नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस (INS) अरिघात को नौसेना में शामिल कर लिया गया है। गुरुवार को विशाखापत्तनम में यह पनडुब्बी स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का हिस्सा बन गया है। यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है।
इससे पहले साल 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को जंगी बेड़े में शामिल किया था। इस पनडुब्बी के शामिल होने के बाद भारत के पास दो एसएसबीएन न्यूक्लियर सबमरीन हो गए हैं।
Second Arihant-Class submarine ‘INS Arighaat’ commissioned into Indian Navy in the presence of Raksha Mantri Shri @rajnathsingh in Visakhapatnam.
PM Modi-led Govt is working on mission mode to equip soldiers with top-quality weapons & platforms: RMhttps://t.co/yV0NDIKYmV pic.twitter.com/KZ8MFgQlyc
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 29, 2024
कमीशनिंग के मौके पर रक्षा मंत्री ने क्या कहा
अरिघात के कमीशनिंग के मौके पर रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि यह भारत की सुरक्षा को और मजबूत करेगी, परमाणु प्रतिरोध को बढ़ाएगी, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगी। उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए एक उपलब्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के अटूट संकल्प का प्रमाण बताया है।
रक्षा मंत्री ने नौसेना और डीआरडीओ की तारीफ की है
राजनाथ सिंह ने इस क्षमता को हासिल करने में कड़ी मेहनत और तालमेल के लिए भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और उद्योग की सराहना की है। उन्होंने इस आत्मनिर्भरता को आत्मशक्ति की नींव बताया है।
रक्षा मंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि इस परियोजना के माध्यम से देश के औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर एमएसएमई को भारी बढ़ावा मिला है और रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं।
भारत के एक विकसित देश बनने के लिए बढ़ रहा है आगे-रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने कहा, “आज, भारत एक विकसित देश बनने के लिए आगे बढ़ रहा है। विशेषकर आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में रक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना हमारे लिए आवश्यक है।”
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “हमें आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ मजबूत सेना की भी जरूरत है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है कि हमारे सैनिकों के पास भारतीय धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म हों।”
आईएनएस अरिघात की खुबियां
अरिघात शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। संस्कृत में इसका अर्थ है, दुश्मनों का संहार करने वाला है। भारत की इस दूसरी परमाणु पनडुब्बी को विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में बनाया गया है। यह पनडुब्बी जल्द ही मौजूदा आईएनएस अरिहंत का पूरक बनकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लंबी दूरी की गश्त लगाने के लिए तैयार हो जाएगी।
अरिहंत पनडुब्बी समुद्र से 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) मिसाइल से लैस है। इतना ही नहीं भारतीय नौसेना कि यह आधुनिकतम पनडुब्बी चार हजार किलोमीटर तक मार करने वाली के-4 मिसाइल से भी लैस कर सकती है। इस परमाणु पनडुब्बी का वजन करीब छह हजार टन है।
भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए बनाई गई पनडुब्बी अरिघात की लंबाई करीब 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है। यह भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी तो जरूर है लेकिन अरिघात अपने ही क्लास की अरिहंत से कई मामलों में काफी अधिक एडवांस है।
कैसे बढ़ाएगी ये पनडुब्बी देश की ताकत
ये पनडुब्बियां रूस की सहायता से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित 83 मेगावाट के परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित हैं। आईएनएस अरिघात पानी के अंदर 24 नॉटिकल मील प्रतिघंटा की स्पीड से चलती है।
आईएनएस अरिघात जैसे एसएसबीएन पनडुब्बी देश की परमाणु निरोध के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं खासकर भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए जिसे लेकर भारत काफी चिंतित रहता है। यह पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी में रह सकती है।
इन्हें इस तरीके से बनाया गया है कि ये महीनों तक पानी में रह सके। ऐसे में लंबे समय तक पानी के अंदर छुपे रहने की अपनी क्षमता के कारण, ये पनडुब्बियां अचानक हुए हमले से पहले ही बच सकती हैं और जवाबी हमले भी कर सकती हैं। इससे भारत की रक्षा रणनीति मजबूत हो सकती है।
इस तरह की पनडुब्बियां पारंपरिक पनडुब्बियों से काफी अलग है जिसे अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सतह से ऊपर आना पड़ता है।
भारत के पास हैं इतनी पनडुब्बियां
भारत को आज जहां अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी मिली है वहीं भारतीय सेना की तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन का निर्माण भी जारी है। इसके निर्माण के बाद भारत के जंगी बेड़े में 16 डीजल (एसएसके) कन्वेंशनल सबमरीन हो जाएगी और तीन परमाणु पनडुब्बी (एसएसबीएन) भी भारत के पास होगीं।
इन पनडुब्बिायां का निर्माण जारी है
गौरतलब है कि इससे पहले भारत के पास एसएसएन यानी न्यूक्लियर पावर पनडुब्बी को दस साल की लीज खत्म होने के बाद वर्ष 2022 में वापस रूस भेज दिया गया था।
वर्ष 2004 में भारत ने चार एसएसबीएन (शिप, सबर्मसिबल, बैलिस्टिक, न्यूक्लियर) पनडुब्बी बनाने के लिए एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट की एक चौथी पनडुब्बी (कोड नेम एस-4) भी निर्माणाधीन है।
इन देशों के पास भी है एसएसबीएन
अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास बड़े और अधिक उन्नत वाले एसएसबीएन मौजूद हैं। चीन के पास 10 हजार किलोमीटर रेंज की मिसाइलों के साथ छह जिन-क्लास एसएसबीएन हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका के पास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का सबसे बड़ा बेड़ा है। अमेरिका के पास 14 ओहियो क्लास एसएसबीएन हैं। फ्रांस और यूके के पास भी चार चार परमाणु-संचालित पनडुब्बियां हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ