कोलकाता: बांग्लादेश में बेनापोल लैंड पोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) से जुड़े 63 से अधिक सदस्यों को रविवार रोक दिया गया। इन्हें भारत आना था लेकिन इसकी अनुमति बांग्लादेश के अधिकारियों की ओर से नहीं दी गई। इस्कॉन, कोलकाता के एक प्रवक्ता ने यह दावा किया है।
इस बीच निगाहें आज बांग्लादेश की शीर्ष अदालत पर हैं जहां हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को पेश किया जाना है। सम्मिलितो सनातनी जगरन जोत के नेता दास को बांग्लादेश पुलिस ने 25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद अगले दिन, चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
वैध वीजा और दस्तावेज, फिर भी नहीं मिली इजाजत: इस्कॉन
बहरहाल, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस्कॉन, कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा, ‘हमें खबर मिली कि शनिवार और रविवार को 63 या उससे भी अधिक ब्रह्मचारी बांग्लादेश की ओर के बेनापोल सीमा पर आए थे। उन सभी के पास वैध वीजा था और वे भारत में प्रवेश करना चाहते थे। हालाँकि, बांग्लादेश के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि भारत उनके लिए सुरक्षित नहीं है और उन्हें भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा क्यों है? वैध वीजा वाले लोगों को बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है। अल्पसंख्यकों और हमारे भिक्षु-ब्रह्मचारियों पर लगातार हो रहे अत्याचार के बाद वे सभी डरे हुए हैं और दहशत में हैं। उनमें से कुछ के पास वीजा था और वे भारत आना चाहते थे। हम सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम चिन्मय कृष्ण दास के लिए भी प्रार्थना कर रहे हैं जिन्हें आज एक बार फिर अदालत में पेश किया जाएगा।’ इस्कॉन के अनुसार, 54 भिक्षु शनिवार को बांग्लादेश के लैंड पोर्ट बेनापोल पहुंचे और रविवार दोपहर तक नौ और भिक्षु पहुंचे।’
बांग्लादेश ने इस्कॉन के आरोपों पर क्या कहा?
बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन द्वारा लगाए गए नए आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बांग्लादेश की ओर से पहले कहा जा चुका है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को ‘गलत’ समझा गया है। बांग्लादेश ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी कुछ ठोस आरोपों पर आधारित है और देश में अल्पसंख्यकों पर सुनियोजित तरीके से हमले के आरोप गलत हैं।
वहीं, बांग्लादेश के अंग्रेजी दैनिक डेली स्टार ने बेनापोल-पेट्रापोल इमिग्रेशन चेकपोस्ट के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइया के हवाले से कहा, ‘हमने पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से उन्हें अनुमति नहीं देने के आदेश मिले।’
इससे पहले समूह के कई सदस्यों को शनिवार रात से सीमा चौकी पर इंतजार करने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि वे वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भारत जा रहे थे, लेकिन रविवार को उन्हें वापस भेज दिया गया। अधिकारियों ने इस कदम का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है।
‘इस्कॉन सदस्य धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने आ रहे थे भारत’
इस्कॉन के सदस्यों में से एक सौरभ तपंदर चेली ने मीडिया को बताया, ‘हम भारत में एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया।’
भारत की तरफ पेट्रापोल में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) का उद्घाटन जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रूप से किया था।
बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा गंभीर हमले हो रहे हैं।
इस सप्ताह चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी आगजनी, लूटपाट, चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं तथा मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)