नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल के विधानसभा में मंगलवार पास हुए एंटी रेप बिल को लेकर केंद्र ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर ट्रेनी डॉक्टर की मौत का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 11 नवंबर, 2018 को लिखे एक पत्र की प्रति साझा करते हुए दावा किया कि ममता बनर्जी पिछले महीने हुए इस अपराध को रोकने में कार्रवाई करने में विफल रहीं और अब राजनीतिक फायदे के लिए अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) विधेयक 2024 लाई हैं।
केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर 2018 में लिखे इस पत्र को साझा करते हुए कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं। किरेन रिजिजू ने लिखा कि बहुत सख्त कानून जरूरी हैं, लेकिन सख्त कार्रवाई उससे भी ज्यादा जरूरी है। जब पत्र लिखा गया था, तब मीडिया ने इस खबर को बड़े पैमाने पर चलाया था, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार कार्रवाई करने में विफल रही!
रिजिजू ने बताया कि 2018 में, संसद ने बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए एक कड़ा कानून पारित किया, जिसका उद्देश्य लंबित बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम मामलों के शीघ्र समाधान के लिए फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की स्थापना करना था। लेकिन 2019, 2020 और 2021 में कई संचार के बावजूद, टीएमसी सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत इस केंद्र प्रायोजित योजना पर सहमति नहीं दी।
This is an extremely serious matter. Please don’t make it political issue. Very strong laws are necessary but strong actions are more important. When the letter was written, media had carried this news extensively, but West Bengal Govt failed to act! https://t.co/dtmidg4pP6
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 4, 2024
पत्र में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल राज्य के लिए 20 ईपीओसीएसओ अदालतों सहित 123 एफटीएससी चिन्हित किए गए थे, लेकिन राज्य सरकार की सहमति नहीं मिली। रिजिजू ने कहा कि उन्हें दुख हुआ कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों के लिए शीघ्र न्याय प्रदान करने के अपने “सबसे पवित्र कर्तव्य” की अनदेखी की।
किरेन रिजिजू का यह जवाब पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित राज्य के बलात्कार विरोधी विधेयक के एक दिन बाद आया है, जिसे भाजपा ने भी समर्थन किया है। इस बिल में रेप के दोषी को 10 के भीतर फांसी का प्रावधान किया गया है। साथ ही दोषी के परिवार पर आर्थिक जुर्माना का भी प्रावधान है।
इसके अलावा, यह बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन (आखिरी सांस तक) कारावास का प्रावधान भी करता है। इस विधेयक के तहत दुष्कर्म के मामलों की जांच 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी, जो पहले दो महीने की समय सीमा से कम है।