नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद पहली द्विपक्षीय बैठक बुधवार को रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर हुई। पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच यह बैठक तब हो रही है जब दोनों देशों ने लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर एक समझौता किया है, जिससे चार साल से चल रहे सीमा विवाद का अंत हो सके। इसी विवाद के कारण गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी।
मंगलवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि की थी। इससे पहले चीन ने यह जानकारी दी थी कि भारत और चीन के बीच सीमा पर गश्त के संबंध में समझौता हो गया है।
गलवान संघर्ष के बाद दोनों नेताओं के बीच केवल एक औपचारिक बैठक अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इसके अलावा, नवंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक अनौपचारिक बातचीत भी हुई थी।
वैसे पीएम मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद कई ऐसे मौके आए हैं जब भारत ने चीन के साथ रिश्तों को बेहतर करने की कोशिश की है। कजान में हो रही मुलाकातों से इतर पिछले 10 सालों में करीब 13 बार दोनों नेताओं की मुलाकातें हुई हैं। आइए एक नजर इन पिछली मुलाकातों पर डालते हैं।
पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच हुई अहम मुलाकातें-
ब्रिक्स-2014 में मुलाकात: बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पहली बातचीत ब्राजील के फोर्टालेजा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई। मोदी पहली बार सत्ता में आए थे। इस लिहाज से यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों के लिए आशावादी माहौल स्थापित करते हुए सहयोग बढ़ाने की बात की।
भारत दौरे पर जब पहुंचे जिनपिंग: दोनों नेताओं की पहली मुलाकात के कुछ महीनों बाद शी जिनपिंग भारत के आधिकारिक राजकीय दौरे पर पहुंचे। बेहद गर्मजोशी से पीएम मोदी ने उनका स्वागत किया। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं ने व्यापार, नागरिक परमाणु ऊर्जा और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने संबंधी बात की। वैसे इन मुलाकातों के दौरान भी दोनों देशों के बीच अनसुलझे सीमा मुद्दे चर्चा में बने रहे।
मोदी की चीन यात्रा: जिनपिंग के भारत दौरे के कुछ महीने बाद पीएम मोदी ने मई 2015 में चीन की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा की। शी जिनपिंग ने तब अपने गृहनगर जियान (Xian) में पीएम मोदी की मेजबानी की। मोदी की इस यात्रा में सीमा मुद्दों, सैन्य संबंधों और व्यापार पर व्यापक बातचीत हुई। दोनों नेताओं की चीन-भारत के बीच मजबूत संबंध को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।
ब्रिक्स और एससीओ समिट: साल 2015 में रूस में ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर बैठक में पीएम मोदी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में चीन की भागीदारी के बारे में चिंता व्यक्त की, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरता है। साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को रोकने पर चीन के रुख का भी जिक्र किया।
चीन में जी20 समिट के दौरान मुलाकात: भारत और चीन के बीच आई कुछ तनातनी के बीच पीएम मोदी ने चीन के हांगझू में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग से मुलाकात की। 2016 की इस बार की मुलाकात परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के बीजिंग के लगातार विरोध और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों पर उसके रुख से काफी प्रभावित रही।
अस्ताना एससीओ समिट: भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद कजाकिस्तान के अस्ताना में जून-2017 में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। इस समय तक दोनों देश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र डोकलाम में सीमा गतिरोध में फंस गए थे। पीएम मोदी ने हालांकि चीन के साथ गलतफहमी को कम करने और संघर्ष से बचने के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत संचार चैनलों की आवश्यकता पर जोर दिया।
हैम्बर्ग में जी20 समिट: अपनी आखिरी मुलाकात के ठीक एक महीने बाद मोदी और शी जिनपिंग ने जर्मनी के हैम्बर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन में अनौपचारिक बातचीत की। यह बैठक भी अनसुलझे डोकलाम गतिरोध के बीच हुई। यह बातचीत भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच संघर्ष को आगे बढ़ने से रोकने में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।
ब्रिक्स समिट: साल 2017 में ही तीसरी मुलाकात भी दोनों नेताओं के बीच हुई। चीन के जियामेन (Xiamen) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हुई यह द्विपक्षीय बैठक डोकलाम गतिरोध के समाधान के बाद मोदी और जिनपिंग के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी। दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति बनाए रखने के महत्व और भविष्य में टकराव को रोकने के लिए बेहतर तंत्र बनाने की दिशा में काम करने पर जोर दिया।
वुहान में मुलाकात: 2018 का वुहान समिट संभवत: मोदी-जिनपिंग के बीच हुई बैठकों में से सबसे खास रहा है। इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं ने डोकलाम संकट के बाद अपने संबंधों को स्थिर करने की कोशिश करते हुए कई रणनीतिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। इस मीटिंग में सैन्य टकराव के बजाय राजनयिक चैनलों के माध्यम से सीमा पर स्थिति का प्रबंधन करने की प्रतिबद्धता अहम बात रही।
किंगडाओ में मुलाकात: वुहान की मुलाकात के करीब दो महीने से भी कम समय में जून 2018 में मोदी और शी जिनपिंग चीन के किंगदाओ (Qingdao) में फिर मिले। इस बैठक का फोकस वुहान से मिली कूटनीतिक गति को और मजबूत करने और आगे बढ़ाने पर था। दोनों पक्षों ने सीमा तनाव को शांतिपूर्ण ढंग से प्रबंधित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
ममल्लापुरम शिखर सम्मेलन: साल 2019 में शी जिनपिंग ने एक और अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया। इस बार तमिलनाडु के ऐतिहासिक तटीय शहर ममल्लपुरम में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। वुहान की तरह इस बैठक में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर बात की। सकारात्मक दृष्टिकोण के बावजूद हालांकि इस बातचीत में सीमा तनाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहा।
इसके बाद 2020 में गलवान घाटी का संघर्ष दुनिया ने देखा। इस घटना ने भारत और चीन के बीच तनाव को एक बार फिर चरम पर पहुंचा दिया था। हालांकि, इसके बाद 2022 में इंडोनेशिया में जी20 समिट और 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स समिट के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकातें हुई।