कटक: ओडिशा के कटक में पुलिस ने रावेनशॉ यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर छात्रों और पूर्व छात्रों के बीच एक झड़प के मामले में बीजू जनता दल (बीजद) के तीन नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनमें एक पार्टी के विधायक ब्योमकेश रे भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ एफआईआर हुई है। पूरा विवाद रावेनशॉ यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के के प्रस्ताव को लेकर है।
कटक में मालगोडाउन पुलिस ने विश्वविद्यालय के शोध छात्र श्यामा सुंदर साहू की शिकायत के आधार पर चंदाबली के विधायक ब्योमकेशन रे, बीजद प्रवक्ता लेनिन मोहंती और बीजद छात्र विंग के नेता बॉबी खान सहित कुछ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
क्या हुआ था?
मामला आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 सहित भारतीय न्याय संहिता की धारा 115 (2) (स्वेच्छा से दूसरों को चोट पहुंचाना), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 296 (अश्लील कृत्य), 3 (5) (सामान्य इरादा), धारा 351 (3) (चोट पहुंचाने की धमकी देना) के तहत दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि बुधवार शाम बीजद विधायक और अन्य दो आरोपियों के नेतृत्व में कुछ लोग विश्वविद्यालय परिसर में घुस आए और उसे धक्का दिया जब वह दोस्तों से बात कर रहे थे।
एफआईआर के नुसार बीजद नेताओं ने शिकायतकर्ता और अन्य लोगों को परिसर छोड़ने के लिए कहा क्योंकि वे एक मशाल रैली वहां आयोजित करना चाहते थे। एफआईआर के मुताबिक यूनिवर्सिटी में घुसे बाहरी लोग उग्र हो गए और उन्होंने गाली-गलौच करते हुए छात्रों पर हमला किया और शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों को बंदूक से धमकाया।
‘सेव रावेनशॉ लिगेसी’ के बैनर तले आयोजित रैली में पूर्व छात्र और कुछ छात्र भी शामिल थे। इन सभी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ नारे लगाते हुए लगभग 2 किमी तक मार्च किया। इसके बाद ये कैंपस में दाखिल होने लगे और इसी दौरान विवाद शुरू हुआ। दरअसल अखिल विद्यार्थी भारतीय परिषद (ABVP) से जुड़े छात्रों ने इनका विरोध किया और इस तरह झड़प की स्थिति पैदा हो गई।
क्या है रावेनशॉ यूनिवर्सिटी का नाम बदलने का विवाद
दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल में थॉमस एडवर्ड रेवेनशॉ के नाम पर 156 साल पुराने संस्थान का नाम बदलने का सुझाव दिया था। रेवेनशॉ एक ब्रिटिश नौकरशाह था जिसने इस यूनिवर्सिटी की स्थापना में मदद की थी। विवाद और विरोध के बीच धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि यह उनका व्यक्तिगत सुझाव था ताकि इस पर बात हो सके। प्रधान ने 1866 के अकाल में करीब 10 लाख से ज्यादा उड़िया लोगों की मौत का जिम्मेदार भी रावेनशॉ को बताया था।
बहरहाल, यूनिवर्सिटी कैंपस में तनाव को देखते हुए विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुरोध पर परिसर में पुलिस तैनात कर दी गई है। वहीं, बीजद ने अपने नेताओं के खिलाफ एफआईआर की आलोचना करते हुए कहा है कि झूठे आरोप लगाए गए हैं। पार्टी ने कहा कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध मार्च आयोजित किया गया था।