सौरभ भदौरिया, लखनऊ
योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्य की कानून व्यवस्था सुधारने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। योगी सरकार द्वारा अवैध अतिक्रमण मुक्त कराने के साथ ही उपद्रवियों और माफिया के कब्जे वाली सम्पत्तियों मुक्त कराने के लिए बुलडोजर का प्रयोग करने को मीडिया और सोशलमीडिया में ‘बुलडोजर मॉडल’ कहा जाने लगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ का कहा जाने लगा। लेकिन बहुत कम लोगों को याद है कि योगी राज में सूबे में व्यापक रूप से पहली बार बुलडोजर कहाँ चलाया गया था। योगी सरकार में पहली बार 20 जून 2020 को पूर्वी यूपी के गाजीपुर स्थित अंधऊ एअरपोर्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय गाजीपुर के फौजियों के लिए बने इस ऐतिहासिक हवाई पट्टी के 50 बीघे जमीन पर माफिया राजनेता मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाने वाले लोगों का कब्जा था।
अपराधियों और सरकारी जमीन पर काबिज भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मुख्यमंत्री के आदेश गाजीपुर पुलिस भी बाहुबली मुख्तार अंसारी के काले कारनामों की फेहरिश्त जुटा रही थी। इसी सिलसिले में गाजीपुर के तत्कालीन कप्तान डॉ ओपी सिंह लगातार मुख्तार गैंग से जुड़ी सूचनाएं और उसके कानूनी तिकड़म की जानकारी जुटा रहे थे।
गाजीपुर प्रशासन के सामने चुनौती थी कि मुख्तार गैंग के खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं था। ऐसे में एसपी डॉ ओपी सिंह ने लोगों का मनोबल बढाने की कवायद शुरू की। दूसरी अपराधियों के आर्थिक साम्राज्य को खत्म करने की थ्योरी पर काम करने का फैसला लिया। इसके बाद ऐतिहासिक अंधऊ हवाई पट्टी पर कब्जे की सूचना जिला अधिकारी को दिया और जिला प्रशासन ने जमीन की पैमाइश शुरू की। जिसके बाद प्रदेश में अपराधियों के आर्थिक साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने की थ्योरी मिसाल बन गई।
मुख्तार गैंग के अवैध हॉटमिक्स कांक्रीट प्लांट की मशीनरी सहित पक्के निर्माण के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई खूब चर्चित रही। और इसके ठीक तीसरे दिन मुख्तार के शूटर मेहरूद्दीन खान उर्फ नन्हें खां के कब्जे पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हुई। गाजीपुर के तत्कालीन एसपी डॉ ओपी सिंह को खबर मिली महेन्द गांव में अवैध तरीके से मछली निशकासन के लिए मंगई नदी पर नन्हें खां ने निजी खर्चे पर पुल बना दिया है। लेकिन सवाल वही कि इनके खिलाफ बोलने को कोई तैयार नहीं।जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस पुल की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। तत्कालीन एसपी डॉ ओपी सिंह की थ्योरी काम कर कर गई और पुलिस के पास जिले के सभी माफियाओं के खिलाफ सूचनाएं आने लगी। जिसके बाद तीसरी कार्रवाई एफसीआई गोदाम में हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला। यहां आने ट्रकों से और खाद्यान के हेराफेरी से होने वाले अवैध कमाई के नेटवर्क पर शिकंजा कसा।
इन तीन कार्रवाई के बाद मुख्तार गैंग सकते में आ गया। और प्रदेश भर में गाजीपुर पुलिस के एक्शन की खबरें फैल गई। हालांकि 20 जून को चले पहले बुलडोजर ठीक एक महीने बाद 20 जुलाई 2020 को कानपुर में बिकरू कांड के मास्टर माइंड विकास दुबे के घर पर चले बुलडोजर की कार्रवाई भी खूब चर्चा में रही। लेकिन गाजीपुर से शुरू हुई बुलडोजर नीति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बाबा बुलडोजर बना दिया। इसके बाद एक एक करके माफियाओं का आर्थिक साम्राज्य योगी आदित्यनाथ के सख्त फैसलों से बिखरने लगा। योगी आदित्यनाथ जनता के बीच बुलडोजर बाबा के नाम से चर्चित और स्वीकार्य हो गए।
इस बीच 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें बुलडोजर बाबा कहा तो चुनाव का समीकरण ही पलट गया। अयोध्या में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मंच से कहा, ‘जो जगहों का नाम बदलते थे, आज उनका ही नाम बदल गया है। हम बताते हैं, उनका नया नाम क्या रखा है, बाबा बुलडोजर। बस यहीं से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर ब्रांड हिट हो गया। अखिलेश के बाबा बुलडोजर वाले बयान को भाजपा ने हाथों हाथ लिया और बुलडोजर का प्रचार तेज कर दिया। अगले दिन योगी ने कहा, ‘बुलडोजर हाईवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। साथ ही माफिया से अवैध कब्जे को भी मुक्त करता है।
धीरे-धीरे बाबा का बुलडोजर ब्रांड बन गया और नारे लगने लगे ‘यूपी की मजबूरी है बुलडोजर बाबा जरूरी है’। लेकिन इस ब्रांड के पीछे गाजीपुर के एतिहासिक अंधऊ हवाई पट्टी पर बुलडोजर की कार्रवाई हमेशा नींव के पत्थर की तरह याद की जाएगी।