न्यूयॉर्क: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्त किया है। तुलसी गबार्ड करीब दो साल पहले रिपब्लिकन पार्टी से जुड़ी चुकी हैं और ट्रंप की बड़ी समर्थक मानी जाती हैं। अमेरिका की परंपरागत विदेश नीति पर अक्सर सवाल उठाने और हिंदू परंपरा की पृष्ठभूमि से आने वाली गबार्ड अमेरिकी सेना के लिए काम कर चुकी हैं।
अमेरिकी संसद में पहली हिंदू
तुलसी गबार्ड 43 साल की हैं। उन्होंने 2012 में इतिहास रचा जब वे कांग्रेस में निर्वाचित होने वाली पहली हिंदू बनीं। इससे पहले राजनीतिक करियर 21 साल की उम्र में हवाई के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव से शुरू हुआ। इस बीच इराक में बतौर नेशनल गार्ड उनकी तैनाती हुई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वे शाकाहारी हैं। कांग्रेस में चुने जाने के बाद उन्होंने ‘भगवद गीता’ को साक्षी मानकर अपने पद की शपथ ली। दिलचस्प बात ये भी है कि तुलसी गबार्ड का पालन-पोषण उनकी मां ने एक हिंदू के रूप में किया। तुलसी भारतीय मूल की नहीं हैं बल्कि अमेरिका में जन्म लेने वाली उनकी मां ने बाद में हिंदू धर्म को अपना लिया था।
पीएम नरेंद्र मोदी के योग दिवस को समर्थन
साल 2014 में पहली हिंदू-अमेरिकी महिला सांसद तुलसी गबार्ड ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पहल के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर-शोर से समर्थन किया था। इन्हीं दिनों में प्रधानमंत्री मोदी और तुलसी गबार्ड की मुलाकात भी न्यूयॉर्क में हुई थी। इनकी बैठक में चरमपंथ से निपटने और अमेरिका-भारत सहयोग को बढ़ावा देने जैसी साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा शामिल थी। तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को भगवद गीता की एक प्रति भी उपहार में दी थी, जिसे उन्होंने बचपन से संजोकर रखी थी।
कश्मीर के मुद्दे पर तुलसी गबार्ड
कश्मीर पर अपनी टिप्पणी में गबार्ड ने क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जटिलताओं को उजागर करते हुए कहा कि स्थिति उतनी सरल और सीधी नहीं है। उन्होंने कहा था कि कश्मीर को समझने के लिए उसके अतीत और विस्थापित हुए लोगों के अनुभवों को जानने की आवश्यकता है।
उन्होंने एक बयान में कहा था, ‘बाहरी लोगों के लिए कश्मीर के जटिल इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि कई परिवार अपने घरों को छोड़कर चले गए हैं और अभी भी वापस नहीं लौट सकते हैं। गबार्ड ने इस बात पर जोर दिया कि अंतिम समाधान भारत के भीतर से आना चाहि। उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसी स्थिति है… एक संप्रभु देश में, जिस पर सभी पक्षों को काम करना चाहिए, जिनका वहां अपना भविष्य दांव पर है।’
भगवत गीता और हिंदू पहचान पर तुलसी गबार्ड
अमेरिकी राजनीति में एक हिंदू के रूप में गबार्ड को कुछ चुनौतियों और ‘हिंदू राष्ट्रवादी’ होने के लगातार आरोपों का भी सामना करना पड़ा है। रिलीजनन्यूज (ReligionNews) के लिए एक ऑप-एड में उन्होंने इस पर अपनी निराशा भी साझा की और अमेरिकी समाज में जिसे वे ‘धार्मिक कट्टरता’ कहती हैं, उसकी निंदा की। उन्होंने तर्क दिया कि विभिन्न धर्मों – ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, बौद्ध समाज के लोगों से उनका समर्थन उनके समावेशी दृष्टिकोण का प्रमाण है।
तुलसी गबार्ड गीता को एक ‘लाइफलाइन’ बताती हैं जो अनिश्चितता के समय में आशा और ज्ञान प्रदान करती है। गबार्ड ने 2020 में एक बार यह बताया था कैसे गीता ने कठिन समय में उनका मार्गदर्शन किया, जिसमें उनकी सैन्य तैनाती भी शामिल थी।