नई दिल्लीः पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में आतंकियों ने श्रमिकों के शिविर को निशाना बनाया था जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले की जांच के दौरान सुरक्षाबलों ने पाया कि हमले में आतंकियों ने घातक अमेरिकी राइफल्स एम4 कार्बन असॉल्ट का प्रयोग किया था। अखनूर में मुठभेड़ के दौरान भी आतंकवादियों के पास से अमेरिकी एम4 राइफल्स बरामद हुई थी। इस घातक अमेरिकी हथियार तक आतंकियों की पहुंच ने सुरक्षाबलों के सामने एक नई चुनौती पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि ये राइफल मुख्य रूप से अफगानिस्तान से लाई जा रही हैं जिन्हें 2021 में वापसी के दौरान अमेरिकी सेना छोड़ गई थी।
अफगानिस्तान के पूर्व खुफिया प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह की मानें तो अफगानिस्तान से 70,000 सैन्य उपकरण गायब हुए हैं जिनमें अधिकतर अमेरिकी निर्मित हथियार हैं। द प्रिंट के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता से बात करते हुए अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि आधिकारिक रूप से अफगानिस्तान से 70 हजार हथियार गायब हुए हैं। इनमें ज्यादातर अमेरिकी हथियार हैं। उन्होंने संकेत दिया कि ये हथियार पाकिस्तानियों के पास हैं।
अमरुल्लाह ने कहा कि उनके पास इसकी सूची है और इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 70 हजार हथियारों के गायब होने की आधिकारिक पुष्टि हुई है लेकिन अनाधिकारिक तौर पर कितने हथियार गायब हुए होंगे, आप सोच सकते हैं। अधिकतर हथियार पाकिस्तान भेजे गए हैं।
‘70,000, mostly US-made weapons are missing from Afghanistan,’ says former intel chief & ex-Vice President of the nation @AmrullahSaleh2, hints at Pakistanis having these weapons. Watch him in #ThePrintOTC with @ShekharGupta
Watch: https://t.co/e5MRaeraOJ pic.twitter.com/yImIOsGmnG
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) November 19, 2024
अफगानिस्तान में कितने छूटे सैन्य हथियार और विमान
सीएनएन ने अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि अमेरिका ने 2005 से अगस्त 2021 तक अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (ANDSF) को कुल 18.6 अरब डॉलर के उपकरण मुहैया कराए थे। लेकिन 30 अगस्त 2021 को अमेरिकी सेना की वापसी के बाद भी 7.12 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण अफगानिस्तान में रह गए। रिपोर्ट के अनुसार, इन उपकरणों में विमान, सैन्य वाहन, हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार, संचार उपकरण और अन्य सामग्री शामिल थी।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि अफगानिस्तान में रखे गए पांच Mi-17 हेलीकॉप्टर 2022 में औपचारिक रूप से यूक्रेन को सौंप दिए गए थे। ये हेलीकॉप्टर अमेरिकी वापसी से पहले ही रखरखाव के लिए यूक्रेन भेजे गए थे।
इसके अतिरिक्त, अफगानिस्तान के लिए खरीदी गई सामग्री में से अमेरिका ने यूक्रेन को “गैर-मानक हथियार” भी सौंप दिए थे। इनमें 37,000 हॉवित्जर राउंड, 15 मिलियन से अधिक बॉल राइफल गोला-बारूद, 99,000 से अधिक ग्रेनेड कारतूस, और 119,000 से अधिक मोर्टार राउंड शामिल थे। इन गोला-बारूद को राष्ट्रपति ड्रॉडाउन प्राधिकरण के तहत स्थानांतरित किया गया था।
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद अमेरिकी सेना ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 78 विमान छोड़ दिए थे। जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया था। इसके अलावा 40,000 सैन्य वाहन जिनमें 12,000 सैन्य हम्वे शामिल थे, अफगानिस्तान में ही रह गए थे।
रिपोर्ट में बताया गया कि 427,300 हथियारों में से 300,000 से अधिक हथियार वापसी के समय अफगानिस्तान में ही रह गए थे। 480 लाख डॉलर मूल्य के विशेष हथियार और गोला-बारूद का बड़ा हिस्सा और 9,524 हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार भी अफगानिस्तान में रह गए।
लगभग सभी संचार उपकरण, जिसमें बेस-स्टेशन, मोबाइल रेडियो, और एन्क्रिप्शन डिवाइस, नाइट विजन, निगरानी और बायोमेट्रिक उपकरण: लगभग 42,000 उपकरण भी वहीं छूटे। विस्फोटक निपटान और बारूदी सुरंग हटाने वाले 17,500 से अधिक उपकरण भी अफगानिस्तान में रह गए थे।
रक्षा विशेषज्ञों ने तब इस बात की चिंता जताई थी कि अमेरिकी सैन्य उपकरणों का इस तरह से अफगानिस्तान में छूट जाना, खासकर अत्याधुनिक हथियार और वाहन, गंभीर चिंता का विषय है।
M4 राइफल की खासियत
M4 राइफल एक हल्की, गैस-ऑपरेटेड, एयर-कूल्ड असॉल्ट राइफल है। इसकी खासियत यह है कि यह एक मिनट में 700 से 900 राउंड फायर कर सकती है। यह 500 से 600 मीटर तक सटीक निशाना साधने में सक्षम है, जबकि इसकी अधिकतम रेंज 3600 मीटर तक है। इसके अलावा, इसमें नाइट विजन जैसी सुविधाएं भी हैं, जो इसे और घातक बनाती हैं। इस राइफल का उपयोग विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी कमांडरों द्वारा किया गया है।
रिपोर्टों की मानें तो 2017 में पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भतीजे रशीद मसूद के एनकाउंटर के दौरान उसके पास से एम-4 राइफल बरामद हुई थी। 2018 में जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी कमांडर अबू तल्हा से बरामद की गई थी। इसके बाद अखनूर में मारे गए आतंकियों के पास से भी एम-4 राइफलें मिली थीं। पुंछ, राजौरी, कठुआ और राजौरी में हुए आतंकी हमलों में भी इन राइफलों के इस्तेमाल की पुष्टि हुई थी।
कश्मीर में अमेरिकी हथियार कैसे पहुँचे?
कश्मीर में मारे गये और पकड़े गये आतंकवादियों के पास से अमेरिकी एम-4 कार्बन असाल्ट राइफलों का बरामद होने के बाद से ये सवाल उठ रहे थे कि उनके पास मेड इन अमेरिका हथियार कैसे पहुँच गये! कश्मीरी आतंकवाद के जानकारों का दावा था कि ये वही हथियार हैं जो अमेरिका ने अफगानिस्तान में छोड़े थे। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा यह इशारा किये जाने के बाद कि अमेरिकी हथियार अफगानिस्तान से पाकिस्तान भेजे जा चुके हैं, इस बात को बल मिल रहा है कि अमेरिकी हथियार वाया पाकिस्तान कश्मीर पहुँच रहे हैं।
अभी तक अमेरिकी रक्षा विभाग या विदेश विभाग द्वारा इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है। भारत सरकार की तरफ से भी कश्मीर में बरामद अमेरिकी हथियारों के स्रोत पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गयी है।