तानी ब्रीफिंग में, टीटीपी नाम का उल्लेख ‘फितना खवारिज’ के रूप में किया गया।
आईएसपीआर का यह बयान इस्लामाबाद और काबुल के बीच बढ़े तनाव के बीच आया है। विदेश कार्यालय ने गुरुवार को पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास आतंकवादियों के खिलाफ खुफिया सूचना पर आधारित एक ऑपरेशन की पुष्टि की। हालांकि, इस बात का उल्लेख करने से परहेज किया कि यह ऑपरेशन अफगानिस्तान की सीमा के अंदर किया गया था। इसमें यह भी उल्लेख नहीं किया गया कि अफगान क्षेत्र के अंदर इन हमलों को अंजाम देने के लिए विमान का उपयोग किया गया था।
अफगान रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान की कार्रवाई के खिलाफ जवाबी हमले की खबरों पर एक्स पर कहा था कि पाकिस्तानी सीमा के पार ‘कई बिंदु’ जहां से अफगानिस्तान में हमले आयोजित किए गए थे, उन्हें जवाबी कार्रवाई में निशाना बनाया गया।
इमरान खान के जिक्र पर क्या बोली पाक सेना?
वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान की पाकिस्तान की अफगान नीति की आलोचना का उल्लेख करते हुए एक सवाल उठाया, जिसमें सुझाव दिया गया कि मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
इसके जवाब में आईएसपीआर प्रमुख ने कहा, ‘पाकिस्तान पिछले दो वर्षों से अफगान की अंतरिम सरकार के साथ बातचीत कर रहा है और उनसे सीधे तौर पर अपनी धरती का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होने से रोकने के लिए कह रहा है।’