मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुती गठबंधन को मिली बड़ी सफलता के बाद अब नजरें मुख्यमंत्री पद पर टिक गई हैं। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस बीच सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें आई हैं कि अजित पवार के एनसीपी खेमे ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को लेकर समर्थन जताया है।
अजित पवार ने रविवार को अपने आवास पर नवनिर्वाचित एनसीपी विधायकों के साथ एक बैठक बुलाई, जहां उन्होंने कथित तौर पर फड़नवीस के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट यानी शिवसेना के अंदर से भी ऐसी खबरें हैं वे अपने स्टैंड यानी सीएम कुर्सी पर कायम रहना चाहते हैं।
कुल मिलाकर एकनाथ शिंद को लेकर भी संशय बरकरार है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि एकनाथ शिंदे ने ‘लाडली बहन’ योजना का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया है, जिसे महाराष्ट्र में महायुति की शानदार चुनावी सफलता के प्रमुख कारणों में गिना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शिंदे इस योजना को अपने दिमाग की उपज बता रहे हैं।
अजित पवार क्यों दे रहे फड़नवीस को समर्थन?
सूत्रों के मुताबित शिवसेना (तब एकजुट) जब एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल हुई और 2019 में सरकार बनी, उस समय से ही अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के बीच संबंध में कड़वाहट रही है।
बताया यह भी जाता है कि साल 2022 में शिवसेना में विभाजन की रूपरेखा और एकनाथ शिंदे की अपने तत्कालीन बॉस उद्धव ठाकरे से बगावत के पीछे एक वजह अजीत पवार को राज्य प्रशासन में तब महत्वपूर्ण अधिकार देना भी शामिल है।
उन दिनों में मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में ठाकरे की कम उपस्थिति ने अजीत पवार को नौकरशाही पर हावी होने का मौका दिया। ऐसा कहा जाता है कि इससे एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच मनमुटाव पैदा हो गया। इसके बाद आखिरकार एकनाथ शिंदे को विधायकों के एक बड़े समूह के साथ पार्टी से अलग होना पड़ा और 2022 में भाजपा के साथ सरकार बनानी पड़ी।
इसके बाद अजीत पवार ने भी अपने चाचा शरद पवार से बगावत की और पिछले साल उनसे अलग होकर एनसीपी का अपना अलग गुट बनाते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन में शामिल हो गए। अजित पवार के गठबंधन में शामिल होने से शिंदे सहज नहीं थे।
शिंदे या फड़नवीस…कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर अंतिम फैसला शिंदे की शिवसेना, एनसीपी (अजित पवार) और बीजेपी आलाकमान के वरिष्ठ नेताओं की संयुक्त बैठक के बाद ही लिया जाएगा। इन सबके बीच भाजपा के प्रदर्शन ने फड़नवीस के लिए राह जरूर थोड़ी आसान कर दी है। भाजपा की सीटें सबसे ज्यादा हैं तो अंदरखाने से उन्हें कुर्सी सौंपने की भी आवाजें उठ रही हैं।
महाराष्ट्र के चुनाव में भाजपा ने अपना वर्चस्व दिखाते हुए 132 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने गठबंधन के तहत 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। इसके उलट विपक्ष में कांग्रेस को सिर्फ 16 सीटों पर जीत हासिल हुई। शिवसेना (यूबीटी/उद्धव टाकरे) 20 और एनसीपी (एसपी) 10 सीटों पर सिमट कर रह गई।