नई दिल्लीः अक्टूबर 2024 में भारत के कच्चे तेल के आयात में गिरावट देखी गई है, जो पिछले 13 महीनों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण कुछ रिफाइनरियों में रखरखाव के लिए बंद होना और पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक संकट से उपजी चिंताएं हैं। इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में उच्च अस्थिरता की आशंका को बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से भारत के शीर्ष पांच आपूर्तिकर्ताओं- रूस, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से आयात की मात्रा में कमी आई है।
अंतरराष्ट्रीय वस्तु बाजार विश्लेषण फर्म केपलर के अनुसार, अक्टूबर में भारतीय रिफाइनरियों ने मिलाकर 4.35 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल का आयात किया, जो महीने दर महीने 7.6 प्रतिशत कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर में तेल के आयात में सुधार होने की उम्मीद है, क्योंकि सभी भारतीय रिफाइनर फिर से पूरी क्षमता से कार्य करने लगेंगे और मांग में बढ़ोतरी की अपेक्षा है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में अपेक्षाकृत कम अस्थिरता का भी अनुमान है।
रूस से आयात में कमी
रूस से आपूर्ति — जो भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का स्रोत है — महीने दर महीने 9.2 प्रतिशत घटकर 1.73 मिलियन बीपीडी तक पहुंच गई है, जो पिछले सात महीनों का सबसे कम स्तर है। अक्टूबर में यह भारत के कुल तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत है। रिफाइनरी रखरखाव और तेल बाजार की अस्थिरता के साथ-साथ कुछ रूसी कच्चे तेल के ग्रेड के लिए चीनी रिफाइनरों की प्रतिस्पर्धा भी इस गिरावट में भूमिका निभाई हैं। इसके अलावा इराक और सऊदी अरब से कच्चे तेल का आयात क्रमशः 0.84 मिलियन बीपीडी और 0.65 मिलियन बीपीडी पर 3.3 प्रतिशत और 10.9 प्रतिशत की कमी आई है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक केपलर में क्रूड एनालिसिस के प्रमुख विक्टर काटोना का कहना है कि “अक्टूबर भारत के लिए रिफाइनिंग क्षमता का चरम महीना था, जिसके कारण नवंबर की शुरुआत में देश भर में डाउनस्ट्रीम संचालन में पूरी सुधार होने की संभावना है। यह भारत के रिफाइनरों को सर्दियों की मांग के लिए अधिक खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। हालांकि, अक्टूबर के आयात के आंकड़े संतोषजनक नहीं रहे। भारतीय रिफाइनर संभावित इजराइल-ईरान संघर्ष की आशंका से चिंतित थे या फिर उन्होंने बेहतर मूल्य स्थिति का इंतजार करने का फैसला लिया।”
नवंबर में आयात में वृद्धि की संभावना
प्रारंभिक संकेतों और तेल टैंकर की आवाजाही के आधार पर, भारत के तेल आयात नवंबर में फिर से बढ़ने की संभावना है। जहाजों की आवाजाही भी बढ़ी है। लिहाजा नवंबर के पहले दो हफ्तों में भारतीय बंदरगाहों पर तेल कार्गो की आगमन लगभग 5 मिलियन बीपीडी हो सकता है, जो अक्टूबर की मात्रा से काफी अधिक है।
काटोना ने कहा, “हम नवंबर में बाजार में खड़ी खरीदारी की गतिविधि को देख सकते हैं। पहले के दो हफ्तों में रूस से आयात 1.8-1.9 मिलियन बीपीडी रहने की संभावना है, जबकि इराक से यह लगभग 900,000 बीपीडी होगा, इसलिए भारत के तेल आयात वास्तव में मजबूत रहने की संभावना है।”
यूराल का बढ़ता आयात
हालांकि अक्टूबर में रूस के तेल आयात की कुल मात्रा में गिरावट आई है, लेकिन देश के प्रमुख कच्चे तेल ग्रेड ‘मध्यम-खट्टा यूराल’ का आयात अक्टूबर में चार महीने के उच्चतम स्तर पर रहा। यहां बता दें कि यूराल भारतीय रिफाइनरों द्वारा आयात किए जाने वाले रूसी तेल का मुख्य आधार है और यह रूस के कच्चे तेल के आयात का तीन चौथाई से अधिक हिस्सा है। हालांकि, कुछ अन्य रूसी कच्चे तेल के ग्रेड में कमी आई है, जिसने कुल आयात में गिरावट का कारण बना।
कोटाना ने कहा है “रूस के संदर्भ में, भारतीय रिफाइनर यूराल की खरीद बढ़ाते जा रहे हैं, जिसका आयात 1.47 मिलियन बीपीडी तक पहुंच गया है, जो जून के बाद का सबसे उच्चतम स्तर है। हालांकि, अन्य ग्रेड, जो गर्मियों के महीनों में कुछ सुधार देख चुके थे, फिर से उनमें गिरावट आई है क्योंकि चीन ने उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से डिलीवरी को बढ़ा दिया है, विशेष रूप से आर्कटिक ग्रेड के लिए।”
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
यूक्रेन में युद्ध से पहले, इराक और सऊदी अरब भारत के लिए कच्चे तेल के शीर्ष दो आपूर्तिकर्ता थे। लेकिन जब पश्चिम ने रूस की ऊर्जा आपूर्ति से दूर होना शुरू किया, तो रूस ने अपने कच्चे तेल पर छूट देने की पेशकश की और भारतीय रिफाइनर उन छूट प्राप्त बैरल को खरीदने लगे।
भारत, जो कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और जिसकी आयात निर्भरता 85 प्रतिशत से अधिक है, तेल की कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। हालांकि व्यापार स्रोतों ने संकेत दिया है कि रूसी कच्चे तेल पर छूट समय के साथ कम हो गई है। फिर भी भारतीय रिफाइनर स्पष्ट रूप से रूसी तेल खरीदने में रुचि बनाए हुए हैं। क्योंकि इससे उनको काफी बचत होता है।