नई दिल्ली: इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के बीच एक नया खतरा उभर आया है। ये नया खतरा इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच सीधी जंग की आशंका को लेकर है। इजराइल के हिस्से वाले गोलान हाइट्स में कथित तौर पर हिज्बुल्लाह की ओर से किए गए एक घातक रॉकेट हमले ने उन चिंताओं को बढ़ा दिया है कि इजराइल और ईरान समर्थित लेबनानी ग्रुप हिजबुल्लाह सीधे एक-दूसरे के सामने आ सकते हैं।
दोनों ओर से यानी इजराइल और हिज्बुल्लाह की ओर से पूर्व में कहा जा चुका है कि वे एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध में नहीं फंसना चाहते हैं लेकिन साथ ही दोनों ने ये भी कहा है कि वे हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं।
इजराइल ने गोलान हाइट्स में एक फुटबॉल मैदान पर रॉकेट हमले में 12 बच्चों और किशोरों की हत्या का आरोप हिजबुल्लाह पर लगाया है और कहा है कि वह कड़ाई से इसका जवाब देगा। दूसरी ओर हिजबुल्लाह ने इस हमले की किसी भी जिम्मेदारी से इनकार किया है। हमास के 7 अक्टूबर के हमले के बाद से इजराइल या इजराइली कब्जे वाले क्षेत्र में यह सबसे घातक हमला था। कुल मिलाकर यही पृष्ठभूमि है, जिसकी वजह से इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच सीधी जंग का खतरा बढ़ गया है।
हिजबुल्लाह क्या है? इजराइल से क्यों है लड़ाई?
फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास द्वारा दक्षिणी इजराइल में हमला करने और गाजा युद्ध छिड़ने के बाद से ही हिजबुल्लाह सक्रिय है। हिज्बुल्लाह ने 8 अक्टूबर को इजराइल के साथ गोलीबारी शुरू कर दी थी। हमास के सहयोगी माने जाने वाले हिजबुल्लाह का कहना है कि उसके हमलों का उद्देश्य गाजा में जारी इजराइली बमबारी के खिलाफ फिलिस्तीनियों का समर्थन करना है।
गाजा में जंग युद्ध ने पूरे क्षेत्र में ईरान समर्थित चरमपंथियों का ध्यान खींचा है। इसमें से हिजबुल्लाह को व्यापक रूप से ईरान समर्थित नेटवर्क का सबसे शक्तिशाली सदस्य माना जाता है। हिजबुल्लाह ने बार-बार कहा है कि जब तक गाजा में युद्धविराम लागू नहीं हो जाता, वह इजराइल पर अपने हमले नहीं रोकेगा।
मौजूदा तनाव की कहानी भले ही गाजा से जुड़ी हुई है लेकिन इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच का संघर्ष नया नहीं है। पूर्व में इजराइल और हिजबुल्लाह कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। आखिरी बार दोनों के बीच सीधी जंग 2006 में हुई थी।
इजराइल लंबे समय से हिजबुल्लाह को अपनी सीमाओं पर सबसे बड़े खतरे के रूप में देखता रहा है। हिज्बुल्लाह की स्थापना 1982 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा इजराइली सेनाओं से लड़ने के लिए की गई थी, जिसने उस वर्ष लेबनान पर आक्रमण किया था। हिज्बुल्लाह के लड़ाके तब वर्षों तक गुरिल्ला युद्ध लड़ते रहे थे, जिसके कारण इजराइल को 2000 में दक्षिण लेबनान से पीछे हटना पड़ा था। इसके बाद से इन इलाकों में हिज्बुल्लाह की पकड़ है। हिजबुल्लाह इजराइल को बतौर राष्ट्र नहीं मानता है और कहता है कि फिलिस्तीनी भूमि पर इसे नाजायज तौर पर स्थापित किया गया है। कुल मिलाकर हिजबुल्लाह चाहता है कि इजराइल का अस्तित्व मिट जाए। हिज्बुल्लाह साथ ही अमेरिका का भी घोर विरोधी है। हिजबुल्लाह दुनिया की सबसे भारी हथियारों से लैस गैर-सरकारी सैन्य ताकतों में से भी एक माना जाता है।
इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई का असर
इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव का असर नजर आने लगा है। सीमा के दोनों ओर हजारों लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। इजराइल ने दक्षिणी लेबनान में उन क्षेत्रों पर हवाई हमला भी किया जहां हिजबुल्लाह मुख्य रूप से सक्रिय है। सीरियाई सीमा के पास बेका घाटी पर इजराइल ने हमला किया है।
Massive Hezbollah rocket salvo just targeted Safed, Israel.
Iron Dome active.
Power outages reported. pic.twitter.com/PO3WWSvgYQ
— Frontalforce 🇮🇳 (@FrontalForce) June 27, 2024
कुछ सूत्रों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में इजराइली हमलों में लेबनान में लगभग 350 हिजबुल्लाह लड़ाके और 100 से अधिक नागरिक मारे गए हैं। वहीं, इजरायली सेना ने कहा कि शनिवार के हमले के बाद अक्टूबर के बाद से हिज्बुल्लाह के हमलों में मारे गए नागरिकों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है। साथ ही उसके 17 सैनिक भी मारे गए हैं। हिजबुल्लाह ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि वह शनिवार के हमले के लिए जिम्मेदार था।
इजराइल और हिज्बुल्लाह की लड़ाई कितनी खतरनाक?
इजराइल और हिज्बुल्लाह की शत्रुता अगर चरम पर आती है तो बड़ी तबाही देखने को मिल सकती है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिसंबर में चेतावनी दी थी कि अगर हिजबुल्लाह ने चौतरफा युद्ध शुरू किया तो बेरूत को भी ‘गाजा’ में बदल दिया जाएगा।
हिजबुल्लाह ने पहले संकेत दिया था कि वह संघर्ष को बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहा है। साथ ही यह भी कहा है कि वह उस पर थोपे गए किसी भी युद्ध से लड़ने के लिए तैयार है। हिज्बुल्लाह ने चेतावनी दी कि उसने अब तक अपनी क्षमताओं का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही इस्तेमाल किया है।
जून में अल जजीरा के साथ एक साक्षात्कार में हिजबुल्लाह के डिप्टी लीडर शेख नईम कासिम ने कहा था कि संघर्ष को बढ़ाने के लिए इजराइल के किसी भी कदम का जवाब इजराइल में ‘तबाही, विनाश और विस्थापन’ से होगा।
दोनों के बीच पिछले युद्धों को देखें तो इसने भारी क्षति पहुंचाई है। साल 2006 में इजरायली हमलों ने बेरूत के हिजबुल्लाह-नियंत्रित दक्षिणी उपनगरों के बड़े क्षेत्रों को नष्ट कर दिया था। बेरूत हवाई अड्डे को नष्ट कर दिया गया था। साथ ही सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे भी बुरी तरह प्रभावित हुए थे। लेबनान में लगभग 10 लाख लोग अपना घर छोड़कर भाग गए थे। वहीं, इजराइल में प्रभावित क्षेत्रों 300,000 लोग हिज़्बुल्लाह के रॉकेटों से बचने के लिए अपने घरों से भाग गए थे। इसके अलावा लगभग 2,000 घर नष्ट हो गए थे।
हिजबुल्लाह के पास 2006 की तुलना में अब कहीं अधिक हथियार हैं। इसमें दूरी तर मार करने वाले रॉकेट भी शामिल हैं। उसका कहना है कि यह इजराइल के सभी हिस्सों पर हमला कर सकता है। वैसे, इजराइली सैनिकों ने अतीत में कई बार लेबनान पर हमला किया है। साल 1982 के हमले में इजराइली सैनिक बेरूत तक पहुंच गए थे, जिसका उद्देश्य लेबनान स्थित फिलिस्तीनी गुरिल्लाओं को कुचलना था।