वाशिंगटनः अमेरिका में करियर बनाने का सपना देखने वाले कुशल विदेशी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा एक महत्वपूर्ण जरिया है। हाल के वर्षों में इस वीजा कार्यक्रम में अस्वीकृति दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे विदेशी कर्मचारियों और अमेरिकी कंपनियों को राहत मिली है।
वित्त वर्ष 2024 में प्रारंभिक रोजगार के लिए एच-1बी वीजा याचिकाओं की अस्वीकृति दर घटकर मात्र 2.5% रह गई, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह दर 3.5% थी। जो बाइडन के राष्ट्रपति काल में यह सकारात्मक प्रवृत्ति बनी हुई है, लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में एच-1बी वीजा धारकों सहित आप्रवासियों के लिए सख्त कानून और नियम आने की संभावना जताई जा रही है।
ट्रंप प्रशासन में बढ़ सकती है अस्वीकृति दर
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) की रिपोर्ट ‘H-1B Petitions and Denial Rates in FY2024’ के अनुसार, ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में एच-1बी वीजा की अस्वीकृति दर में काफी वृद्धि हुई थी। वित्तीय वर्ष 2015 में यह दर 6% थी, जो 2018 में 24% और 2020 में 30% तक पहुंच गई थी। जबकि बाइडन कार्यकाल में इसमें काफी गिरावट दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2022 में यह 2.2% और वित्तीय वर्ष 2024 में 2.5% रही।
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने आव्रजन पर कई सख्त नीतियां लागू की थीं, जिनमें एच-1बी वीजा कार्यक्रम की कड़ी जांच और सीमित करने वाले प्रावधान शामिल थे। एच-1बी वीजा के तहत हर साल नए आवेदनों की सीमा 85,000 है, जिसमें 65,000 सामान्य कोटे के लिए और 20,000 अमेरिकी उन्नत डिग्री धारकों के लिए होते हैं।
एच-1बी वीजा की अहमियत और भारतीय नागरिकों की हिस्सेदारी
एच-1बी वीजा अमेरिका में तकनीक, स्वास्थ्य, शिक्षा और निर्माण जैसे प्रमुख उद्योगों में कुशल विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने में बेहद अहम भूमिका निभाता है। वित्तीय वर्ष 2024 में 30,000 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियों ने शुरुआती रोजगार के लिए एच-1बी वीजा आवेदन को मंजूरी दिलाई।
इस साल सबसे ज्यादा 49.1% वीजा पेशेवर, वैज्ञानिक और तकनीकी सेवाओं में जारी किए गए। इसके बाद 11.9% शैक्षिक सेवाओं, 9.3% निर्माण क्षेत्र, और 6.5% स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मंजूर हुए। कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और वर्जीनिया जैसे राज्यों में एच-1बी वीजा आवेदन को सबसे अधिक मंजूरी मिली।
गौरतलब बात है कि एच-1बी वीजा धारकों में भारतीय नागरिकों की बड़ी हिस्सेदारी रही। वित्तीय वर्ष 2023 में 386,000 वीजा में से 72.3% भारतीय नागरिकों को जारी किए गए। जबकि चीन इस मामले में पीछे रहा। 11.7% चीनी नागरिकों को ही यह वीजा प्रदान किया गया।
प्रमुख कंपनियों ने एच-1बी वीजा आवेदन में कमी की
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 में कुछ प्रमुख कंपनियों ने अपने एच-1बी वीजा आवेदन में कमी की। उदाहरण के तौर पर, अमेजन ने 3,871 वीजा दिए, जो 2023 में 4,052 और 2022 में 6,396 थे। इन्फोसिस, टीसीएस, गूगल और आईबीएम जैसी कंपनियों ने भी वीजा आवेदन में कमी की।
टेस्ला ने दिखाई बढ़तः एलोन मस्क की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला ने एच-1बी वीजा के मामले में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई। वित्तीय वर्ष 2024 में टेस्ला ने 742 वीजा प्रायोजित किए, जो 2023 में 328 और 2022 में 337 थे। टेस्ला की यह प्रगति उसकी निर्माण, शोध और विकास से जुड़ी जरूरतों को दर्शाती है।
एच-1बी वीजा से जुड़ी लागत और वेतनः NFAP की रिपोर्ट के अनुसार, एच-1बी वीजा धारकों के लिए कंप्यूटर और गणितीय व्यवसायों में औसत वार्षिक वेतन $132,000 (1,11,94,855.80 रुपए ) और औसत वेतन $122,000 ( 1 करोड़ 34 लाख) है। एच-1बी आवेदन और विस्तार प्रक्रिया पर नियोक्ताओं को 29 लाख से ज्यादा खर्च करना पड़ता है। एच-1बी वीजा कार्यक्रम भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी उद्योगों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बना हुआ है। लेकिन ट्रंप प्रशासन की नीतियों के प्रभाव से इसके भविष्य पर नए सवाल खड़े हो रहे हैं।