पटना: गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को चार दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। अब इन चारों दोषियों को फांसी नहीं दी जाएगी, बल्कि वे उम्रकैद की सजा काटेंगे।
चार आरोपियों—हैदर अली, मोजीबुल्लाह, नोमान और इम्तियाज को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जबकि उमर और अजहरुद्दीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी। आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
बुधवार को पटना हाई कोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा को बदलते हुए उन्हें 30 साल की उम्रकैद की सजा सुनाई। जबकि उमर और अजहरुद्दीन को पहले से दी गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई। अधिकांश आरोपी झारखंड के रांची के सिथियो के निवासी हैं। वे वर्तमान में पटना के बेउर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
दोषियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में करेंगे अपील
दोषियों के वकील इमरान गनी ने कहा, “पटना हाई कोर्ट की जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। इस फैसले में चार लोगों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया है।” गनी ने कहा कि वह अपने मुवक्किलों को जेल से बाहर निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में कुल 11 लोगों पर मुकदमा चलाया गया, जिसमें एक किशोर भी शामिल है, जिसे 3 साल की सजा सुनाई गई। उन्होंने बताया कि एक अन्य आरोपी फकरुद्दीन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि आरोपी इफ्तिखार आलम, फिरोज असलम और अहमद हुसैन को कम सजा दी गई।
2013 में पीएम मोदी की हुंकार रैली मे हुआ था ब्लास्ट
यह मामला 27 अक्टूबर 2013 का है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की पटना में एक रैली के दौरान सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि 82 लोग घायल हो गए थे। जिनमें कई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
250 लोगों की हुई थी गवाही
गांधी मैदान और उसके आसपास 17 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (जिनमें से सात में विस्फोट हो गया था) बरामद किए गए थे। पटना जंक्शन पर शौचालय के अंदर बम रखते समय तारिक अंसारी नामक एक आरोपी की मौत हो गई थी। एनआईए ने 6 नवंबर 2013 को यह मामला अपने हाथ में लिया और कई जगहों पर छापेमारी के बाद छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। कुल मिलाकर 250 अभियोजन पक्ष के गवाहों ने जिरह के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष गवाही दी थी।
सभी आरोपी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के संदिग्ध सदस्य थे। इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना के तुरंत बाद एनआईए जांच की मांग की थी, जिसके बाद एजेंसी ने 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी। मामले में 187 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई थी।