शिमला: हिमाचल प्रदेश में बुधवार को कांग्रेस की सरकार ने एक नया विधेयक पास किया है। इस बिल को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किए गए सदस्यों के पेंशन लाभ रोकने के लिए लाया गया है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पेश किया था। इसके बाद बुधवार को ध्वनि मत से विधेयक पारित हो गया है।
हालांकि विधेयक को लेकर विपक्ष ने विरोध भी किया था लेकिन इसके बावजूद बिल को पारित कर लिया गया है। विपक्ष ने विधेयक में किए गए संशोधन को राजनीतिक द्वेष भावना से भरा बताया है।
राज्य में कांग्रेस की सरकार द्वारा यह कदम तब उठाया गया है जब इसी साल की शुरुआत में पार्टी के छह विधायक अयोग्य घोषित किए गए थे। इस बिल का सीधा असर भी इन विधायकों को ही पड़ेगा।
विधेयक में क्या कहा गया है
विधेयक में यह कहा गया है कि संविधान की 10वीं अनुसूची जो दल-बदल विरोधी से संबंधित है, के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी व्यक्ति अब पेंशन का हकदार नहीं होगा। यही नहीं अगर वे पेंशन से वंचित भी हो जाते हैं तो पूर्व विधायकों से पिछली रकम भी वसूली जाएगी।
विधेयक के पारित होने के बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। राज्यपाल के मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। अगर यह बिल पास हो जाता है तो अयोग्य विधायकों के पेंशन रोकने वाला यह कानून देश का पहला कानून होगा।
6 विधायकों में केवल 2 ही जीत पाए थे उपचुनाव
इसी साल के शुरुआत में 2024 और 25 के बजट पारित होने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों ने मतदान से दूरी बनाई थी। इन विधायकों में सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भी शामिल थे।
ऐसे में मतदान से दूर रहने और पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए इन विधायकों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। इसके आलाव इन सभी विधायकों ने फरवरी में राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन का भी समर्थन किया था। इन सभी कारणों के चलते इन्हें अयोग्य ठहराया गया था।
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भाजपा की टिकट पर लड़े थे विधायक उपचुनाव
बाद में ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़ा था। इस उपचुनाव में केवल दो ही विधायक फिर से जीत दर्ज कर पाए थे बाकी को हार का सामना करना पड़ा था। इन विधायकों में धर्मशाला से सुधीर शर्मा और बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल ही केवल उपचुनाव जीत पाए थे।