ढाका: बांग्लादेश ने पाकिस्तान की सेना के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश की सेना को प्रशिक्षण देगी। यह ट्रेनिंग फरवरी 2025 से शुरू होगी। यह ट्रेनिंग बांग्लादेश की सेना के अधिकारियों को दी जा सकती है।
इस समझौते को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतिम रूप दिया गया है। 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के बाद यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच ऐसा समझौता हुआ है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेनिंग बांग्लादेश की मैमनसिंह छावनी में होगी, जो सेना के प्रशिक्षण और सिद्धांत मुख्यालय का केंद्र है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी, संभवतः मेजर जनरल रैंक के, इन प्रशिक्षण सत्रों का नेतृत्व कर सकते हैं।
दावा है कि दोनों देशों के बीच इस सहयोगात्मक समझौते की पहल पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल एस. शमशाद मिर्जा ने की थी। पहला प्रशिक्षण मॉड्यूल एक साल तक चलने की संभावना है।
उधर बांग्लादेश के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर-ISPR) ने भारतीय मीडिया आउटलेट आनंदबाजार (ऑनलाइन) द्वारा शुक्रवार को प्रकाशित इससे संबंधित एक रिपोर्ट की कड़ी निंदा की है।
रिपोर्ट का शीर्षक था, “53 साल बाद हार चुकी पाक सेना फिर बांग्लादेश लौट रही है।” शनिवार को जारी बयान में आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट को भ्रामक और बेबुनियाद बताया।
बांग्लादेश की आजादी के बाद वहां बढ़ी भारत-विरोधी भावना
इस समझौते से बांग्लादेश सेना के भीतर भारत विरोधी भावना के फिर से उभरने की आशंका जताई जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ था, तब उसकी सेना में पाकिस्तानी-प्रशिक्षित अधिकारी बड़े पदों पर तैनात थे।
इन अधिकारियों के कारण उस समय दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ा था और भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिला था। लेकिन जब स्वतंत्र बांग्लादेश में जन्मे और अवामी लीग के कार्यकाल के दौरान प्रशिक्षित युवा अधिकारी सेना के बड़े पदों पर तैनात हुए, तो समय के साथ भारत विरोधी भावना में कमी आई। अब, अगर पाकिस्तानी सेना फिर से बांग्लादेश के अधिकारियों को प्रशिक्षण देती है, तो यह चिंता फिर से बढ़ सकती है।
बांग्लादेश में मौजूदा शासन ने अवामी लीग और शेख हसीना के करीबी माने जाने वाले सैन्य नेताओं को निशाना बनाया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
आईएसपीआर ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर क्या कहा है
बांग्लादेश अखबर ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, शनिवार को आईएसपीआर ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारतीय मीडिया द्वारा किए गए इस रिपोर्ट को तैयार करने से पहले बांग्लादेश सेना से कोई टिप्पणी या स्पष्टीकरण नहीं लिया गया था। आईएसपीआर ने लेख की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
बता दें कि शुक्रवार को भारतीय मीडिया आउटलेट आनंदबाजार (ऑनलाइन) द्वारा एक रिपोर्ट पेश की गई थी। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि 53 साल बाद, पाकिस्तानी सेना फिर से बांग्लादेश की जमीन पर कदम रखेगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि रावलपिंडी की सेना, ढाका सेना को प्रशिक्षण देने के बहाने बांग्लादेश में सैनिकों को भेज रही है।
आईएसपीआर ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश सेना अन्य देशों की सशस्त्र सेनाओं के साथ नियमित रूप से अच्छे संबंध रखती है और आपसी समझ बढ़ाने के लिए छात्र आदान-प्रदान और प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है।
हालांकि, बांग्लादेश ने पाकिस्तानी सेना के किसी भी प्रशिक्षण दल को बांग्लादेश भेजने की योजना से इंकार किया और भारतीय मीडिया की रिपोर्ट को “निराधार और वास्तविकता से परे” बताया।
आईएसपीआर ने यह भी कहा कि बांग्लादेश सेना अपनी जरूरतों के आधार पर विभिन्न देशों से गोला-बारूद खरीदती है और इस तरह के संवेदनशील रक्षा मुद्दों पर इस रिपोर्ट को “अवांछनीय, अनावश्यक और आक्रामक” करार दिया।
यही नहीं, बांग्लादेश सेना ने पारदर्शिता और सटीक जानकारी के प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और मीडिया से विशेष रूप से संवेदनशील मामलों पर रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी सत्यापित करने का अनुरोध किया।