कजान: ब्रिक्स में प्रवेश करने की पाकिस्तान की कोशिशों को गंभीर झटका लगा है। पाकिस्तान को विस्तार प्रक्रिया में भागीदार देश के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत ने संभवत: ब्रिक्स में पाकिस्तान के प्रवेश का विरोध कर रहा है। ब्रिक्स आज वैश्विक दक्षिण के एक प्रमुख समूह के रूप में उभर रहा है। भारत इस समूह का संस्थापक सदस्य है। ब्रिक्स के शुरुआती सदस्यों में ब्राजील (बी), रूस (आर), भारत (आई), चीन (सी) और दक्षिण अफ्रीका शामिल रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के नाम से केवल प्रारंभिक अक्षर ‘S’ को लिया गया और इस तरह गुट का नाम BRICS बना।
चूंकि ब्रिक्स में नए सदस्यों को सर्वसम्मति से ही शामिल किया जाता है, इसलिए यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की सदस्यता के लिए भारत का विरोध समूह में उसके शामिल होने की इच्छा को विफल कर सकता था। जैसा कि अपेक्षित था, ऐसा लगता है कि भारत ने पाकिस्तान को इस समूह में शामिल करने के लिए अपने ‘वर्चुअल वीटो’ का इस्तेमाल किया है। इससे पहले अधिकांश पाकिस्तानी नेताओं को उम्मीद थी कि रूस और चीन की मदद से पाकिस्तान ब्रिक्स में प्रवेश पाने में सक्षम होगा।
पाकिस्तान को भारत का जवाब
ब्रिक्स में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की इच्छा दुनिया की प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के साथ खुद को स्थापित करने के इरादे से थी। पाकिस्तान को ब्रिक्स में जगह नहीं मिलने से उसके ग्लोबल साउथ में अहम देश बनकर उभरने की संभावनाओं को भी झटका लगा है। पाकिस्तान में यह व्यापक रूप से माना जा रहा था कि ब्रिक्स में शामिल होने से उसे आर्थिक और कूटनीतिक रूप से बहुत कुछ हासिल होगा। हालाँकि, भारत इसे नजरअंदाज नहीं करेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध पिछले पांच वर्षों से अपने निचले स्तर पर है।
पाकिस्तान ने बहुत लंबे समय से शोर मचाया हुआ है और कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कुछ शीर्ष पाकिस्तानी राजनयिकों ने तो समर्थन जुटाने और परोक्ष रूप से भारत द्वारा पैदा की जाने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कई देशों का का दौरा तक किया था।
ब्रिक्स की शुरुआत केवल पांच देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) से हुई थी लेकिन यह जल्द ही ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब तक फैल गया। पिछले साल अगस्त में सदस्यता के लिए पाकिस्तान के आवेदन के बाद तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने भी सदस्य बनने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया है। कुछ अन्य ने भी इसमें शामिल होने में रुचि व्यक्त की है।
इस्लामाबाद में पाकिस्तान विदेश कार्यालय (एफओ) के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने एक बार कहा था, हमारा मानना है कि ब्रिक्स में शामिल होकर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने और समावेशी बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि ब्रिक्स समावेशी बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप पाकिस्तान के अनुरोध पर आगे बढ़ेगा।’
रूस ने किया था पाकिस्तान का समर्थन
पिछले महीने, रूस के उपप्रधान मंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के साथ औपचारिक बातचीत के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था। उन्होंने तब कहा था कि मॉस्को ब्रिक्स में पाकिस्तान को शामिल करने का पक्ष लेगा। इससे कई अटकलें लगाई जाने लगीं कि भारत अब अपने सहयोगी रूस की बात मान सकता है और ब्रिक्स में पाकिस्तान की सदस्यता पर आपत्ति करना बंद कर सकता है।
ब्रिक्स ब्लॉक ने पिछले साल चार नए सदस्यों, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को शामिल किया था और इसे ‘ब्रिक्स प्लस’ के रूप में जाना जाने लगा। वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख बहुपक्षीय समूह के रूप में ब्रिक्स की बढ़ती मान्यता के साथ इस्लामाबाद का सदस्यता के लिए आवेदन भी इससे मेल खाता था। भारत हालांकि पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं चाहता है। कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने वो काम कर दिया है।
कई देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं। ब्रिक्स के लिए काम करने वाले अधिकारियों ने इनकी कुल संख्या 29 बताई है। पाकिस्तान भी इन देशों में से एक है। ब्रिक्स आज एक समूह के रूप में दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। कई रिपोर्टों के अनुसार ब्रिक्स ब्लॉक के देशों की कुल जीडीपी आज वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत है।