वॉशिंगटन: दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी गूगल पर एक्शन लेने की तैयारी हो रही है। पिछले हफ्ते गूगल पर इंटरनेट सर्च में एकाधिकार बनाए रखने को लेकर उसे अमेरिका के एंटीट्रस्ट कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था।
हालांकि अभी गगूल पर केवल दोष ही तय हुए हैं और कोर्ट के तरफ से कोई आदेश नहीं दिया गया है। कोर्ट द्वारा दोषी ठहराने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि गूगल पर कैसे और किस हिसाब से एक्शन लिया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग अब इन उल्लंघनों को संबोधित करने के लिए संभावित समाधानों पर चर्चा कर रहा है। ऐसे में खबर है कि गूगल के विभानजन को लेकर चर्चा की जा रही है। यही नहीं कुछ और विकल्पों को लेकर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि इसे लेकर चर्चा अभी शुरुआती चरण में है।
बता दें कि केवल गूगल ही नहीं बल्कि एपल, अमेजन और फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा पर भी पूर्व में अमेरिका के एंटीट्रस्ट कानूनों के उल्लंघन के आरोप लग चुके हैं।
क्या लिया जा सकता है एक्शन
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया है कि मामले में गूगल को दोषी ठहराने के बाद उसे तोड़ने या फिर ऐसे समझे कि उसके कारोबार को अलग करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें गूगल के प्रोडक्ट क्रोम ब्राउजर या फिर एंड्राइड स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम को गूगल को अलग किया जा सकता है।
यही नहीं अन्य विकल्पों में भी यह भी विचार किया जा रहा है कि कोर्ट के आदेश में गूगल को उसके प्रतिस्पर्धियों से उसका डेटा शेयर करने को भी कहा जा सकता है। केवल यही नहीं बल्कि विचार यह भी है कि गूगल को आईफोन और सैमसंग जैसे मोबाइल डिवाइसों में डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बनने पर भी रोक लगाया जा सकता है।
खबर यह भी है कि सरकार गूगल की ताकत को कम करने और उसे सीमित करने के लिए इस मुद्दे पर अन्य कंपनियां और एक्सपर्ट से भी चर्चा कर रही है। मामले में गूगल को दोषी ठहराने वाले न्यायाधीश अमित पी. मेहता ने न्याय विभाग और गूगल से एक प्रक्रिया को प्रस्तावित करने को कहा है।
जज मेहता ने इसके समाधान के लिए चार सितंबर तक का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।
आदेश से गूगल पर क्या असर होगा
ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन के बाजार में गूगल के टक्कर में कोई नहीं है। कंपनी ने पिछले साल 175 बिलियन डॉलर (14,525 अरब रुपए) का राजस्व कमाया था। अगर कोर्ट द्वारा कठोर आदेश दिया जाता है तो इससे गूगल के काम करने के तरीके पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा।
इससे जिस तरीके से वह बाजार में एकाधिकार बनाए रखता है, इस पर भी भारी असर पड़ेगा।
इस मामले में ठहराया गया है गूगल दोषी करार
दरअसल, ऑनलाइन सर्च बाजार पर लगभग 90 फीसदी कंट्रोल करने के आरोप में साल 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था। मामले में अब जाकर कोर्ट का फैसला आया है।
फैसला सुनाते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश अमित मेहता ने कहा है कि स्मार्टफोन और ब्राउजर पर डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए गूगल ने अरबों डॉलर का भुगतान किया है जिससे बाजार की प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई है।
गूगल ने अपनी प्रतिस्पर्धा को खत्म करने और ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन में एकाधिकार बनाए रखने के लिए गलत तरीके का इस्तेमाल किया है। कोर्ट ने इस आरोप में गूगल को दोषी पाया है।
माइक्रोसॉफ्ट के साथ भी हो चुका है ऐसा
साल 2000 में माइक्रोसॉफ्ट के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था जिसे भी एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन का दोषी पाया गया था। ऐसे में कोर्ट के फैसले के बाद माइक्रोसॉफ्ट की ग्रोथ प्रभावित हुई थी जिससे उस समय गूगल जैसी कंपनियों को आगे निकलने का अवसर मिला था।
जो पहले माइक्रोसॉफ्ट के साथ हुआ था अब गूगल के साथ होता दिख रहा है।
इससे पहले सन 1984 में ऐसा ही कुछ अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी एटी एंड टी के साथ भी हुआ था। इस फैसले के बाद एटी एंड टी का विभाजन हुआ था जिसके अमेरिका में कई छोटी और स्वतंत्र क्षेत्रीय फोन कंपनियां बनी थी।
डकडकगो ने क्या कहा है
गूगल के कुछ प्रतिस्पर्धियों में से एक डकडकगो ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। पिछले हफ्ते डकडकगो ने दावा किया है कि गूगल के इंटरनेट सर्च में एकाधिकार बनाए रखने के कारण उसे काफी नुकसान हुआ है।
डकडकगो ने सुझाव दिया है कि इंटरनेट सर्च में गूगल के एकाधिकार को रोकने को लिए उसके उस समझौते पर बैन लगाना चाहिए जिससे वह दूसरे डिवाइसों पर डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर सेट होता है।
डकडकगो ने यह भी कहा है कि गूगल को उसके प्रतिस्पर्धियों को उसके सर्च और एड्स के डेटा भी शेयर करने के लिए मजबूर करना चाहिए। यही नहीं डकडकगो ने यह भी कहा है कि यूजर को ऐसा स्क्रीन प्रदान करना चाहिए जिसमें वह चयन कर सके कि उन्हें गूगल का सर्च इंजन चलाना है या फिर किसी अन्य कंपनी के सर्च इंजन को सर्फ करना है।
गूगल के एक और मामले में सितंबर में होगी सुनवाई
गूगल विज्ञापन से जुड़े एक और अन्य मामले में सिंतबर में सुनवाई होने वाली है। बता दें कि इससे पहले भी गूगल पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं जिसमें उसे यूरोप में भारी जुर्माना भी देना पड़ा था।