तेहरान: हमास चीफ इस्माइल हानिया को मारने के लिए करीब दो महीने पहले ही एक बम को गुप्त रूप से ईरान के गेस्ट हाउस में लगा दिया गया था। बम को तस्करी के जरिए तेहरान लाया गया था और इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा रहा था। हानिया की हत्या बुधवार को तेहरान में हुई, जिसकी पुष्टि हमास ने की है। हानिया दरअसल ईरान के नए राष्ट्रपति मासोद पेजेस्कियान के पदभार संभालने के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए तेहरान पहुंचा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिका और मध्य-पूर्व के कई अधिकारियों के हवाले से दावा किया है कि हानिया को मारने की योजना काफी दिनों से बनाई जा रही थी। एक बम को इसी के लिए तेहरान के हाई सिक्योरिटी वाले हिस्से में मौजूद गेस्ट हाउस में करीब दो महीने पहले लाया गया था। तेहरान में यह गेस्ट हाउस जहां मौजूद है, उसकी सुरक्षा इस्लामिक रिव्योलूसनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) करती है। यह गेस्टहाउस एक बड़े परिसर के अंदर था जिसका उपयोग IRGC की गुप्त बैठकों और महत्वपूर्ण मेहमानों को ठहराने के लिए किया जाता था।
रिमोट कंट्रोल्ड बम से की गई हत्या
हानिया को बुधवार को मारा गया। शुरुआत में ऐसी खबरें आई थी कि मिसाइल हमले में हानिया को मारा गया। हालांकि अब जो बातें सामने आई हैं, उसके अनुसार जिस बम का इस्तेमाल किया गया उसे कहीं और से नियंत्रित किया जा रहा था। जैसे ही इस बात की पुष्टि हुई कि हानिया गेस्टहाउस में अपने कमरे में मौजूद है, हमले को अंजाम दे दिया गया। इस धमाके से पूरी इमारत हिल गई। दीवार का एक हिस्सा भी गिरा और खिड़कियां टूट गईं।
इस धमाके में हानिया और उसका एक बॉडीगार्ड मारा गया। खास बात ये भी है कि इजराइल ने इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक नहीं ली है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइली खुफिया अधिकारियों ने तत्काल पश्चिमी अधिकारियों के साथ गुप्त ऑपरेशन के बारे में विवरण साझा किया था। वहीं, शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एंटनी ब्लिंकन ने इस बात से इनकार किया है कि हानिया की हत्या की योजना के बारे में अमेरिका को पहले से जानकारी थी।
मिसाइल वाली थ्योरी पर उठ रहे थे सवाल
हानिया की मौत के बाद अनुमान लगाया गया था कि उसे मिसाइल हमले में मारा गया, लेकिन इस पर सवाल इसलिए उठ रहे थे कि आखिर इजराइल ने ईरानी राजधानी में एयर डिफेंस सिस्टम को कैसे चकमा दिया होगा। साथ ही हानिया और उसके बॉडीगार्ड की मौत के अलाना अन्य चीजों की क्षति भी बहुत कम थी। मिसाइल हमले में ऐसा नहीं होता और बड़ी बर्बादी होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हानिया को मारने के लिए इस्तेमाल किए गए बम की तस्करी के लिए ईरानी सुरक्षा में ही सेंध लगाया गया। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि बम दो महीने तक कैसे छिपा रह गया।
ऐसी भी अफवाहें थीं कि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने हनिया के कमरे की खिड़की से मिसाइल जैसी किसी वस्तु को टकराते हुए देखा था। ईरानी अधिकारियों ने लेकिन पुष्टि की है कि विस्फोट कमरे के अंदर ही हुआ था और बम पहले से रखा गया था।
महीनों की योजना…लंबा इंतजार
मध्य-पूर्व के अधिकारियों के अनुसार ऐसी योजना बनाने में महीनों लगे होंगे और घटना को अंजाम देने के लिए पूरे परिसर की निगरानी की गई होगी। योजना भी इतनी सटीक थी कि पास के कमरे, जहां फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद नेता जियाद अल-नखला ठहरे हुए थे, वहां कोई खास नुकसान नहीं हुआ।
इस घटना ने ईरानी अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है कि आखिर वे क्यों अभी तक यह पता नहीं लगा पाए कि बम कैसे और कब लगाए गए थे। घटना के बाद परिसर में मौजूद एक मेडिकल टीम ने हनिया को मृत घोषित किया और अंगरक्षक को भी नहीं बचाया जा सका।
मोसाद ने कही थी हमास नेता को मारने की बात
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद मुख्य रूप से देश के बाहर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए जानी जाती है। मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया ने 7 अक्टूबर के हमलों के बाद ही हमास नेताओं को मारने की बात सार्वजनिक तौर पर कही थी।
बार्निया ने कहा था कि फिलिस्तीनी नेताओं को निशाना बनाने में समय लगेगा जैसा कि म्यूनिख की घटना के बाद लगा था। बार्निया दरअसल म्यूनिख में 1972 के ओलंपिक में फिलिस्तीनी आतंकियों द्वारा 11 इजराइली एथलीटों की हत्या की घटना का जिक्र कर रहे थे। मोसाद ने उन हत्याओं का बदला लेने के लिए ‘ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड’ नाम से गुप्त ऑपरेशन चलाया था।