नई दिल्ली: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने फेसबुक और व्हाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा पर 213 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना दरअसल व्हाट्सऐप पर प्राइवेसी पॉलिसी के दुरुपयोग की वजह से लगाया गया है। सीसीआई ने साथ ही व्हाट्सएप को पांच साल की अवधि के लिए मेटा के स्वामित्व वाले अन्य एप्लिकेशन के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए यूजर्स के डेटा को साझा नहीं करने का भी निर्देश दिया है।
सीसीआई ने मार्च 2021 में व्हाट्सएप की उस गोपनीयता नीति की जांच शुरू की थी, जिसमें फेसबुक और उसकी इकाइयों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति दी गई थी। सीसीआई ने कहा, ‘व्हाट्सएप पर एकत्र किए गए यूजर्स डेटा को व्हाट्सएप सेवा प्रदान करने के अलावा अन्य किसी उद्देश्य से मेटा कंपनियों के साथ साझा करने को भारत में व्हाट्सएप सेवा हासिल करने के लिए शर्त नहीं बनाई जाएगा।’
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जनवरी 2021 से व्हाट्सऐप ने यूजर्स को अपनी सेवा की शर्तों और गोपनीयता नीतियों के अपडेट के बारे में पहली बार बताया था। पूरा विवाद इसे ही लेकर है। इन सूचना में व्हाट्सऐप की ओर से कहा गया कि 8 फरवरी से यूजर्स को इस ऐप का इस्तेमाल जारी रखने के लिए एकत्र डेटा को अन्य मेटा कंपनियों के साथ साझा करने सहित कुछ अन्य शर्तों को स्वीकार करना आवश्यक है।
इससे पहले 2016 में व्हाट्सऐप की ओर से पिछली प्राइवेसी पॉलिसी में WhatsApp यूजर्स को यह तय करने का विकल्प दिया गया कि वे अपना डेटा फेसबुक के साथ साझा करना चाहते हैं या नहीं। जबकि 2021 में इसे सभी यूजर्स के लिए अनिवार्य कर दिया और विकल्प हटा दिये गए। ऐसे में यूजर्स को व्हाट्सऐप का उपयोग जारी रखने के लिए मजबूरन नई शर्तों को स्वीकार करना पड़ा। इसमें व्हाट्सपऐप के डेटा मेटा के अन्य ऐप के साथ साझा करना भी शामिल था।
सीसीआई ने जांच में पाया कि व्हाट्सऐप की ओर से ऐसी शर्तें अनुचित हैं। यह सभी यूजर्स को बिना किसी ऑप्ट आउट विकल्प के मेटा ग्रुप के सभी ऐप के साथ डेटा संग्रह और उसे साझा करने के लिए मजबूर करती है। सीसीआई के अनुसार मेटा (व्हाट्सऐप के जरिए) अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(आई) का उल्लंघन कर रही है।