नई दिल्लीः आशा किरण शेल्टर होम विवाद में पानी की गुणवत्ता और सीवर पाइपलाइनों की स्थिति की जांच की जाएगी। यह आदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली जल बोर्ड को दिया। शेल्टर होम में 20 दिनों मे 14 दिव्यांग बच्चों की मौत हो गई है जो राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है।
सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इतने कम समय में इतनी सारी मौतें इत्तेफाक नहीं हो सकतीं। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि बहुत कम समय में बहुत ज्यादा मौतें हो गई हैं। 14 मौतें हुई हैं। यह संयोग नहीं हो सकता। अदालत ने अधिकारियों को शेल्टर होम को खाली कराने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि सरसरी तौर पर देखने पर पता चलता है कि सभी मौतें टीबी से पीड़ित होने के कारण हुई थीं। दिल्ली जल बोर्ड तुरंत पानी की गुणवत्ता की जांच करे। साथ ही पानी और सीवर पाइपलाइनों की स्थिति का परीक्षण कर रिपोर्ट दायर करे।
पीठ ने सचिव सामाजिक कल्याण, जीएनसीटीडी को भी मंगलवार आशा किरण कॉम्प्लेक्स का दौरा करने और इस अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यदि कॉम्प्लेक्स में बहुत अधिक लोग रहते हैं तो कॉम्प्लेक्स को खाली कर दिया जाए और रहने वालों को किसी अन्य उचित स्थान पर ले जाया जाए।
रिपोर्टों के अनुसार, फरवरी से अब तक आश्रय गृह में 25 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें से 14 की मौत सिर्फ जुलाई में हुई थी।
इस महीने की शुरुआत में, आप विधायक कुलदीप कुमार ने केंद्र में लापरवाही का आरोप लगाया था और दिल्ली के उपराज्यपाल से अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि शेल्टर होम एक ऐसे प्रशासक के अधीन क्यों था, जिसे 2016 में सीबीआई ने ‘रिश्वत’ लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था और पांच साल तक निलंबित रहा। मैं उपराज्यपाल वीके सक्सेना से पूछना चाहता हूं कि किस आधार पर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया गया।”
विधायक कुलदीप कुमार ने कहा था कि आशा किरण शेल्टर होम में भी डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी समेत अन्य तमाम पद खाली पड़े हैं। याचिका समिति आज एलजी साहब को पत्र लिखेगी कि इन पदों को तत्काल भरा जाए। इसके साथ ही हम एलजी साहब से पूछेंगे कि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर एक्शन क्यों नहीं लिया गया और उन्हें वह बचा क्यों रहे हैं?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी शुक्रवार को मानसिक विकलांग बच्चों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा रोहिणी में संचालित आश्रय गृह आशा किरण में एक महीने में 14 बच्चों की मौत के संबंध में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार से रिपोर्ट मांगी है।