क्या केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी पर टूट का खतरा मंडरा रहा है। क्या फिर से तीन साल पहले वाली स्थिति बन रही है जब चिराग पासवान अकेले रह गए थे और उनकी पार्टी के बाकी पांच सांसद चाचा पशुपति पारस के साथ चले गए थे।
क्या मोदी सरकार के अंदर मंत्री रहते हुए भी गठबंधन धर्म का पालन ना करना चिराग पर भारी पड़ रहा है। और क्या इसीलिए पिछले दिनों उनकी नींद हराम हो गई थी।
दरअसल अब तक मोदी सरकार के जो भी फैसले सुर्खियों में आए, उनमें से ज्यादातर फैसलों से चिराग असहमत नजर आए और उस असहमति का उन्होंने सार्वजनिक प्रदर्शन भी किया। एक सांसद के रूप में भी वो असहमति चल जाती, लेकिन एक कैबिनेट मंत्री के रूप में कैबिनेट के फैसलों से ही असहमति सरकार के लिए अच्छा संदेश नहीं देती।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि जब चिराग पासवान ने सरकार का लिहाज नहीं रखा और जिस सरकार में माननीय मंत्री हैं, उसको ही असहज करने लगे तो बीजेपी ने भी उनका खयाल नहीं रखा।
बीजेपी के सियासी खेल को चिराग तीन साल पहले देख चुके थे जब पूरी पार्टी चचा के साथ चली गई थी और चिराग जिनके हनुमान बनते हैं, उस प्रधानमंत्री मोदी ने चिराग के चचा पशुपति पारस को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर चिराग को समझा दिया था कि विरासत में पद और पार्टी मिल सकते हैं लेकिन उसको संभालकर रखने की बुद्धि नहीं मिल सकती।
अबकी बार भी ऐसे ही आसार बनने लगे। इधर चिराग अपनी ही सरकार के खिलाफ स्टैंड लेने लगे और उधर उनकी पार्टी में टूट की अटकलें शुरु होने लगी।
इतना ही काफी नहीं था कि पशुपति पारस को दिल्ली बुला लिया गया। लोकसभा चुनाव से पहले से ही जो पशुपति पारस एनडीए में होकर भी बिल्कुल अलग थलग पड़े थे, वो अचानक बीजेपी की आंखों के तारे हो गए।
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ऐसे तारे हो गए कि जिनके साथ ना कोई सांसद ना विधायक, उस पशुपति पारस को दिल्ली बुलाकर खुद गृह मंत्री अमित शाह ने मुलाकात की। अब ये महज संयोग था या कोई जानबूझकर किया गया प्रयोग कि इसी बीच चिराग की पार्टी में बगावत की खबर आई।
इस खबर ने चिराग पासवान के आसमान छूते बोल को जमीन पर पटक दिया। दौड़े दौड़े गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए पहुंचे बाकायदा फूलों का गुलदस्ता लेकर।
वहां से लौटे तो पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रंग में रंगे हुए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्वास की डोज लेकर खड़े हो गए। बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तो वो अलग हो ही नहीं सकते।
मोदी के लिए अपने प्यार को अटल बताया और ये भी कहा कि कोई कुछ भी कहे, लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी के साथ मिलकर ही लड़ेंगे। चिराग अब भले ही कह रहे हैं कि ऑल इज वेल लेकिन राजनीति में कितना ऑल इज वेल होता है ये तो समय के साथ ही तय होता है