नई दिल्ली: भारत में पिछले 10 साल से प्रतिबंधित होने के बावजूद चीनी लहसुन के अवैध रूप से बिकने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच तक ये मामला पहुंचा है और कोर्ट ने 30 सितंबर को हुई सुनवाई में इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने भारत सरकार से भी पूछा है कि प्रतिबंध के बावजूद चीनी लहसुन देश में कैसे पहुंच रहा है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि ऐसे प्रतिबंधित वस्तुओं के प्रवेश के स्रोत के बारे में क्या पता लगाने की कोई कोशिश हुई है और सरकार इसे कैसे रोकेगी।
चीनी लहसुन की ये पूरी कहानी क्या है? चीनी लहसुन पर क्यों बैन लगाया गया था? बैन के बावजूद ये भारत में कैसे बिक रहा है, मामला कोर्ट तक कैसे पहुंचा और सबसे बड़ा सवाल कि अगर आप सब्जी खरीदने गए हैं तो बाजार में इसे पहचानेंगे कैसे…पूरी डिटेल जानने की कोशिश करते हैं।
चीनी लहसुन का मामला कोर्ट तक कैसे पहुंचा?
असल में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता मोतीलाल यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि चीनी लहसुन सेहत के लिए खतरनाक है और इसमें तय मात्रा से ज्यादा पेस्टिसाइड और केमिकल्स का इस्तेमाल होता हैं। याचिकाकर्ता ने बताया है कि भारत सरकार ने इस पर 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद ये धड़ल्ले से आज भी बिक रहा है और कम कीमत होने की वजह से लोग इसे खरीदते भी हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार चीन से आने वाले इस लहसुन में एक प्रकार का फंगस भी है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है और स्लो पवॉइजन की तरह करता है। मोतीलाल यादव अपने साथ आधा किले चीनी लहसुन और देशी लहसुन भी लेकर कोर्ट में पहुंचे थे। इसके बाद कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सरकार को नोटिस जारी किया और पूछा कि बैन के बावजूद ये कैसे भारत के बाजारों में बिक रहा है।
कोर्ट ने साथ ही लहसुन की जांच के भी आदेश दिए। कोर्ट ने एडिशनल फूड सेफ्टी कमिश्नर को तलब किया और कहा कि यह लहसुन सील कवर में ले जाइए और इसका परीक्षण कराइए कि यह किस हद तक हानिकारक है। जांच की रिपोर्ट 15 दिन में देने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।
कोर्ट ने एक हेल्पलाइन जारी करने का भी निर्देश दिया ताकि लोग इस पर फोन कर जानकारी दे सकें कि कहां-कहां इसकी बिक्री हो रही है। साथ ही कोर्ट ने सरकार से लोगों को चीनी लहसुन के नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए भी कदम उठाने को कहा।
क्यों लगा बैन…क्या है नुकसान और भारत कैसे पहुंच रहा है चीनी लहसुन?
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि चीनी लहसुन की तस्करी नेपाल और बांग्लादेश के सीमा से होती रहती है। इसमें भी ज्यादातर चीनी लहसुन नेपाल के रास्ते तस्करी के जरिए लाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले चीन से लहसुन को नेपाल की मंडियों में पहुंचाया जाता है। इसके बाद वहां से आढ़ती और तस्कर चोरी-छुपे भारत में ले आते हैं। कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में चीनी लहसुन के 110 बोरी जब्त किए गए थे। इसे पिकअप ट्रक में लादकर लाया जा रहा था।
इससे पहले 11 सितंबर को भी महाराजगंज में ही चीनी लहसुन की कई बोरियां जब्त की गई थी। इन्हें नेपाल से लाया जा रहा था। भारत में जब-जब लहसुन की कीमतें बढ़ती हैं तो चीनी लहसुन की सप्लाई तेज हो जाती है। चीनी लहसुन भारतीय लहसुन के मुकाबले 60 से 80 रुपये तक सस्ता होता है। इस साल भी लहसुन की पैदावार कम होने की वजह से चीनी लहसुन बड़ी मात्रा में सीमा पार से लाई जा रही है।
भारत में चीनी लहसुन पर बैन क्यों लगाया गया है, इसे भी जान लीजिए। दरअसल, केंद्र सरकार ने टेस्टिंग के बाद 2014 में चीनी लहसुन पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह भारतीय मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया था। इसके पैदावार के लिए कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल की बात सामने आई थी जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जानकारों के अनुसार इसके इस्तेमाल से पेट संबंधी बीमारी हो सकती है। साथ ही किडनी पर भी ये चीनी लहसुन बुरा असर डाल सकता है।
चीनी और भारतीय लहसुन की पहचान कैसे करें?
इस पूरे विवाद के बीच बड़ा सवाल ये भी है कि तमाम प्रतिबंधों के बावजूद जब चीनी लहसुन भारत में पहुंच रहा है तो इसकी पहचान कैसे की जाए। जब कोई आम आदमी बाजार में पहुंचे तो कैसे पहचानें कि कौन सा लहसुन चीनी है और कौन सा भारत का है। इसे पहचानने के ये तरीके हैं-
1. चीनी लहसुन ज्यादा चमकदार, उजले और साइज में बड़े होते हैं। ये आपको देखनें में काफी अच्छे लगेंगे लेकिन सेहत के लिए ये खतरनाक है। ये मान कर चलिए कि देसी लहसुन की 3 या 4 कलियां चीनी लहसुन की एक कली के बराबर होती हैं।
2. देसी लहसुन की कलियां बारीक और पतली होती हैं। दूसरी ओर चीनी लहसुन की कलियां ज्यादा खिली हुईं और मोटी-मोटी होती हैं।
3. यहां ये भी जान लीजिए कि चीनी लहसुन के लिए कैमिकल्स का भी इस्तेमाल होता है। इसलिए यह पूरी सफेद, साफ और चमकदार नजर आती है। इसकी छाल पर हल्की नीली और बैंगनी रंग भी नजर आता है। देसी लहसुन कुछ क्रीमी (भूरापन) या पीलापन लिए हुए होता है।
4. एक और बड़ा अंतर ये भी है कि चीनी लहसुन की गंध बहुत कम होती है। वहीं, देसी लहसुन की गंध बहुत तेज होती है और इसे काटते ही सूंघा जा सकता है।
5. एक और अहम अंतर ये भी है कि देसी लहसुन को छीलने में काफी दिक्कत होती है। इसका छिलका हाथों में बहुत चिपकता है। चीनी लहसुन का छिलका काफी आसानी से हट जाता है और ये चिपकता भी नहीं है।
बताते चलें कि भारत दुनिया भर में सबसे अधिक लहसुन उत्पादन करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर चीन है। तीसरे स्थान पर बांग्लादेश आता है। दुनिया भर में कुल लहसुन उत्पाद का करीब 75 प्रतिशत चीन से आता है। यही वजह है कि जब वो भारत के बाजारों में आता है तो कम कीमतों पर बिकता है। भारत में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा मात्रा में लहसुन पैदा करते हैं।