क्या विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनाव लड़वाने और जिताने- हराने वाले प्रशांत किशोर बिहार में अगले चुनाव में कोई बडा चमत्कार दिखाने वाले हैं। जो अपनी विशेष चुनावी रणनीति के कारण देश भर में चाणक्य बने फिरते हैं क्या वो अब चंद्रगुप्त बनना चाहते हैं।
यानी दूसरे को किंग बनाने वाले किंगमेकर की जगह खुद ही किंग बनने की तमन्ना प्रशांत किशोर की है। या फिर ना खेंलेगे ना खेलने देंगे की तर्ज पर खेल बिगाड़ने वाले अंदाज में वो अगले विधानसभा चुनावों में उतरने वाले हैं।
प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा और उसके साये में चलने वाली पार्टी से एनडीए को नुकसान होगा या महागठबंधन को, ये सवाल भी लोगों के सामने है। मगर फिलहाल तो इतना ही है कि बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से भी ज्यादा वक्त है लेकिन उसकी सरगर्मी अभी से तेज हो गई है।