नई दिल्ली: सीपीआई (M) के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। वह दिल्ली के एम्स में गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती थे और एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (सांस की नली में संक्रमण) का इलाज चल रहा था। पिछले कुछ दिनों से उनका उपचार डॉक्टरों की एक विशेष टीम कर रही थी और वे रिस्पायरेट्री सपोर्ट पर थे। उन्हें 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। येचुरी 2015 में प्रकाश करात के बाद सीपीएम के महासचिव बने थे।
मकपा नेता सीताराम येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्य सभा के सांसद रहे। वे 1992 से ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के भी सदस्य थे। साल 1974 में छात्र जीवन में वे स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हुए थे। एक साल बाद ही पार्टी के सदस्य बन गए। इसी दौर देश में इंदिरा गांधी की सरकार ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। इस दौरान येचुरी कुछ महीनों के लिए जेल भी गए।
सीताराम येचुरी: मद्रास में ब्राह्मण परिवार में जन्म
सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (अब चेन्नई) में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे। जबकि मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं। 10वीं तक की उनकी पढ़ाई हैदराबाद में हुई। इसके बाद वे दिल्ली आ गए।
सीताराम येचुरी ने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की। इमरजेंसी के समय वे जेएनयू के ही छात्र थे और इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
गठबंधन सरकारों के दौर में बड़ी भूमिका
पार्टी के दिवंगत नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के साथ कम करते हुए राजनीति सीखने वाले सीताराम येचुरी ने देश में गठबंधन सरकारों के दौर में वीपी सिंह की नेशनल फ्रंट गवर्मेंट और 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार (यूनाइटेड फ्रंट गवर्मेंट) के दौरान बड़ी भूमिका निभाई थी। दोनों ही सरकारों को सीपीआई (एम) ने तब बाहर से समर्थन दिया था।
सीताराम येचुरी यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी सुर्खियों में रहे जब वाम दलों ने इसे समर्थन दिया। साथ ही अक्सर नीति-निर्माण में कांग्रेस के नेतृत्व वाले शासन पर दबाव भी डालने में कामयाब रहे। येचुरी यूपीए-1 के दौरान भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर सरकार के साथ वाम दलों की नाराजगी दूर करने के लिए बातचीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका में थे। हालांकि प्रकाश करात के अड़ियल रुख के आगे वाम दलों को यूपीए-1 सरकार से तब समर्थन वापस लेना पड़ा था।
येचुरी के निधन पर पीएम मोदी ने क्या कहा
पीएम मोदी ने एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘श्री सीताराम येचुरी जी के निधन से दुःख हुआ। वह वामपंथ के अग्रणी प्रकाश थे और सभी राजनीतिक स्पेक्ट्रम से जुड़ने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने एक प्रभावी सांसद के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।’
Saddened by the passing away of Shri Sitaram Yechury Ji. He was a leading light of the Left and was known for his ability to connect across the political spectrum. He also made a mark as an effective Parliamentarian. My thoughts are with his family and admirers in this sad hour.… pic.twitter.com/Cp8NYNlwSB
— Narendra Modi (@narendramodi) September 12, 2024