वॉशिंगटन: फिलिस्तिनी आंतकी संगठन हमास के साथ गाजा में जारी युद्ध के बीच सऊदी अरब इजराइल के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहा है। इन रिश्तों को सुधारने के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है, उन्होंने खुद को लेकर ऐसा दावा किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंस सलमान ने यह कहा है कि इजराइल के साथ शांति समझौते को और आगे बढ़ाना उनके लिए सही साबित नहीं हो सकता है।
प्रिंस सलमान ने यह आशंका जताई है कि फिलिस्तीनियों के लिए रियायतें हासिल किए बिना इजरायल के साथ संबंध अच्छे करने पर उनकी हत्या भी हो सकती है। उन्होंने अपनी बातचीत में मिस्र के दिवंगत नेता अनवर सादात का भी जिक्र किया है। प्रिंस सलमान ने कहा है कि उन्हें शक है कि सादात की तरह उनकी भी हत्या हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, क्राउन प्रिंस द्वारा यह दावा अमेरिकी सांसदों के साथ बातचीत के दौरान की गई है। मामले से जुड़े जानकारों ने इस बातचीत को लेकर कई और दावें भी किए हैं।
प्रिंस सलमान ने क्या दावा किया है
अमेरिकी वेबसाइट की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इसे लेकर क्राउन प्रिंस ने अमेरिकी सांसदों से अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि इजराइल के साथ शांति समझौते पर बातचीत जारी रखने से उनकी जान को खतरा है।
बातचीत में प्रिंस सलमान ने यह भी कहा है कि अगर वे इजराइल को समर्थन करते हैं तो इससे उनके समर्थक भी उनसे नाराज हो सकते हैं। उनका कहना है कि सऊदी के लोग फिलिस्तीन और उसके मुद्दों को लेकर काफी गंभीर हैं, ऐसे में उन्हें सऊदी लोगों का भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
सऊदी के इजराइल को समर्थन करने पर क्या होगा
प्रिंस सलमान ने यह भी कहा है कि फिलिस्तीन के मुद्दे को सऊदी अरब और व्यापक मध्य पूर्व के लोग काफी महत्व देते हैं। अगर वे फिलिस्तीन के मुद्दों पर इजराइल का साथ देंगे तो इससे इस्लाम के पवित्र स्थल को संभालने वाले नेता के रूप में भी उनकी भूमिका पर भी असर पड़ सकता है और इस पर खतरा भी आ सकता है।
बातचीत मे उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि जिस तरीके से गाजा में हमास और इजराइल के बीच युद्ध जारी है उससे कई अरब देश पहले से ही मुस्लिम ताकतवर देशों से नाराज हैं। ऐसे में उनके इजराइल को समर्थन करने पर उन्हें उनका विरोध भी देखने को मिल सकता है।
अनवर सादात के साथ क्या हुआ था
अमेरिकी सांसदों से बातचीत में प्रिंस सलमान ने यह भी कहा है कि कहीं उनकी भी हालत मिस्र के नेता अनवर सादात की तरह न हो जाए। दरअसल, बहुत पहले से मिस्र और इजराइल के रिश्ते अच्छे नहीं थे।
रिश्तों में सुधार के लिए साल 1981 में दोनों देशों के बीच शांति समझौते हुए थे। इस समझौते में शामिल मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की बाद में आतंवादियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
हालांकि राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद भी दोनों देशों के बीच यह समझौता नहीं टूटा था। मिस्र और इजराइल के रिश्ते प्रभावित नहीं हुए थे और ये अभी भी कायम हैं।
बातचीत में उन्होंने सवाल उठाते हुए यह भी कहा है कि इजराइल के साथ समझौते के बाद उस समय राष्ट्रपति अनवर सादात की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए थे।
डील में सऊदी ने क्या मांग की है
अमेरिका, इजराइल और सऊदी अरब के बीच क्या डील हो रही, यह गोपनीय है। लेकिन यह कहा जा रहा है कि इस डील में अमेरिका सऊदी अरब से कई वादें कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस डील के जरिए अमेरिका से सऊदी एक संधि के माध्यम से सुरक्षा आश्वासन की मांग कर सकता है।
यही नहीं नागरिक परमाणु कार्यक्रम में भी सऊदी अमेरिका के समर्थन की मांग कर सकता है। इन सब के आलावा सऊदी टेक्नॉलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी अपने यहां निवेश पर अमेरिका को राजी करा सकता है।
सऊदी पर से हथियारों की ब्रिकी के बैन हटे
साल 2021 में अमेरिका ने सऊदी अरब को खतरनाक हथियारों को बेचने से मना कर दिया था। उसने ऐसा मानवाधिकार संबंधी चिंताओं के कारण किया था। ऐसे में जब यह डील शुरू हुई तो अमेरिका ने हथियारों की बिक्री फिर से शुरू कर दी है।
चीन के साथ रिश्ते कम कर सकता है सऊदी
कुछ अन्य रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस डील के चलते सऊदी अरब चीन के साथ अपने रिश्तों को सीमित कर सकता है। इसके बदले वह इजराइल से अपना संबंध गहरा कर सकता है। हालांकि सऊदी के लिए यह इतना आसान नहीं होगा और उसे अरब देशों की आलोचना भी सहन करना पड़ सकता है।