तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा है कि मंदिर पूजा करने की जगह है जिसे फिल्म शूटिंग के लिए एक लोकेशन के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस संबंध में दायर एक याचिका पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। दरअसल, कोचीन देवासम बोर्ड द्वारा थ्रिपुनिथुरा श्री पूर्णात्रयेसा मंदिर में हाल में एक फिल्म की शूटिंग की इजाजत दी गई थी। बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ त्रिपुनिथुरा के रहने वाले दिलीप मेनन और गंगा विजयन ने केरल हाई कोर्ट का रुख किया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि मंदिर परिसर में गैर धार्मिक फिल्मों की शूटिंग के कारण मंदिर का संभावित अनादर हो सकता है और इसकी पवित्रता को भी नुकसान पहुंच सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मंदिर परिसर में इस तरह की गतिविधियों के कारण भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंत सकता है।
कोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि इस कारण परिसर का आध्यात्मिक वातावरण भी प्रभावित हो सकता है। याचिका में फिल्म शूटिंग और अन्य घटनाओं को लेकर पर भी सवाल उठाया गया है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और देवास्वोम बोर्ड दोनों से स्पष्टीकरण मांगा है।
याचिकाकर्ता ने क्या तर्क दिया है
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी.जी. अजितकुमार की खंडपीठ ने की है। हाई कोर्ट की याचिका में मंदिर से जुड़ी कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि त्योहारों के समय मंदिर परिसर में महावतों द्वारा शराब पिने और महिलाओं द्वारा सैंडल पहनकर परिसर में प्रवेश करने की खबरे भी सामने आई हैं।
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि इन घटनाओं के कारण मंदिर की पारंपरिक श्रद्धा में कमी आई है। यह मुद्दा हाल में फिल्म विशेषम की शूटिंग के बाद सामने आया है जिस के बाद यह याचिका दायर किया गया है। दावा है कि थ्रिपुनिथुरा श्री पूर्णात्रयेसा मंदिर में फिल्म विशेषम की शूटिंग के दौरान गैर हिंदू क्रू मेंबर भी शामिल हुए थे।
कोर्ट ने क्या कहा है
याचिका के जवाब में कोर्ट ने कहा है कि मंदिर को केवल एक पूजा स्थल के रूप में ही रहने देना चाहिए और इसे फिल्म शूटिंग जैसी व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार और कोचीन देवासम बोर्ड से फिल्म शूटिंग की इजाजत देने के उनके फैसले पर स्पष्टीकरण भी मांगा है।
हाई कोर्ट में यह तर्क दिया गया है कि मंदिरों में गैर-धार्मिक फिल्मों की शूटिंग की अनुमति देना हिंदू मंदिरों के स्थापित नियमों के खिलाफ है।
कोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि मंदिर के परिसर में फिल्मों की शूटिंग की इजाजत देने से व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में यह दावा किया गया है कि इससे पूजा और भक्ति के मूल मूल्यों के खतरे में भी पड़ने की संभावना बढ़ सकती है।