नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक में टेबल टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली 24 साल की अर्चना कामथ ने खेल को अलविदा कह दिया है। इतनी कम उम्र में अर्चना कामथ का टेबल टेनिस को छोड़ने का फैसला सभी को चौंका रहा है। कामथ का प्रदर्शन पेरिस ओलंपिक में अच्छा रहा था और भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम को क्वार्टरफाइनल में पहुंचाने में उनकी भूमिका भी बेहद अहम थी। ओलंपिक के इतिहास में भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम पहली बार क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी।
अर्चना कामथ ने क्यों छोड़ा टेबल टेनिस?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अर्चना ने अपने कोच अंशुल गर्ग से कहा कि वह अब टेबल टेनिस में अपना कोई भविष्य नहीं देखती है। इसके बजाय उन्होंने अमेरिका में उच्च शिक्षा हासिल करने की इच्छा व्यक्त की है। अर्चना ने कहा कि एक ऐसे खेल में जहां वित्तीय पुरस्कार और ओलंपिक पदक जीतने की संभावना कम है, वहां खुद को जारी रखना मुश्किल है।
रिपोर्ट के अनुसार कोच गर्ग ने बताया कि अर्चना ने यही पूछा कि क्या 2028 में लॉस एंजेलिस में टेबल टेनिस में किसी पदक की उम्मीद है। गर्ग के लिए इसका जवाब देना मुश्किल था। टेबल टेनिस पर लंबे समय से चीन का दबदबा रहा है। 2008 में इसके ओलंपिक में शामिल होने के बाद से ही चीनी पुरुष और महिला खिलाड़ी इसमें स्वर्ण पदक जीतते आ रहे हैं। एकल प्रतिस्पर्धाओं में भी चीनी खिलाड़ियों का ही दबदबा रहा है। चीन के अलावा केवल जापान, कोरिया या चीनी ताइपे के खिलाड़ी इसमें मुकाबला करने में कामयाब रहे हैं। भारत इस मामले में काफी पीछे है।
गर्ग ने कहा, ‘मैंने उससे कहा कि यह कठिन है। इसमें बहुत मेहनत लगेगी। वह रैंकिंग में टॉप- 100 से बाहर है लेकिन पिछले कुछ महीनों में उसमें बहुत सुधार हुआ है। लेकिन मुझे लगता है कि उसने पहले ही जाने का मन बना लिया था। और एक बार जब वह अपना मन बना लेती है, तो उसे बदलना मुश्किल होता है।’
आगे पढ़ने की ललक भी टेबल टेनिस छोड़ने की वजह
टेबल टेनिस छोड़ने की मीडिया में आई खबरों के बीच अर्चना कामथ का एक बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि वे केवल पढ़ाई के लिए टेबल टेनिस छोड़ रही हैं। अमेरिका के मिशिगन में पढ़ाई कर रहीं कामथ ने कहा, ‘अगर मैंने टेबल टेनिस से संन्यास ले लिया है, तो यह केवल और केवल शिक्षा के प्रति मेरे जुनून के कारण है। वित्तीय सहित हर तरह का समर्थन मिलने के बाद मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि यह फैसला किसी भी तरह से वित्तीय कारणों से नहीं लिया गया है।’
वहीं अर्चना के पिता गिरिश कामथ ने कहा, ‘अर्चना हमेशा पढ़ाई में रूची लेती रही हैं और अपने टीटी करियर के दौरान उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। हाल ही में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, रणनीतियों और प्रतिभूतियों में मास्टर डिग्री के लिए जरूरी आवश्यकताओं को पूरा किया है। 15 साल से अधिक समय तक इतने समर्पण और जुनून के साथ टेबल टेनिस खेलने के बाद, उन्हें लगा कि यह उनके लिए अपने दूसरे पैशन यानी पढ़ाई को आगे बढ़ाने का समय है।’
ओलंपिक तक अर्चना का सफर
अर्चना उस तीन सदस्यीय भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम का हिस्सा थीं जिसने पेरिस ओलंपिक में टीम स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा था। क्वार्टर फाइनल में जर्मनी के खिलाफ भारत की हार में अर्चना एकमात्र जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी थीं। उन्होंने इस मैच में अपने से रैंकिंग में कहीं ज्यादा आगे जर्मनी की जिओना शान को हराया था।
हालांकि, जब अर्चना को ओलंपिक की महिला टीम के लिए चुना गया तो कई सवाल भी उठे थे। अर्चना को अहिका मुखर्जी के ऊपर तरजीह दी गई थी जिन्होंने इसी साल की शुरुआत में विश्व नंबर एक सुन यिंगशा को मात दी थी और जबर्दस्त फॉर्म में नजर आ रही थीं। अर्चना हालांकि अपने ऊपर उठ रहे सवालों को ओलंपिक के प्रदर्शन से बंद करने में कामयाब रहीं थी।