लखनऊ: विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के दावे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय से इस पर अधिक जानकारी मांगी है। बुधवार को कोर्ट ने भारत सरकार से उसके प्रस्तावित निर्णय के बारे में विवरण देने को कहा है।
मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच कर रही है। पीठ ने एएसजी सूर्य भान पांडे को इस मामले पर गृह मंत्रालय से जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया है।
दरअसल, इस संबंध में कर्नाटक के भाजपा नेता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में राहुल गांधी की ब्रिटेन नागरिकता की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को कोर्ट ने कहा है कि अभी राहुल गांधी की नागरिकता पर कोई बात नहीं होगी। पीठ ने कहा है कि वह अभी भारत सरकार के निर्णय को जानने की कोशिश करेंगे।
जुलाई में ऐसी ही याचिका हुई थी खारिज
इससे पहले इसी साल जुलाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिशिर को इसी तरीके की याचिका को वापस लेने को कहा था। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकार्ता को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने की अनुमति भी दी थी।
बुधवार की सुनवाई में याचिकार्ता ने पीठ से कहा कि पिछली याचिका खारिज होने के बाद उसने इस संबंध में गृह मंत्रालय के सामने दो रिप्रेजेंटेशन पेश किए थे।
इन रिप्रेजेंटेशन में राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश राष्ट्रीयता के आधार पर उनकी भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की गई है। शिशिर ने दावा किया है कि मामले में उन्होंने खुद से इसकी जांच की है और पाया है कि राहुल गांधी के पास कथित ब्रिटिश नागरिकता है।
शिशिर ने क्या दावा किया है
शिशिर ने कोर्ट में दावा किया है कि वीएसएस सरमा नामक एक शख्स ने कथित ब्रिटेन सरकार के उस ईमेल को उनके साथ शेयर किया है जिसमें उनकी ब्रिटिश नागरिकता की जानकारी दी गई है।
याचिकार्ता ने कोर्ट में कहा है कि यूके डेटा संरक्षण कानूनों के कारण ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। उन्होंने यूके के उन कानूनों का भी हवाला दिया जिसमें राहुल गांधी की इजाजत के बिना उनके निजी जानकारियों का पूरा विवरण शेयर नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने क्या कहा
याचिका में सीबीआई जांच की मांग पर बोलते हुए पीठ ने कहा कि कोर्ट पहले भारत सरकार के फैसले को सुनना चाहेगी। कोर्ट ने आगे कहा कि वह गृह मंत्रालय से यह जानने की कोशिश करेगा कि इस संबंध में केंद्र को कोई रिप्रेजेंटेशन प्राप्त हुआ है या नहीं।
साथ में यह भी जानने की कोशिश की जाएगी की भारत सरकार ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है। मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। बता दें कि इसी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने भी एक याचिका दायर की है। यह मामला अभी भी दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।