दाश्मिकः सीरिया संकट लगातार गहराता जा रहा है। सीरियाई विद्रोहियों ने शनिवार को दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा कर लिया, जो 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ शुरू हुए विद्रोह का केंद्र था। यह एक हफ्ते के भीतर असद की सेना द्वारा गंवाया गया चौथा बड़ा शहर है। विद्रोही सूत्रों के अनुसार, दारा में सीरियाई सेना ने संगठित तरीके से पीछे हटने पर सहमति जताई, जिसमें सैन्य अधिकारियों को राजधानी दमिश्क (लगभग 100 किमी उत्तर) तक सुरक्षित पहुंचने की गारंटी दी गई।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में विद्रोहियों को मोटरसाइकिलों पर और स्थानीय निवासियों के साथ जश्न मनाते हुए देखा गया। दारा के मुख्य चौक पर हवाई फायरिंग करते हुए भीड़ को खुशी जाहिर करते हुए दिखाया गया।हालांकि, सीरियाई सेना और असद सरकार की ओर से इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई।
🇸🇾El ejército sirio ha perdido en un sólo día toda la provincia de Daraa, en el sur del país. Se han visto vídeos de militares huyendo a pié de Daraa, que está a poco más de 100 kilómetros de Damasco. pic.twitter.com/ehdHyzJBue
— Niporwifi © (@niporwifi) December 6, 2024
पिछले सप्ताह सीरिया में विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ अचानक हमला शुरू कर दिया था। और अबतक चार शहरों पर कब्जा कर लिया है। दारा पर नियंत्रण असद सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह शहर, जहां कभी 1 लाख से अधिक लोग रहते थे, सीरियाई विद्रोह के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। दारा पर कब्जे के बाद शुक्रवार देर रात विद्रोहियों ने दावा किया कि उन्होंने केंद्रीय शहर होम्स के बाहरी इलाके तक पहुंच बना ली है। होम्स, दमिश्क और भूमध्यसागरीय तट के बीच एक महत्वपूर्ण क्रॉसिंग है।
होम्स पर कब्जे की तैयारी
यदि विद्रोही होम्स पर कब्जा कर लेते हैं, तो यह असद की अल्पसंख्यक अलवाइट समुदाय के गढ़ों और उनके रूसी सहयोगियों के नौसैनिक व हवाई ठिकानों से राजधानी दमिश्क का संपर्क काट देगा। विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में गठबंधन ने होम्स में असद सरकार के प्रति वफादार बलों से अलग होने की अपील की है।
इस बीच, हजारों नागरिक होम्स से लताकिया और टार्टस जैसे सरकारी गढ़ों की ओर पलायन कर गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका समर्थित कुर्द गठबंधन ने शुक्रवार को देश के पूर्वी रेगिस्तान में स्थित सरकारी गढ़ देइर अल-जोर पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा, विद्रोही पहले ही अलेप्पो और हमा पर कब्जा कर चुके हैं।
सीरिया का बदलता परिदृश्य
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, 2011 से 2021 तक सीरिया के संघर्ष में 3,05,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने शुक्रवार को तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान से बातचीत की, जिसमें सीरिया में विद्रोहियों की बढ़त के बीच राजनीतिक समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग ने सीरिया में मौजूद अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने की सलाह दी है। विभाग ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक सुरक्षा अलर्ट में कहा कि “सुरक्षा की स्थिति लगातार अस्थिर है और सशस्त्र समूहों के बीच सक्रिय झड़पें जारी हैं।”
ईरान और रूस के सहयोग में कमी: असद सरकार के लिए नया संकट
गौरतलब है कि राष्ट्रपति असद ने रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह जैसे प्रमुख सहयोगियों की मदद से देश के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण हासिल किया था। लेकिन हाल के महीनों में ये सहयोगी विभिन्न संकटों के कारण कमजोर हो गए हैं, जिससे सुन्नी मुस्लिम विद्रोहियों को फिर से लड़ने का मौका मिल गया है। हालांकि हिजबुल्लाह के एक करीबी सूत्र ने एएफपी को शनिवार बताया कि समूह ने सीरिया के एक हिस्से में 2,000 लड़ाके भेजे हैं। और अभी तक सीरियाई विद्रोहियों के साथ किसी भी लड़ाई में भाग नहीं लिया है।
बता दें कि इजराइल के साथ बढ़ते तनाव और अमेरिका के खुलकर इजराइल का समर्थन करने के चलते ईरान की स्थिति कमजोर हो गई है। लंबे समय से सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहे ईरान को अब अपने क्षेत्रीय हितों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ रहा है। वहीं, ईरान समर्थित हिजबुल्लाह, जो असद सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए अपने लड़ाकों को सीरिया भेजता था, इजराइली हमलों के कारण अपनी सैन्य ताकत गंवा चुका है। यह कमजोरी असद सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हो रही है।
दूसरी ओर, रूस ने हाल के दिनों में सीरिया में विद्रोही गुटों पर हवाई हमले तेज़ किए हैं। हालांकि, यूक्रेन के साथ जारी युद्ध ने रूस की सैन्य और आर्थिक क्षमता को प्रभावित किया है। इसका असर सीरिया में उसकी सक्रियता और प्रभावशीलता पर साफ देखा जा सकता है। इस हालात में, असद सरकार को अपने पारंपरिक सहयोगियों से मिलने वाले समर्थन में कमी का सामना करना पड़ रहा है। यह विद्रोही गुटों के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है और सीरिया के गृहयुद्ध को एक नया मोड़ दे सकता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने शुक्रवार को सीरिया से अपने सैन्य अधिकारियों और कर्मियों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। क्षेत्रीय और ईरानी अधिकारियों के मुताबिक, यह असद को सत्ता में बनाए रखने की ईरान की अक्षमता का संकेत है। एचटीएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि विद्रोहियों का यह अभियान असद सरकार को खत्म करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, “यह अभियान दुश्मन की रीढ़ तोड़ चुका है।”
भारत सरकार की यात्रा सलाह
इस्लामी विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को सीरिया को लेकर एक यात्रा सलाह जारी की। एडवाइजरी में भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से बचने की कड़ी हिदायत दी गई है। मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “सीरिया में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सीरिया की यात्रा से बचें।” मंत्रालय के मुताबिक सीरिया में 90 भारतीय नागरिक हैं जो कई संस्थानों से जुड़े हुए हैं और काम कर रहे हैं। भारतीय दूतावास उनसे निरंतर संपर्क में है।
उधर, रूस और जॉर्डन ने शुक्रवार को अपने नागरिकों से सीरिया छोड़ने की अपील की। चीन ने भी अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। चीन ने सीरिया में रहने वाले अपने नागरिकों को जल्द से जल्द सीरिया छोड़ने की सलाह दी है।