कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने एतिहासिक जीत दर्ज की है। उन्होंने इसकी जानकारी एक्स पर एक पोस्ट में दी है। अनुरा के चुनाव जीतने से श्रीलंका के एतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब कोई वामदल का नेता राष्ट्रपति बनेगा।
अपनी जीत पर बोलते हुए अनुरा ने कहा है कि “सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोगों की एकता एक नई शुरुआत का आधार है।” श्रीलंका के चुनाव आयोग ने अनुरा कुमारा दिसानायके के जीत का ऐलान किया है।
आयोग के अनुसार, अनुरा को इस चुनाव में 42.31 फीसदी वोट मिले हैं जबकि विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा दूसरे स्थान पर थे। इस चुनाव में विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर थे। अनुरा सोमवार 23 सितंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ ले सकते हैं।
The dream we have nurtured for centuries is finally coming true. This achievement is not the result of any single person’s work, but the collective effort of hundreds of thousands of you. Your commitment has brought us this far, and for that, I am deeply grateful. This victory… pic.twitter.com/N7fBN1YbQA
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) September 22, 2024
भारत के राजदूत ने अनुरा से की मुलाकात
राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे के ऐलान के बाद श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने रविवार रात को श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अनुरा से मुलाकात की है। वे उनसे मुलाकात करने वाले पहले राजदूत हैं।
HC @santjha called on 🇱🇰 President-elect @anuradisanayake. Conveyed greetings from India’s leadership and congratulated him on winning the people’s mandate. 🇮🇳 as 🇱🇰’s civilisational twin is committed to further deepen ties for the prosperity of the people of our two countries. pic.twitter.com/l5qUxmAcA1
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) September 22, 2024
श्रीलंका के इतिहास में दूसरी वरीयता में हुई है वोटों की गिनती
श्रीलंका के चुनाव आयोग के अध्यक्ष आरएलएएम रत्नायके ने रविवार को ऐलान किया था कि राष्ट्रपति चुनाव की गिनती में किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक संख्या में वोट नहीं मिले है। इस कारण वोटों की दोबारा गिनती की जाएगी और जिस उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिलेंगे उसकी जीत होगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1981 के तहत राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी वोट मिलना जरूरी है। ऐसे में वोटों की गिनती के दौरान किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी वोट नहीं मिले थे जिसके बाद दोबारा मतगणना हुई थी। यह श्रीलंका की इतिहास में पहली बार हुआ है।