पीके यानि की प्रशांत किशोर। प्रशांत किशोर ने बिहार में जन सुराज नाम से पार्टी की घोषणा कर दी है और उनका दावा है कि वो बिहार को लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार दोनों से मुक्त करेंगे। एक नई राजनीति की शुरुआत करेंगे। इसमें लोकतंत्र होगा। वंशवाद और भ्रष्टाचार नहीं होगा। प्रदेश और प्रदेश की जनता का विकास ही एकमात्र लक्ष्य होगा। प्रशांत किशोर की इस एंट्री से सबसे ज्यादा बेचैनी लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में है।
इसलिए आरजेडी शुरुआत से ही पीके और जन सुराज को लेकर आक्रामक है। लेकिन थोड़ी बेचैनी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी में भी है। बोले भारत ने कुछ दिन पहले इस पर एक वीडियो भी बनाया था। जिसके बाद कुछ लोगों ने हमने प्रशांत किशोर के सियासी भविष्य के बारे में सवाल किया? कुछ लोग ये जानना चाहते हैं कि प्रशांत किशोर का अंजाम कन्हैया कुमार की तरह तो नहीं हो जाएगा?
सवाल ये भी है कि क्या बिहार के बहुजन नीतीश कुमार को छोड़ कर, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को छोड़ कर प्रशांत किशोर को स्वीकार करेंगे? प्रशांत किशोर सवर्ण हैं, अगड़ी जाति से हैं, ब्राह्मण हैं, इसलिए यहां सवाल ये भी है कि क्या सवर्ण बीजेपी को छोड़ कर प्रशांत किशोर के साथ जाएगा? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रशांत किशोर और जन सुराज को लेकर मुसलमानों का रुख क्या रहने वाला है?