वड़ोदराः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेनिश समकक्ष राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज की मौजूदगी मे सोमवार को गुजरात के वडोदरा में भारत की पहली निजी सैन्य परिवहन विमान निर्माण इकाई का उद्घाटन किया। यह भारत की निजी विमानन उद्योग में पहली फाइनल असेंबली लाइन है, जहाँ तैयार विमान फैक्ट्री से सीधे आसमान में उड़ान भरने के लिए तैयार होंगे। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के परिसर में स्थित इस संयंत्र में एयरबस C295 एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा, जो भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और रक्षा क्षमताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना भारत के लिए कई मायनों में गेम चेंजर साबित होगी और भारत को विमान निर्यात करने की महत्वाकांक्षा को भी बढ़ावा देगी।
आइए जानते हैं कि C295 एयरक्राफ्ट और इसका ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट भारत के लिए कैसे गेम चेंजर साबित होगा:
1. भारतीय रक्षा में रणनीतिक बढ़ावा
सी-295 एयरक्राफ्ट का शामिल होना भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की सामरिक एयरलिफ्ट क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उन्नति लाएगा। एयरबस डिफेंस एंड स्पेस द्वारा डिजाइन किया गया यह एयरक्राफ्ट कई प्रकार के अभियानों जैसे सैनिकों के परिवहन, मालवाहन, चिकित्सा निकासी और समुद्री गश्त के लिए उपयोगी है।
सी-295 पुराने सोवियत एंटोनोव एएन-32 और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एवरो 748 के बेड़े को प्रतिस्थापित करेगा, जिससे भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल रेडीनेस और लचीलापन में वृद्धि होगी। इसका संचालन छोटे और कच्चे रनवे पर भी संभव है, जो चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) और भारत की सामरिक समुद्री सीमा जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में इसे उपयोगी बनाता है।
यह ट्विन-टर्बोप्रॉप विमान नौ टन तक का माल या 71 सैनिकों या 48 पैराट्रूपर्स को ले जा सकता है, जिससे आईएएफ की लचीलापन और ऑपरेशनल क्षमताओं में वृद्धि होती है।
2. ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती
सी-295 परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिए एक कोर स्टोन बनकर उभरी है, जिसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।
इस परियोजना के तहत कुल 56 विमान बनाए जाएंगे, जिसमें पहले 16 विमान स्पेन में तैयार होकर आएंगे और शेष 40 विमान वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) द्वारा निर्मित और असेंबल किए जाएंगे।
पहले मेड इन इंडिया सी-295 विमान की रवानगी सितंबर 2026 में होने की संभावना है, और बाकी विमानों का निर्माण 2031 तक पूरा किया जाएगा।
3. नौकरी के अवसर और उभरता हुआ इकोसिस्टम
टाटा-एयरबस सी-295 प्रोजेक्ट रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेगा। वडोदरा में सी-295 मैन्युफैक्चरिंग सुविधा स्थापित करने से देश के एयरोस्पेस उद्योग का विस्तार होगा। यह परियोजना विभिन्न साइटों पर 3,000 से अधिक प्रत्यक्ष और 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियाँ प्रदान करेगी।
विमान की असेंबली में प्रति विमान 1 मिलियन घंटे से अधिक का श्रम लगेगा, जिससे एक कुशल श्रमिक वर्ग का विकास होगा। इसके अलावा, यह परियोजना उन सहायक क्षेत्रों के विकास को भी बढ़ावा देगी, जो घटकों के निर्माण और सेवाओं की आपूर्ति में लगे हैं।
4. एयरोस्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
सी295 एयरक्राफ्ट के आगमन के साथ ही व्यापक प्रशिक्षण और रखरखाव इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना भी हो रही है। आईएएफ के कर्मचारियों को सी-295 को संचालित और मेंटेन करने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनिंग सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं।
इस परियोजना में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक स्टिक होल्डिंग डिपो और आगरा में एक ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना भी शामिल है। इससे भारत के सिविल और मिलिट्री एविएशन उद्योग को मजबूती मिलेगी।
5. वैश्विक स्तर पर विमान निर्यात के लिए तैयार
सी-295 परियोजना भारत की घरेलू आवश्यकताओं के साथ-साथ निर्यात के लिए भी संभावनाएँ लेकर आती है। इस परियोजना से भारत की विमान निर्यात की महत्वाकांक्षा को बढ़ावा मिलेगा और भारत के पहले नागरिक विमान के निर्माण में भी योगदान मिलेगा।
आईएएफ के लिए 56 विमान की डिलीवरी के बाद, एयरबस को भारत में निर्मित विमान को नागरिक ऑपरेटरों को बेचने और भारतीय सरकार द्वारा स्वीकृत देशों को निर्यात करने की अनुमति होगी।