ढाका: बांग्लादेश ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को इंटरनेट आपूर्ति के लिए देश को ट्रांजिट पॉइंट बनाने का समझौता रद्द कर दिया है। यह फैसला बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) ने अंतरिम सरकार के तहत लिया है।
बांग्लादेशी मीडिया ‘डेली स्टार’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस डील के तहत, बांग्लादेश के अखौरा बॉर्डर से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को इंटरनेट बैंडविड्थ सिंगापुर से उपलब्ध कराया जाना था।
इसके लिए दो कंपनियां, समिट कम्युनिकेशंस और फाइबर@होम, भारती एयरटेल के माध्यम से सेवाएं देने वाली थीं। समिट कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष मुहम्मद फरीद खान अवामी लीग के प्रमुख सदस्य फारुक खान के भाई हैं और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय के करीबी माने जाते हैं।
भारत के लिए क्यों जरूरी था यह समझौता?
भारत के पूर्वोत्तर राज्य वर्तमान में चेन्नई से 5,500 किलोमीटर लंबी फाइबर ऑप्टिक केबल के जरिए इंटरनेट प्राप्त करते हैं। दूरी अधिक होने से इंटरनेट की गति धीमी हो जाती है। बांग्लादेश के साथ समझौते से भारत के लिए इंटरनेट तेज और सस्ता हो सकता था। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्वोत्तर के विकास के दृष्टिकोण को और मजबूत करने वाला था।
बांग्लादेश ने क्यों रद्द कर दिया समझौता?
खबर के मुताबिक, बीटीआरसी के अध्यक्ष एम. इमदाद उल बारी ने कहा कि दिशानिर्देश इस तरह की “ट्रांजिट” व्यवस्था की अनुमति नहीं देते। यह भी तर्क दिया गया कि इस समझौते से बांग्लादेश केवल ट्रांजिट पॉइंट बनकर रह जाता और खुद को इंटरनेट हब के रूप में स्थापित करने की संभावनाएं कम हो जातीं।
बांग्लादेश इंटरनेट गवर्नेंस फोरम के अध्यक्ष अमीनुल हकीम ने कहा कि यह समझौता भारत को मजबूत बनाता और बांग्लादेश के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों जैसे मेटा, गूगल और अमेजन का कंटेंट हब बनने की संभावना घटा देती।
इस घटनाक्रम के बीच सोमवार को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेश का दौरा किया। यह शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत है।
उधर, अंतरिम सरकार के दौरान बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहतर हो रहे हैं। इसमें वीजा नियमों में रियायत और सीधी उड़ानें शुरू करने जैसे कदम शामिल हैं।