नई दिल्ली: कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि उसका कोई सांसद (लोक सभा और राज्य सभा) हरियाणा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। हरियाणा में एक अक्टूबर को विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि किसी सांसद को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया जायेगा और उन्हें प्रचार पर फोकस करना चाहिए। अजय माकन की अध्यक्षता में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद ये बातें सामने आई। इस बैठक में हरियाणा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार इस फैसले के पीछे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गुट का अहम रोल है।
कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के लिए दरवाजे बंद?
दीपक बाबरिया की टिप्पणी कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के लिए निराशा लेकर आ सकती है। सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा और राज्य सभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला पूर्व में हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की गहरी इच्छा जता चुके हैं। हालांकि, बाबरिया ने कहा कि पार्टी चाहती है कि सांसद हरियाणा में चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित करें न कि राज्य में चुनाव लड़ने पर।
बाबरिया ने हरियाणा चुनाव लड़ने के लिए किसी भी सांसद की ओर से आधिकारिक तौर पर इच्छा व्यक्त किए जाने से भी इनकार किया।
उन्होंने कहा, ‘किसी भी सांसद ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं दिखाई है। चुनाव लड़ने के लिए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष और आलाकमान से अनुमति लेनी होगी और जो व्यापक विचार उभर कर आ रहा है वह ये है कि किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।’
हरियाणा में कांग्रेस के भीतर ‘युद्ध’
इस साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा की 10 में से पांच सीटें बीजेपी से छीन ली थी। ऐसे में कई राजनीतिक जानकार कयास लगा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। इस बार कांग्रेस के चुने गए सांसदों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा के बेटे दीपेंद्र हुडा भी शामिल हैं। दीपेंद्र राज्यसभा सदस्य थे और कांग्रेस की राज्य इकाई के भीतर कई लोग उन्हें पार्टी के सत्ता में आने पर सीनियर हुड्डा के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देख रहे थे।
हालांकि, भूपिंदर सिंह हुड्डा ने हाल ही में खुद स्पष्ट किया था कि वह न तो थके हैं और न ही रिटायर हुए हैं। उनसे जब पूछा गया था कि क्या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद वह मुख्यमंत्री होंगे तो उन्होंने गेंद पार्टी आलाकमान के पाले में डाल दी थी।
दूसरी ओर, हुड्डा की धुर विरोधी मानी जाने वाली शैलजा पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुकी हैं। जाहिर है अगर पार्टी जीतती है तो वे मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा मजबूत कर सकती थीं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार वह कहती रही हैं कि वह राज्य में काम करना चाहेंगी क्योंकि यह एक नेता को ‘उन लोगों की सेवा करने और उनके मुद्दों को हल करने का अवसर देता है जिन्होंने आपको चुना है।’
पांच बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्य सभा सदस्य रहीं शैलजा ने हाल में कहा था, ‘लोकसभा चुनाव से पहले भी मैंने कहा था कि मेरे पास विभिन्न मंचों पर पार्टी के लिए काम करने का अनुभव है और मुझे लगता है कि मुझे हरियाणा विधानसभा में काम करने की ज़रूरत है। मैंने पार्टी आलाकमान के सामने अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। इसे स्वीकार करना या अस्वीकार करना उन पर निर्भर है। मुझे जो भी काम सौंपा जाएगा, मैं उसे निभाऊंगी।’
भूपिंदर सिंह हुड्डा की दावेदारी हो गई मजबूत?
सांसदों को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने देने के कांग्रेस के फैसले के बाद आगे की तस्वीर क्या होगी, इसे लेकर पार्टी के भीतर चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। न्यूज-18 ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि हुड्डा गुट के नेताओं का स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में ये बात रखी थी कि सांसदों को विधानसभा टिकट नहीं मिलना चाहिए। इसके पीछे की वजह हुड्डा गुट का शैलजा और सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव लड़ने के मनसूबे पर पानी फेरना था।
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हुड्डा गुट का मानना था कि शैलजा और रणदीप अगर चुनाव लड़ते हैं तो सरकार बनने की सूरत में वे हुड्डा को कड़ी टक्कर दे सकते थे। इसलिए लड़ाई शुरू होने से पहले ही मसले को खत्म करने की कोशिश हुई। कांग्रेस को भी भविष्य के विवाद से बचने के लिए यही बेहतर लगा।
एक और अहम वजह ये भी है कि राज्यसभा में कांग्रेस के 27 सांसद हैं। ऐसे में 25 से कम होने पर मल्लिकार्जुन खड़गे से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिनने का खतरा है। इसलिए भी कांग्रेस में मत है कि रणदीप सुरजेवाला जैसे राज्यसभा के सांसदों को चुनाव नहीं लड़वाना चाहिए। सुरजेवाला के बेटे को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जा सकता है।
कांग्रेस पर भाजपा साध रही निशाना
कांग्रेस के भीतर चल रही इस पूरी कवायद और गुटबाजी के भाजपा को हमला करने का मौका मिल गया है। सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस को शैलजा को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित करने की चुनौती दी है।
हरियाणा भाजपा ने एक्स पर लिखा, ‘भाजपा पहले ही पिछड़े वर्ग से एक मुख्यमंत्री (नायब सिंह सैनी) को नामित कर चुकी है। राहुल गांधी एससी समुदाय का पुरजोर समर्थन करने का दावा करते हैं। उन्हें (कांग्रेस) शैलजा जी को हरियाणा से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए, ताकि सभी जान सके कि वे (एससी) समुदाय के कितने शुभचिंतक हैं।’