नई दिल्ली: भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में पिछले कछ महीनों से जारी तनातनी क्या कम होने लगी है? इसके संकेत हाल के कुछ वाकये दे रहे हैं। इस साल की शुरुआत में भारत द्वारा मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के बाद पहली बार नई दिल्ली और माले के बीच शुक्रवार को शीर्ष अधिकारियों के स्तर पर रक्षा सहयोग को लेकर बातचीत हुई। दिल्ली में हुई इस बैठक में मौजूदा ‘चल रही रक्षा सहयोग परियोजनाओं’ और ‘आगामी द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों’ पर चर्चा हुई। भारत और मालदीव के बीच यह 5वीं रक्षा सहयोग वार्ता है।
यह दिलचस्प इसलिए है क्योंकि पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ कैंपेन का नेतृत्व करते हुए मालदीव की सत्ता पर पहुंचे थे। इसके बाद से भारत और मालदीव के रिश्तों में तल्खी नजर आ रही थी। इससे पहले दोनों देशों के बीच आखिरी रक्षा सहयोग वार्ता पिछले साल मार्च में माले में हुई थी जब तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह कुर्सी पर थे।
भारत और मालदीव के बीच 5वीं रक्षा सहयोग वार्ता पर रक्षा मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने किया। वहीं, मालदीव के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के प्रमुख जनरल इब्राहिम हिल्मी ने किया। बयान में कहा गया है कि वार्ता ‘प्रोडक्टिव’ रही जो निकट भविष्य में दोनों देशों के साझा हितों को आगे बढ़ाएगी और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाएगी।
Strengthening the defence ties, India and Maldives held 5th Defence Cooperation Dialogue in New Delhi today. Discussions were on expediting ongoing projects, high-level exchanges, capability development & bilateral military exercises.
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— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) September 6, 2024
चीन की तरफ मोहम्मद मुइज्जू का रहा है झुकाव
पिछले साल नवंबर में मालदीव का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद मोहम्मद मुइज्जू अपने पहले विदेश दौरे पर तुर्की गए थे। इसके बाद जनवरी में चीन गए थे। आमतौर पर मालदीव के राष्ट्रपति सबसे पहले भारत दौरे पर आते रहे हैं। हालांकि मुइज्जू ने अलग रणनीति अपनाई। चुनाव से पहले मालदीव में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को भी उन्होंने भरपूर समर्थन दिया था।
यही नहीं, राष्ट्रपति पद संभालने के कुछ ही दिनों बाद मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैन्य कर्मियों को भारत को वापस बुलाने को कहा। इस कदम ने और कड़वाहट भर दी। दोनों देश इस साल 2 फरवरी को सहमत हुए कि भारत 10 मार्च से 10 मई के बीच मालदीव में तैनात अपने 80 से अधिक सैन्य कर्मियों को हटा लेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव में मौजूद दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान का संचालन अब ‘सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों’ द्वारा किया जाएगा।
दोनों देशों के नेताओं के दौरों से पिघली बर्फ!
भारतीय सैन्य कर्मियों के वापस बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने इस साल मई में भारत का दौरा किया। करीब एक महीने बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया। वहीं, अगस्त में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद मालदीव की पहली उच्च स्तरीय यात्रा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर माले पहुंचे। इन लगातार दौरों के बाद ऐसे संकेत मिल रहे हैं रिश्ते वापस पटरी पर लौट रहे हैं। हालांकि, वाकई ऐसा हो रहा है या नहीं, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी।
भारत देता रहा है मालदीव को सहयोग
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अगस्त मालदीव के अपने समकक्ष मूसा मीर के साथ संयुक्त रूप से अड्डू रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट और अड्डू शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने के बाद कहा था, ‘मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख भागीदार है और यह हमारी पड़ोस-प्रथम नीति के केंद्र में है। दोनों देशों के बीच सहयोग पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़ गया है और आज एक आधुनिक साझेदारी बनने की आकांक्षा रखता है।’
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मालदीव में क्षेत्रीय विकास से जुड़े महत्व को समझते हुए अड्डू में लगभग 220 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इससे पहले 2022 में मालदीव में नेशनल कॉलेज ऑफ पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट स्टडीज का उद्घाटन भी किया गया था जो 30 मिलियन डॉलर की भारतीय अनुदान-वित्त पोषित परियोजना थी। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की साइट का भी दौरा किया था, जो मालदीव में भारत की प्रमुख परियोजना है। वर्तमान में भारत और मालदीव 65 विकास परियोजनाओं पर सहयोग कर रहे हैं।
साल 2020 में भारत ने मालदीव को एक डोर्नियर विमान तोहफे में दिया था। इसके अलावा 2019 में एक गश्ती जहाज भी सौंपा था। वहीं, पिछले साल भारत ने माले को एक तटीय रडार प्रणाली भी दी थी।
पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके तत्कालीन मालदीव समकक्ष मारिया डीडी ने सिफावारु में कोस्ट गार्ड ‘एकथा हार्बर’ की आधारशिला रखी थी। यह मालदीव में भारतीय सहयोग से शुरू हुई सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। इस का उद्देश्य मालदीव तटरक्षक बल की क्षमताओं को मजबूत करना, क्षेत्रीय मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयासों को और बेहतर बनाना था।
इससे एक साल पहले पीएम मोदी और तत्कालीन मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (जीएमसीपी) की शुरुआत की थी। यह भारत द्वारा वित्त पोषित 500 मिलियन डॉलर की परियोजना है। पीएम मोदी ने यह भी घोषणा की थी कि भारत 24 वाहन और एक नौसैनिक नाव प्रदान करेगा। साथ ही देश के 61 द्वीपों पर पुलिस सुविधाओं का निर्माण करेगा।