न्यूयॉर्कः अमेरिका के राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वे ‘एच-1बी’ वीजा प्रोग्राम में पूरा विश्वास रखते हैं। उन्होंने इस संबंध में योग्य पेशेवरों के खिलाफ उठ रही आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके कई समर्थकों और टेस्ला सीईओ एलन मस्क के बीच आव्रजन नीतियों को लेकर मतभेद देखने को मिले हैं।
ट्रंप ने शनिवार को न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “यह एक बेहतरीन प्रोग्राम है। मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहे हैं, मैं हमेशा इनके पक्ष में रहा हूं। यही वजह है कि मेरी संपत्तियों पर भी ‘एच-1बी’ वीजा का उपयोग किया गया है।” ट्रंप ने आव्रजन प्रणाली को सुधारने की बात दोहराई, ताकि इसे योग्यता आधारित बनाया जा सके, जैसा कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में अपनाया गया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले विदेशी छात्रों को उनके डिप्लोमा के साथ ग्रीन कार्ड मिलना चाहिए। ट्रंप ने कहा, “मैं चाहता हूं कि जब आप कॉलेज से स्नातक हों, तो आपके डिप्लोमा के हिस्से के रूप में आपको अमेरिका में रहने के लिए स्वचालित रूप से ग्रीन कार्ड मिले।”
श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति पर विवाद
एच-1बी वीजा और उच्च-योग्यता वाले व्यक्तियों के आव्रजन को लेकर विवाद तब बढ़ा जब ट्रंप ने भारतीय अप्रवासी श्रीराम कृष्णन को अपना एआई सलाहकार नियुक्त किया। इस पर ट्रंप समर्थक लॉरा लूमर ने आपत्ति जताई। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति से मैं बेहद परेशान हूं।”
लूमर ने दावा किया कि कृष्णन ग्रीन कार्ड की संख्या पर सभी पाबंदियों को हटाने के पक्षधर हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डेविड सैक्स, जिन्हें ट्रंप ने क्रिप्टो और एआई मामलों का प्रभारी नियुक्त किया है, ने स्पष्टीकरण दिया कि कृष्णन ने केवल विभिन्न देशों को दिए जाने वाले ग्रीन कार्ड की सीमा में सुधार की बात कही थी, जबकि समग्र सीमा को बरकरार रखा गया था।
मस्क और एच-1बी का समर्थन
एलन मस्क ने भी एच-1बी वीजा का समर्थन करते हुए एक्स पर लिखा था, “एच-1बी वीजा ने अमेरिका को स्पेसएक्स, टेस्ला और अन्य सैकड़ों कंपनियों के निर्माण में मदद की है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने में विफल रहा, तो वह पीछे रह जाएगा।
उन्होंने कहा, “सर्वोत्तम इंजीनियरिंग प्रतिभा की हमेशा से कमी रही है। यह सिलिकॉन वैली का सबसे बड़ा बाधक है।” मस्क ने आगे लिखा कि अगर आप दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को दूसरे पक्ष के लिए खेलने के लिए मजबूर करते हैं तो अमेरिका हार जाएगा और आलोचकों को चुनौती देते हुए पूछा कि क्या वे अमेरिका को जीतते या हारते देखना चाहते हैं। हालांकि, ट्रंप के रणनीतिकार स्टीव बैनन ने ‘एच-1बी’ को लेकर मस्क पर हमला करते हुए इसे अमेरिकी श्रमिकों के खिलाफ कदम बताया और मस्क को “टॉडलर” कहकर संबोधित किया।
एच-1बी वीजाः भारतीयों का वर्चस्व
एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय रहे हैं। पिछले साल, कुल वीजा का 72.3 प्रतिशत भारतीयों को प्रदान किया गया। गौरतलब है कि अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने के लिए आवश्यक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों की संख्या में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, सीमित कोटा के कारण इन आवेदनों को मंजूरी मिलने में वर्षों लग जाते हैं।
अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी यूएससीआईएस (USCIS) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 तक 10 लाख से अधिक भारतीय ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा सूची में थे। इमिग्रेशन नियमों के तहत, हर साल जारी किए जाने वाले 1,40,000 ग्रीन कार्ड पर प्रत्येक देश के लिए अधिकतम 7% की सीमा निर्धारित है।
इस नियम का सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय और चीनी पेशेवरों पर पड़ता है, क्योंकि ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों में इन दोनों देशों के आवेदकों की संख्या अन्य देशों के मुकाबले कई गुना अधिक होती है। परिणामस्वरूप, भारतीय और चीनी पेशेवरों को अक्सर लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिससे उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर योजनाएं प्रभावित होती हैं।