न्यूयॉर्क: वाशिंगटन पोस्ट के मालिक जेफ बेजोस ने कहा है कि पत्रकारों सहित मीडिया को लेकर भरोसा और प्रतिष्ठा लगातार नीचे गिर रही है। उन्होंने अपने अखबार के ओपिनियन सेक्शन में लिखे एक आर्टिकल में दावा किया कि पत्रकारिता का पेशा अब सबसे कम भरोसेमंद हो गया है और यह कांग्रेस (अमेरिकी संसद) से भी नीचे चला गया है। उन्होंने लिखा, ‘हम जो कुछ कर रहे हैं वह स्पष्ट रूप से काम नहीं कर रहा है।’
बकौल जेफ बेजोस ‘ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि मीडिया पक्षपाती है।’ ‘कड़वी सच्चाई: अमेरिकी अब न्यूज मीडिया पर भरोसा नहीं कर रहे’, इस हेडलाइन से छपे आर्टिकल में जेफ बेजोस कहते हैं कि ‘हमें अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उसे नियंत्रित करने के लिए और अधिक मेहनत करनी चाहिए जिसे हम कर सकते हैं।’
जेफ बेजोस ने कहा है कि आज के दौर में बहुत से लोग बिना सोचे-समझे पॉडकास्ट, गलत सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य असत्यापित समाचार स्रोतों की ओर रुख कर रहे हैं, जो तेजी से गलत सूचना फैला सकते हैं और विभाजन को और गहरा कर सकते हैं।
उन्होंने लिखा, ‘वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबार पुरस्कार जीतते हैं, लेकिन तेजी से हम केवल एक निश्चित अभिजात वर्ग से ही बात कर रहे हैं। अधिक से अधिक, हम अपने आप से बात कर रहे हैं।’
जेफ बेजोस अमेरिका के संदर्भ में आगे आगे लिखते हैं, ‘मैं अपने व्यक्तिगत हित को आगे नहीं बढ़ाऊंगा और न ही मैं इस पेपर को ऑटोपायलट पर बने रहने और अप्रासंगिक होने की अनुमति दे सकता हूं। हम बगैर किसी लड़ाई के बिना शोध वाले पॉडकास्ट और सोशल मीडिया की गपबाजी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे। आज के दौर में दुनिया को पहले से कहीं अधिक एक विश्वसनीय, भरोसेमंद, स्वतंत्र आवाज की जरूरत है, और उस आवाज के लिए दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण देश की राजधानी से बेहतर कौन सी जगह हो सकती है? इस लड़ाई को जीतने के लिए हमें नई तैयारी करनी होगी।’
जेफ बेजोस को क्यों कहना पड़ा ऐसा?
दरअसल, पूरी कहानी वाशिंगटन पोस्ट के एडिटोरियल बोर्ड के इस फैसले से जुड़ी है, जिसमें कहा गया है कि अखबार इस बार के चुनाव में किसी भी राष्ट्रपति उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगा। अमेरिकी मीडिया में यह बहुत आम है कि चुनाव के समय कोई मीडिया समूह किसी एक उम्मीदवार का समर्थन करता नजर आता है।
इसे अमेरिका में ‘एंडोर्समेंट’ कहा जाता है। अखबार या मीडिया समूह अपने संपादकीय कॉलम के जरिए अक्सर किसी एक उम्मीदवार के प्रति लोगों में समर्थन पैदा करने की कोशिश करते नजर आते हैं। यह दशकों से चला आ रहा है। बीच के सालों में कुछ मौकों पर जरूर कुछ मीडिया समूह ‘एंडोर्समेंट’ से दूरी बनाते नजर आए हैं लेकिन यह प्रचलन आमतौर पर चलता रहा है।
वाशिंगटन पोस्ट भी ऐसा करता रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स सहित अन्य अखबार भी ऐसा करते हैं। वाशिंगटन पोस्ट हाल के कुछ दिनों तक डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस के लिए समर्थन की बात करता आ रहा था। अब हालांकि, उसने चुनाव से महज एक हफ्ते पहले किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने की बात कही है। जेफ बेजोस ने अपने लेख में इसी फैसले का बचाव किया है और कहा है कि किसी एक को समर्थन करने से अखबारों या मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। इससे बचना चाहिए।
अखबार के एंडोर्समेंट से दूरी बनाने पर सवाल?
हालांकि अखबार ने अचानक किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने का फैसला क्यों लिया, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टिंग ट्रंप के कार्यकाल में काफी चर्चित रही थी। यह अखबार पूरी तरह से ट्रंप के खिलाफ नजर आता रहा है। इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या हाल के चुनावी सर्वे को देखते हुए और मालिक जेफ बेजोस के दबाव में ऐसा फैसला लिया गया? दरअसल हाल के कुछ सर्वे में ट्रंप अब हैरिस पर बढ़त बनाते नजर आ रहे हैं। ऐसे में क्या आने वाले समय में बिजनेस के हितों को देखते हुए जेफ बेजोस की ओर से यह फैसला लिया गया और अखबार के एडिटोरियल बोर्ड ने इसे मान लिया।
वाशिंगटन पोस्ट के दो लाख सब्सक्राइबर ने छोड़ा साथ
वाशिंगटन पोस्ट के इस तरह अचानक एंडोर्समेंट से दूरी बनाने और कमला हैरिस का भी समर्थन नहीं करने के फैसले से कई डेमोक्रेट समर्थक नाराज नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अखबार के करीब 2 लाख सब्सक्राइबर्स ने अपना डिजिटल सब्सक्रिप्शन रद्द कर दिया है। यह आंकड़े सोमवार दोपहर तक के हैं। अखबार से जुड़े कुछ स्तंभकारों के इस्तीफे की भी खबरें हैं।
वहीं, अखबार के मुख्य कार्यकारी और प्रकाशक विल लुईस ने शुक्रवार को इस साल की राष्ट्रपति पद की दौड़ या भविष्य के चुनावों में समर्थन न करने के वाशिंगटन पोस्ट के फैसले को इस अखबार के पुराने जड़ों की ओर वापसी के रूप में बताया है।