नई दिल्ली: भारत सरकार ने हाल ही में टेलीफोन उपभोक्ताओं को साइबर अपराध से जागरूक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दूरसंचार विभाग ने सभी टेलीफोन ऑपरेटरों को आदेश दिया है कि वे तीन महीने तक अपने ग्राहकों को प्रतिदिन 8 से 10 बार साइबर अपराध जागरूकता कॉलर ट्यून बजाएं।
यह कॉलर ट्यून विशेष रूप से गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, और इसके माध्यम से उपभोक्ताओं को साइबर अपराध के प्रति जागरूक किया जाएगा।
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को तुरंत आदेश का पालन करने का निर्देश
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 दिसंबर को जारी इस आदेश के अनुसार कॉलर ट्यून अभियान के तहत कॉलर ट्यून या रिंग बैक टोन के रूप में यह संदेश लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे पहले उपभोक्ताओं को फोन करने से पहले की आवाज (प्री-कॉल अनाउंसमेंट) के रूप में यह चेतावनी दी जाएगी।
खबर के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है। खासकर उन नए घोटालों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जो अब बढ़ रहे हैं। इनमें डिजिटल गिरफ्तारी जैसी धोखाधड़ी शामिल हैं, जहां साइबर अपराधी खुद को पुलिस या न्यायाधीश के रूप में प्रस्तुत करते हुए पीड़ितों से पैसे वसूलते हैं।
आदेश में यह भी कहा गया है कि साइबर अपराध से संबंधित विभिन्न कॉलर ट्यून तीन महीने की अवधि के लिए साप्ताहिक आधार पर उपलब्ध कराई जाएंगी। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) से आदेश के तुरंत पालन करने का आग्रह किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोग साइबर अपराध के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें और वे धोखाधड़ी से बच सकें।
यह प्रणाली केंद्र सरकार और दूरसंचार कंपनियों ने मिलकर बनाई है
केंद्र सरकार और दूरसंचार कंपनियों ने मिलकर एक नई प्रणाली तैयार की है, जिससे भारत में आने वाली अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स की पहचान की जा सके और उन्हें ब्लॉक किया जा सके।
इन कॉल्स में साइबर अपराधी भारत में पुलिस या सरकारी अधिकारी बनने का नाटक करते हैं और लोगों से पैसे लूटने की कोशिश करते हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट, फेडएक्स घोटाला और अन्य धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया।
इसके अलावा, पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट की है कि 15 नवंबर तक केंद्र ने 6.69 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,32,000 IMEI नंबर को ब्लॉक किया है। इस कदम से साइबर अपराधियों की गतिविधियों पर कड़ी रोक लगाई जा रही है, और लोगों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक किया जा रहा है।