भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य भर कॉलेजों को 88 पुस्तकों की सूची भेजकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश जारी किया है। राज्य सरकार ने इस कदम को भारतीय पारंपरिक ज्ञान को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रयास बताया है। सरकार की ओर से जारी 88 पुस्तकों की इस लिस्ट में कई ऐसी हैं, जिन्हें आरएसएस से जुड़े रहे नेताओं ने लिखा है।
88 किताबों पर राजनीतिक विवाद
विपक्ष ने सरकार के इस ताजा कदम को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर छात्रों में विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाली विचारधारा थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर भाजपा ने कहा है कि भाजपा ने कहा कि किताबों में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है और वे छात्रो कों ‘राष्ट्र निर्माण और देशभक्ति’ की विचारधारा सिखाएंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने राज्य में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इन किताबों का छात्रों के ज्ञान और समग्र व्यक्तित्व पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा के भगवाकरण में क्या गलत है? कम से कम हम उस राष्ट्रविरोधी विचारधारा को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं जिसे वामपंथी विचारकों ने कभी हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों पर थोपा था।’
इन RSS नेताओं के किताब हैं शामिल
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्यों को लिस्ट में दी गई 88 किताबों को खरीदने के लिए पत्र लिखा है। लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं की लिखी गई रचनाएं शामिल हैं। ये सभी आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े रहे हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से कहा है कि वे बिना देरी इन किताबों को खरीदें। यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो अकादमिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने की वकालत करता है। विभाग के पत्र में यह भी सिफारिश की गई है कि प्रत्येक कॉलेज में एक इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन सेल का गठन किया जाए, जो विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में इन किताबों को शामिल करने में मदद करेगा।
धीरेंद्र शुक्ला ने कहा, ‘हम लगातार नई किताबें शामिल करने के निर्देश जारी कर रहे हैं, जो पीएम एक्सीलेंस कॉलेजों समेत प्रदेश के सभी कॉलेजों में पढ़ाई जाएंगी। अब तक, हमने लगभग 400 पुस्तकों की अनुशंसा की है। यह कहना अनुचित है कि किताबें केवल आरएसएस नेताओं से जुड़ी हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे कई प्रकाशक हैं जो अपनी सूची भेजते हैं और हमने सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें चुनीं जो भारतीय विचारधारा और परंपराओं को फैलाने में मदद करेंगी। इन पुस्तकों को नई शिक्षा नीति के बाद शामिल किया गया।’
दीनानाथ बत्रा की 14 किताबें लिस्ट में शामिल
सामने आई जानकारी के अनुसार जिन 88 पुस्तकों की सूची कॉलेजों को भेजी गई है, उसमें कम से कम 14 किताबें दीनानाथ बत्रा द्वारा लिखित हैं। दीनानाथ बत्रा विद्या भारती के पूर्व महासचिव और आरएसएस के शैक्षिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शख्स रहे हैं।
बत्रा इससे पहले उस समय भी चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2017 में क्रांतिकारी पंजाबी कवि अवतार पाश की कविता ‘सबसे खतरनाक’ को कक्षा 11 की हिंदी की पाठ्यपुस्तक से हटाने का प्रस्ताव एनसीईआरटी से किया था।
इससे पहले इसी साल जून में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के शैक्षिक पाठ्यक्रम में भगवान राम और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को शामिल करने की योजना की घोषणा की थी। पिछली भाजपा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने के प्रबल समर्थक रहे हैं।