नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी ने भारत को उन एक हजार भारतीयों की लिस्ट सौंपी है जिनकी अघोषित सम्पत्तियाँ विभिन्न खाड़ी देशों में स्थित हैं। इन परिसम्पत्तियों का कुल मूल्य वर्ष 2011 में लीक हुए स्विटजरलैंड के HSBC बैंक स्थित अघोषित खातों से भी ज्यादा होने का अनुमान है।
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी और भारत के बीच दोहरा कराधान बचाव समझौता (डीटीएए) के तहत यह डेटा शेयर किया गया है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि भारतीयों के अघोषित संपत्तियों के संबंध में यह जानकारियां जर्मनी के हाथ में कैसे लगी है।
दावे के मुताबिक, दुबई और अन्य संयुक्त अरब अमीरात के शहरों में इस तरह की संपत्तियां रखने वाले करीब एक हजार भारतीयों की संपत्तियों की जानकारी डेटा में शामिल है।
दुबई प्रॉपर्टी बाजार और यूएई प्रशासन की बढ़ी चिंता
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह डेटा भारतीय आयकर (आई-टी) विभाग तक पहुंचा है जिस संबंध में मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोच्चि और अहमदाबाद सहित 14 शहरों में जांच और नोटिस भेजे गए हैं।
इसके मुताबिक, नोटिस के खबर ने दुबई प्रॉपर्टी बाजार और संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों को कथित तौर पर परेशान कर दिया है। वहीं कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर स्पष्टता मांगी है कि आखिर जर्मन अधिकारियों को इतना ‘संवेदनशील’ डेटा कैसे हासिल हुआ है।
इस मामले में भारतीयों को विदेशी संपत्तियों में निवेश की सलाह देने वाले वकीलों और बड़े प्रॉपर्टी डीलरों से कुछ संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने कथित तौर पर संपर्क किया है और डेटा के जर्मनी के हाथ लगने पर पूछताछ की है।
रिपोर्ट के अनुसार, इससे जुड़े जानकारों ने कहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब विदेश में भारतीयों से जुड़ी संपत्तियों का विवरण आधिकारिक चैनलों के माध्यम से भारत तक पहुंचा है।
दावा है कि आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिसों से पहले ही पूछताछ शुरू हो चुकी है और संबंधित आयकर महानिदेशक (डीजीआईटी) कार्यालयों को जनवरी की शुरुआत तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को अपने जांज की रिपोर्ट सौंपने की संभावना जताई जा रही है।
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काले धन अधिनियम के तहत लग सकता है भारी जुर्माना
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को मिली डेटा के आधार पर साल 2015 के काले धन अधिनियम के तहत जांच शुरू की गई है।
काले धन अधिनियम के तहत, अगर कोई शख्स घोषित आय का इस्तेमाल कर संपत्तियां खरीदता है और आईटी फाइल के दौरान वह इसे रिपोर्ट करने में विफल रहता है तो इस केस में उसे केवल जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है।
लेकिन जो लोग अपनी अघोषित आय से संपत्ति खरीदते हैं तो इन पर भारी जुर्माना लगेगा। उन पर संपत्ति के मौजूदा बाजार मूल्य का 120-130 फीसदी तक कर और जुर्माना लग सकता है।