नई दिल्ली: अक्टूबर में भारत का व्यापार घाटा पिछले दो महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसका मुख्य कारण आयात में तेजी है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में वस्तु व्यापार घाटा 2.17 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जबकि सितंबर में यह लगभग 1.66 लाख करोड़ रुपए था।
इस वृद्धि के पीछे वैश्विक मांग में कमी और ऊर्जा लागत में वृद्धि जैसे कारक हैं, जिनके चलते भारत के व्यापार संतुलन पर दबाव बना हुआ है।
द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारत के निर्यात में सुधार देखा गया है। अक्टूबर में देश का वस्त्र निर्यात 3.14 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा, जो पिछले साल इसी महीने के मुकाबले 2.68 लाख करोड़ रुपए था।
वहीं आयात में भारी वृद्धि देखी गई और यह अक्टूबर में 5.31 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इससे व्यापार घाटा लगातार बढ़ता दिख रहा है, जो आयात पर निर्भरता को भी दर्शाता है। विशेष रूप से, वैश्विक बाजार में ऊर्जा कीमतों के बढ़ने से आयात लागत में वृद्धि हुई है।
सर्विस सेक्टर में निर्यात में आई तेजी
खबर के मुताबिक, सेवा क्षेत्र में भी निर्यात का योगदान बढ़ा है। अक्टूबर में सेवा क्षेत्र का निर्यात 2.73 लाख करोड़ रुपए रहा, जो पिछले साल के इसी महीने में 2.23 लाख करोड़ रुपए था।
इस क्षेत्र का आयात भी बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। सेवा क्षेत्र की इस वृद्धि ने निर्यात में सहायक भूमिका निभाई, हालांकि यह व्यापार घाटे को संतुलित करने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो सका।
अक्टूबर में वस्त्र और सेवा दोनों क्षेत्रों को मिलाकर भारत का कुल निर्यात 5.86 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जबकि कुल व्यापार घाटा 81 हजार करोड़ रुपए पर आ गया। यह पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे से कम है, जो व्यापार संतुलन में कुछ हद तक स्थिरता का संकेत देता है।
विश्व व्यापार संगठन ने वैश्विक व्यापार में सुधार की जताई उम्मीद
अखबार मिंट का आकलन है कि भारत का व्यापार घाटा बढ़ती वैश्विक चुनौतियों, भू-राजनीतिक तनाव और अस्थिर वस्तु कीमतों से भी प्रभावित हो रहा है। प्रमुख बाजारों में सुस्ती के चलते निर्यात पर असर पड़ा है, जबकि वैश्विक ईंधन कीमतों में वृद्धि ने आयात पर भारी बोझ डाला है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने साल 2024 में वैश्विक व्यापार में सुधार की संभावना जताई है, जिसमें व्यापार वृद्धि दर 2.6 फीसदी रहने की उम्मीद है। हालांकि, भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण व्यापार संतुलन को बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है।
भारत के प्रमुख निर्यात उत्पादों में इंजीनियरिंग सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और केमिकल्स शामिल हैं, जबकि मुख्य आयातों में कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान और सोना प्रमुख हैं।
प्रमुख निर्यात गंतव्य अमेरिका, यूएई, चीन और यूके हैं, वहीं आयात में चीन, रूस, यूएई और इराक प्रमुख हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत ऊर्जा जैसे संसाधनों के लिए विदेशी बाजारों पर निर्भर है, जो व्यापार घाटे का एक प्रमुख कारण है।
अक्टूबर में व्यापार घाटे में आंशिक गिरावट को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि निर्यात में यह वृद्धि बनी रहती है तो भारत 800 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पार कर सकता है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस गति को निर्यात क्षेत्र के लिए उत्साहजनक बताया।