नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार और पुलिस पर पटाखों के प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू नहीं करने पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पटाखों पर केवल अक्टूबर से जनवरी तक ही लागू प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदूषण पूरे साल बढ़ता है, तो प्रतिबंध भी सालभर क्यों नहीं लागू किया जा सकता?
कोर्ट ने कहा, “हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता जो प्रदूषण फैलाएं। अगर इस तरह पटाखे जलाए जाते हैं, तो यह नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार को भी प्रभावित करता है।” यह टिप्पणी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई के दौरान की गई।
पटाखों पर प्रतिबंध में छूट पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस आदेश की समीक्षा की जिसमें चुनाव और शादियों के लिए पटाखों पर छूट दी गई थी। कोर्ट ने पूछा कि “आपके आदेश में चुनाव, विवाह आदि के लिए पटाखे जलाने की अनुमति क्यों है? इसमें कौन से हितधारक शामिल हैं?”
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि विभिन्न सरकारी विभाग इस प्रक्रिया में शामिल हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर पूर्ण प्रतिबंध है, तो ऐसे लाइसेंस जारी नहीं किए जाने चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि सभी संबंधित पक्षों को प्रतिबंध आदेश का पालन सुनिश्चित करें।
25 नवंबर की दी डेडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि 25 नवंबर से पहले पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने पर फैसला करें। कोर्ट का मानना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह प्रतिबंध सिर्फ दिवाली तक सीमित न रहकर सालभर लागू किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा, अगर किसी को पटाखे फोड़ने का मौलिक अधिकार चाहिए तो वो कोर्ट में आए! पटाखों पर पूरे साल प्रतिबंध होना चाहिए।
दिल्ली में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर बुरा असर
वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के चलते दिल्ली में धूल और धुएं के कणों से बच्चों, बुजुर्गों और अन्य संवेदनशील समूहों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल के कण उड़ न सकें, लेकिन यह प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। आनंद विहार में एक्यूआई 378, अलीपुर में 397, अशोक विहार में 389, बवाना में 400 और जहांगीरपुरी में एक्यूआई 409 पर दर्ज किया गया। एनसीआर के फरीदाबाद में एक्यूआई 165, गुरुग्राम में 302, गाजियाबाद में 242 और नोएडा में 237 रहा। प्रदूषण का यह स्तर बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य जोखिम को बढ़ाता है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।