जम्मू: कराची के लांधी इलाके के एक व्यवसायी द्वारा बलूच अधिकार कार्यकर्ता डॉ महरंग बलूच के खिलाफ आतंकवाद और राजद्रोह का मामला दर्ज कराया गया है। महरंद बलूच के खिलाफ ‘राष्ट्र विरोधी अभियान’ चलाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। वैसे, पहली नजर में ही ये साफ लगता है कि मामला दर्ज कराने वाला बिजनेसमैन पाकिस्तान की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के इशारे पर काम करने वाला एक व्यक्ति है। यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि बलूचिस्तान में शांतिपूर्वक अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों की मांग करने वाले बलूचों के खिलाफ दशकों से इसी प्रकार की चालबाजियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है।
इससे पता चलता है कि पाकिस्तान बलूच विद्रोहियों द्वारा हाल ही में किए गए कुछ हमलों से पूरी तरह से स्तब्ध है। इसके बाद वहां का शासन मेहरांग जैसे उन शांतिप्रिय लोगों को परेशान कर अपनी हताशा दिखाता है, जो सार्वजनिक जीवन में नजर आते हैं और इन्हें आसानी से निशाना भी बनाया जा सकता है।
बूलच विद्रोही और इनके हमले
हाल में 12 अक्टूबर को 35 से 40 बलूच विद्रोहियों ने डुकी जिले में कोयला खदानों पर हमला किया, जिसमें कम से कम 20 मजदूर मारे गए थे। इन कोयला खदानों के मालिक के अनुसार इन हमलों, बमबारी और आगजनी के कारण 10 कोयला खदानें प्रभावित हुई और मशीनरी पूरी तरह जलकर खाक हो गईं।
इस घटना से बमुश्किल एक हफ्ते पहले 6 अक्टूबर को भी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के माजिद ब्रिगेड के एक आत्मघाती हमलावर ने कराची में चीनी इंजीनियरों को निशाना बनाया और उनमें से तीन की हत्या कर दी। 13 अन्य लोग घायल हुए। हमले के चार दिन बाद बीएलए की मीडिया विंग हक्कल ने हमलावर शाह फहद बदिनी का एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में बदिनी कहता नजर आता है, ‘जब उत्पीड़न ही कानून बन जाता है, तो प्रतिरोध एक कर्तव्य हो जाता है।’
बलूच विद्रोहियों की चीन को चेतावनी
इसी वीडियो में बदिनी बलूचिस्तान के संसाधनों के चीन द्वारा अवैध दोहन को लेकर बलूच लोगों के विरोध के बारे में चीनियों को चेतावनी देता नजर आता है। वह वीडियो में कहता नजर आता है, ‘सालों से आपने सच्चाई से आंखें मूंद रखी हैं। पाकिस्तान द्वारा बलूचों के नरसंहार का समर्थन करके आपने उत्पीड़न का पक्ष लिया है। कितना भी बड़ा लाभ भले ही वो समुद्र की गहराई तक का क्यों न हो, आपके निवेश को बलूच राष्ट्र के उचित संघर्ष से सुरक्षित नहीं रखेगी।
The Baloch Liberation Army (BLA) has released a video message from Shah Fahad Badini, the individual responsible for the recent attack on a Chinese convoy in Karachi. In the video, Badini warns China to halt its operations in Balochistan, claiming that the Baloch people are… pic.twitter.com/jaJpA2poxx
— Noora Baloch (@noorabaloch2) October 11, 2024
बलूचिस्तान में हिंसा का बढ़ता सिलसिला पाकिस्तानी सरकार के लिए पहले से ही बड़ी समस्या बना हुआ है। यह इसलिए भी चुनौती बन गया है क्योंकि बलूच विद्रोही बार-बार चीनियों को निशाना बना रहे हैं। इसमें चीन के लोग और उसकी संपत्तियों दोनों को ही निशाना बनाया जा रहा है। इन हमलों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार को दबाव में ला दिया है। बीजिंग लंबे समय से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत चीनी परियोजनाओं और कर्मियों की रक्षा करने में विफलता के लिए इस्लामाबाद पर दबाव डाल रहा है। सबसे हालिया हमले की वजह से चीन से एक विशेष टास्क फोर्स को सीधे तौर पर चीजों का आकलन करने के लिए पाकिस्तान पहुंचना पड़ा है।
पाक सेना की कार्रवाई के जवाब में हो रहे हमले
बलूच विद्रोहियों ने 12 अक्टूबर और 6 अक्टूबर के हमलों के बीच 11 अक्टूबर को एक और बड़ा हमला किया था। बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए) के हमले में नौ सैनिक मारे गए और 11 घायल हुए थे। बीआरए ने बलूचिस्तान के डेरा बुगती जिले के सुघरी इलाके में रिमोट-नियंत्रित बम से एक सैन्य काफिले को निशाना बनाया था। साथ ही रॉकेट और स्वचालित हथियारों से भी हमला किया गया था। बीआरए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए सेना पर पिछले दिनों डेरा बुगती के लांजू, सुघरी और रईस तोख क्षेत्रों में नागरिक इलाकों पर गोलाबारी करने का आरोप लगाया था। समूह ने कहा कि उसके हमले इन सैन्य अभियानों का बदला लेने के लिए थे। ग्रुप ने आगे भी ऐसे ही बदला लेते रहने और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी भी पाकिस्तानी फौज को दी।
डुकी जिला परिषद के अध्यक्ष खैरुल्ला नासिर ने कहा है कि हमले में हैंड ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर और अन्य आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने ’10 कोयला इंजनों और मशीनरी’ में भी आग लगा दी। नासिर उन कोयला खदानों के मालिक हैं जिन पर 12 अक्टूबर को हमले किए गए।
दूसरी ओर बीएलए ने कहा कि उसने पहले चीन को 90 दिन का अल्टीमेटम जारी किया था, जिसमें मांग की गई थी कि वह पाकिस्तान के साथ अपने ‘अवैध गठबंधन’ को खत्म करे और बलूचिस्तान से सभी निवेश, परियोजनाएं और सैन्य उपस्थिति वापस ले ले।
कुल मिलाकर अक्टूबर के पहले 13 दिनों के दौरान बलूचिस्तान में 55 मौतें हुईं। इनमें 27 नागरिक, 20 सुरक्षा बलों के जवान और आठ विद्रोही शामिल थे। यह सबकुछ ऐसे समय में हुआ जब पाकिस्तान एससीओ बैठक की तैयारी में जुटा था।
पाकिस्तान की नीति बलूचिस्तान के हालात के लिए जिम्मेदार
बलूचिस्तान में बढ़ती इस अशांति के पीछे मूल कारण पाकिस्तान की नीति ही है जिसमें कई बलोच लोगों को जबरन गायब कराने, हत्या कराने जैसी बातें शामिल है। इसकी प्रतिक्रिया अक्सर विद्रोहियों द्वारा अनियंत्रित हिंसा के तौर पर नजर आती है। बलूच विद्रोहियों के हमले में नागरिकों और विशेषकर पाकिस्तानी सेना समर्थित ‘डेथ स्कवैड’ (death squad) के सदस्यों को भी निशाना बनाया गया है। इस अराजकता में कई इस्लामी समूह भी पनपे हैं और कभी-कभी बलूच समूहों में शामिल हो गए हैं। प्रमुख सक्रिय बलूच विद्रोही समूहों में बलूच नेशनल आर्मी (बीएनए), बीएलए, बीएलएफ, बलूचिस्तान लिबरेशन टाइगर्स (बीएलटी) और यूनाइटेड बलूच आर्मी (यूबीए) जैसे नाम शामिल हैं।
जाहिर है विद्रोही समूहों द्वारा हमलों की बढ़ती संख्या पाकिस्तान और उसकी सेना की ज्यादतियों के प्रतिशोध में है। पाकिस्तान के सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों पर बलूच लोगों को जबरन गायब करना और उनकी हत्याएं जैसे आरोप हैं। जबरन गायब किए जाने वालों में राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार, मानवाधिकार की बात करने वाले और छात्र भी शामिल हैं। वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (वीबीएमपी) की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2000 के बाद से बलूचिस्तान से 7,000 से अधिक लोग ‘लापता’ हो गए हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के जरिए बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के व्यवस्थित दोहन से पाकिस्तानी शासन के खिलाफ बलूचों का गुस्सा और भी बढ़ गया है। इसके परिणामस्वरूप चीनी नागरिकों पर समय-समय पर हमले होते रहे हैं। इससे चीनी नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दे पर इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच संबंध भी तनावपूर्ण हो गए हैं।
आमतौर पर यह माना जाता है कि सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के विपरीत, मौतों और हमलों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर देखें तो चीनी धन और समर्थन में अंधा होकर पाकिस्तान की सरकार बलूचों की शिकायतों और समस्याओं को दूर करने की बजाय, उसे सैन्य दमन के जरिए दबाना चाहती है।