क्या राहुल गांधी की छवि के लिए सबसे बड़ी बाधा उनके टेक गुरु सैम पित्रोदा ही हैं जो अमेरिका में रहते हैं और कांग्रेस का खेल खराब करते रहे हैं। अभी राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान सैम पित्रोदा ने कह दिया कि राहुल गांधी अब पप्पू नहीं हैं।
तो सवाल है कि क्या राहुल गांधी पहले पप्पू थे। क्या सैम पित्रोदा को ऐसा कहना शोभा देता है कि राहुल गांधी अब पप्पू नहीं हैं। इससे तो यही संदेश निकलता है कि अब वो बेहतर नेता हो गए हैं, पहले कमियां थीं यानी वो पप्पू थे, अब पप्पू नहीं हैं।
जब बीजेपी के लोग भी राहुल गांधी को पप्पू नहीं कहते। कभी राहुल गांधी पर बेहद तीखी टिप्पणी करने वाले स्मृति इरानी भी जब राहुल की प्रशंसा करने लगी हैं, उस वक्त सैम पित्रोदा का राहुल गांधी को ये बताते हुए कि वो पप्पू नहीं हैं, फिर से पप्पू शब्द को जिंदा करना कुछ सवाल कुछ शंका पैदा करता है।
अब सवाल है कि पित्रोदा मासूम हैं या खुर्राट या फिर एक ऐसा शातिर नेता जो राहुल गांधी को पप्पू नहीं हैं ये कहकर कांग्रेस को ही पप्पू बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बेशक राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं। विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी तेवर में दिखते हैं।
इस चुनाव में उनकी कोशिशों ने कांग्रेस को सत्ता भले नहीं दिलायी, जीवनदान तो जरूर दिलाया है। ऐसे में राहुल गांधी को पप्पू कौन कह सकता है। अगर कांग्रेस ने सैम पित्रोदा को नियंत्रित नहीं किया तो वो कांग्रेस के अगले दिग्विजय सिंह या मणिशंकर अय्यर बन सकते हैं।