नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने चौथी जेनरेशन की तकनीकी रूप से उन्नत और कम दूरी, कम ऊंचाई वाली वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) के तीन उड़ानों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। डीआरडीओ ने इस एयर डिफेंस सिस्टम का टेस्ट 3 और 4 अक्टूबर को राजस्थान के पोखरण में अंजाम दिया।
यह टेस्ट बेहद तेज रफ्तार वाले टार्गेट के खिलाफ किया गया। इन सभी टेस्ट ने बार-बार कई तरह के टारगेट्स को निशाना बनाने में इस हथियार प्रणाली की हिट-टू-किल क्षमता को प्रदर्शित किया। इसमें टारगेट के करीब आने, पीछे हटने और ऊपर से क्रॉस करने के दौरान भी इसे निशाना बनाना शामिल है।
पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित है VSHORADS
VSHORADS एक मानव-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) द्वारा DRDO के विभिन्न प्रयोगशालाओं और डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर (DcPPs) के सहयोग से पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है। तीनों सेनाएं शुरू से ही इस परियोजना से जुड़ी रही हैं और इसके डेवलपमेंटल टेस्ट के दौरान हिस्सा लिया है।
VSHORADS के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, सेनाओं और इसमें शामिल इंडस्ट्री को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल सेनाओं को हवाई खतरों के खिलाफ और अधिक तकनीकी मजबूती प्रदान करेगी।
The @DRDO_India has successfully conducted three flight tests of the 4th Generation, technically advanced miniaturized weapon system VSHORADS, from Pokhran.
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh has congratulated DRDO, Indian Army and Industry involved in the successful development… pic.twitter.com/OWP9gREyp3
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) October 5, 2024
VSHORADS: कहीं भी ले जाना आसान
इस वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इससे पहले इसी साल यानी फरवरी में और साल 2022 के सितंबर में भी ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण रेंज से इसी तरह की मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए गए थे। राजस्थान के जैसलमेर में स्थित पोखरण फायरिंग रेंज में यह परीक्षण हुआ। इसकी खासियत बहुत छोटी दूरी में भी बेहद तेजी से प्रतिक्रिया देना और सटीक वार करना है। कुल मिलाकर यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, ड्रोन या अन्य हवाई खतरों को निशाना बनाकर नष्ट करने में सक्षम है।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि इस प्रणाली के मिसाइलों का विकास पूरा हो चुका है और दो उत्पादन एजेंसियों के साथ विकास सह उत्पादन भागीदारी (डीसीपीपी) का करार किया गया है। इन परीक्षणों में डीसीपीपी के माध्यम से बनाई गई मिसाइलों का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप कम समय में प्रारंभिक यूजर परीक्षणों और उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।’