इंफाल: मणिपुर के जिरीबाम जिले में एक ही परिवार से तीन महिलाओं और तीन बच्चों को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा सोमवार (11 नवंबर) को बंधक बनाए जाने के बाद तनाव के माहौल के बीच शुक्रवार को तीन महिलाओं के शव असम के सिलचर में एक मुर्दाघर में लाए गए।
एनडीटीवी के अनुसार मुर्दाघर में जिन सूत्रों ने शव देखे हैं, उन्होंने बताया कि शवों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। यह मुर्दाघर जिरीबाम से लगभग 50 किमी दूर सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसएमएचसी) में है। सूत्रों ने कहा कि शवों को शुक्रवार शाम 7 बजे मुर्दाघर में लाया गया। जिरीबाम शहर में उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण वहां भी मिलने वाले शवों का पोस्टमार्टम एसएमएचसी में ही किया जाता है।
मैतेई समुदाय की महिलाएं और बच्चे हुए थे अगवा
इससे पहले सोमवार को बंधक बनाए गए तीन बच्चों में एक नवजात और ढाई साल का बच्चा शामिल है। वहीं, तीन बंधक महिलाओं में दो छोटे बच्चों की मां भी शामिल हैं। ये सभी मैतेई समुदाय से हैं।
सूत्रों ने बताया कि जिरीबाम के बोरोबेकरा इलाके से संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के एक ग्रुप ने उनका अपहरण कर लिया था। जबकि उग्रवादियों के एक अन्य ग्रुप ने इसी इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैम्प पर हमला किया था। मुठभेड़ में दस संदिग्ध कुकी उग्रवादियों को मार गिराया गया।
मणिपुर में राज्य सरकार में निचले स्तर के कर्मचारी लाइशाराम हेरोजीत ने बुधवार को अपील की थी कि किसी भी समूह ने उनके परिवार को अगर बंधक बना रखा हो, तो उन्हें सुरक्षित रिहा कर दिया जाए। उन्होंने टीवी चैनल से कहा कि उनकी पत्नी के एक दोस्त ने उन्हें हथियारबंद लोगों द्वारा नाव पर ले जाते हुए देखा था। हेरोजीत ने बताया था कि उनकी पत्नी, दो बच्चे, सास, साली और उसके बच्चे को अगवा किया गया है।
जिरीबाम के बोरोबेकरा में सीआरपीएफ कैंप और पुलिस स्टेशन बराक नदी से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित हैं।हेरोजीत के अनुसार जब सोमवार को बोरोबेकरा में गोलीबारी और आगजनी हुई तो उन्हें अपनी पत्नी का फोन आया था। फोन हालांकि कट गया और जब उन्होंने वापस से फोन किया तो वो बंद आ रहा था।
होरेजीत के अनुसार, ‘वह फोन पर रो रही थी। उसने कहा कि वे बहुत सारे हथियारबंद लोगों से घिरे हुए हैं। कॉल कट गई, जिसके बाद मैंने उसे वापस फोन किया, लेकिन मोबाइल बंद था। मेरी सास का फोन भी बंद था। लगभग एक घंटे बाद, मेरी पत्नी की एक बंगाली दोस्त ने हमें बताया कि उसने उन्हें एक नाव में ले जाते हुए देखा था।’
कुकी जनजातियों के दावे पर सुरक्षा बलों का जवाब
इस बीच कुकी जनजातियों ने दावा किया है कि मुठभेड़ में मारे गए लोग ‘ग्रामीण स्वयंसेवक’ थे। इस आरोप का सीआरपीएफ और पुलिस सूत्रों ने खंडन किया है। सुरक्षा बलों ने एके और इंसास असॉल्ट राइफलें और एक रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) लॉन्चर जैसे हथियार प्रस्तुत किए और दावा किया है कि इसे मुठभेड़ स्थल से बरामद किए गया था। सुरक्षाबलों ने कई पुलिस वाहनों की कुछ तस्वीरें भी जारी की है, जो गोलियों के छेद से भरे हुए थे।
पिछले महीने भी हुआ था हमला
मणिपुर के जिरीबाम जिले में 19 अक्टूबर को भी संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने पुलिस थाने के पास बंदूक और बम से हमला किया। बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के आसपास कुकी उग्रवादियों के हमले में तब कोई हताहत नहीं हुआ था।
हथियारबंद उग्रवादियों ने बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन और आस-पास के गांवों को निशाना बनाकर अत्याधुनिक हथियारों से गोलीबारी की थी और बम भी फेंके थे। गोलीबारी शुरू होने के तुरंत बाद बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित ग्रामीणों को सुरक्षा के तहत सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
घने जंगलों से घिरा पहाड़ी बोरोबेकरा गांव जिरीबाम जिला शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। दक्षिणी असम से सटे मिश्रित आबादी वाले जिरीबाम जिले में इस साल हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। हालांकि पिछले साल मई से इस पूर्वोत्तर राज्य के कई जिलों में जातीय हिंसा भड़कने के बाद भी जिला शांतिपूर्ण दिख रहा था।
इससे पहले मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के 17 महीने बाद गृह मंत्रालय ने तीनों प्रमुख समुदायों मैतेई, कुकी और नागा के साथ 15 अक्टूबर को पहली बैठक की थी ताकि लंबे समय से जारी संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके। गृह मंत्रालय के तहत खुफिया ब्यूरो द्वारा बुलाई गई बैठक में मैतेई, कुकी और नागा समुदायों के करीब सात मंत्रियों और 13 विधायकों ने हिस्सा लिया था।
मणिपुर में हिंसा क्यों हो रही है?
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल तीन मई से हुई थी। मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद कुकी जनजाति समूह के प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ से इसकी शुरुआत हुई।
दरअसल मैतेई समुदाय ने खुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के लिए हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार करने को कहा था। कुकी समुदाय इसका विरोध कर रहा है।
मई से शुरू हुई व्यापक हिंसा के बीच हाई कोर्ट ने इस साल फरवरी में अपने आदेश में संशोधन किया। मणिपुर हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेश से उस अंश को हटा दिया जिसमें मैतेई समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश का जिक्र था।