लखनऊः यूपी में कांवड़ यात्रा के शुरू होने से पहले ही एक आदेश ने विवाद खड़ा कर दिया है। मुजफ्फरनगर प्रशासन ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों पर उनके मालिकों के नाम लिखने होंगे। प्रशासन के इस आदेश के बाद प्रदेश में इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया।
विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह आदेश विभाजन पैदा करेगा। विरोध करने वालों में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी भी थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने बयान से यूटर्न ले लिया। वहीं, मामले के तुल पकड़ने के बाद मुजफ्फरनगर प्रशासन ने भी आदेश वाला ट्वीट डिलीट कर दिया और नाम लिखने का फैसला दुकानदारों की मर्जी पर डाल दिया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदेश को पूरे प्रदेश में लागू किया
इस आदेश की शुरुआत मुजफ्फरनगर प्रशाशन ने की। लेकिन विपक्ष के विरोध के बीच मुख्यमंत्री ने इस आदेश को शुक्रवार पूरे प्रदेश में लागू करने का फैसला कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पूरे प्रदेश के कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों को अपनी दुकान पर नेम प्लेट लगानी ही होगी। खासकर खाने-पीने के दुकानों पर यह जरूरी है। इसके साथ ही हलाल प्रोडक्ट्स बेचने वाले व्यापारियों पर भी कार्रवाई की बात कही।
मुख्यमंत्री के इस आदेश को लेकर सियासत शुरू हो गई है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने योगी आदित्यनाथ के इस फैसले पर कहा कि भाजपा की सरकार पवित्र यात्रा को सांप्रदायिक रंग में रंगना चाहती है। रोहिणी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अयोध्या की सीट हारने की खीज व अपनी खिसकती जमीन की हताशा में भाजपा की यूपी सरकार ने यह फरमाना जारी किया है।
नेम प्लेट वाले आदेश को लेकर यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह पूरी तरीके से अव्यावहारिक है। यह समाज में भाईचारे के व्यवहार को खराब करने का काम है। इस आदेश को तत्काल निरस्त करना चाहिए।
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आदेश के पीछे का क्या है तर्क?
सहारनपुर डीआईजी अजय कुमार साहनी ने इसके पीछे की अहम वजह बताई है। उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि “कुछ लोगों ने इस बात की आपत्ति जाहिर की थी कि जब कांवड़िए आते हैं तो सामान की कीमतों को लेकर विवाद पैदा होता है। इसके साथ ही दुकान किसी और की और नाम किसी और व्यक्ति का लिखा होने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। इसको देखते हुए जितने होटल, ढाबे या फिर जितनी खानपान की दुकाने हैं, सब को यह आदेश जारी किया गया है।”
डीआईजी ने आगे कहा, “ यह आदेश पूरे प्रदेश में जितने भी कांवड़ मार्ग हैं उन सभी पर लागू होगा। कांवड़ मार्ग के सारे दुकानदार अपनी दुकान पर प्रोप्राइटर का नाम आवश्यक रूप से लिखेंगे। कांवड़ लेकर जा रहे लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।”
मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा था कि जिले में लगभग 240 किलोमीटर कांवड़ मार्ग है, इसमें जितने भी खान-पान के होटल ढाबे या ठेले, जहां से भी कांवड़िए अपनी खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि काम करने वाले या संचालकों के नाम वहां जरूर अंकित करें, ताकि किसी भी प्रकार का कोई कंफ्यूजन किसी को न रहे और कहीं भी ऐसी स्थिति ना बने की आरोप प्रत्यारोप लगे और बाद में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो।
आदेश का दिखने लगा असर
नेम प्लेट वाले आदेश का असर कई जगहों पर दिखना शुरू हो गया है। रिपोर्ट (IANS) की मानें तो मुजफ्फरनगर में यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले ठेले पर प्रशासन ने दुकानदारों के नाम टंगवा दिए हैं। लेकिन, अमरोहा में कई ऐसे ढाबे हैं जो हिंदुओं के नाम पर मुस्लिम समुदाय के लोग चला रहे हैं। हाईवे किनारे मुस्लिम समाज के लोग हिंदुओं के नाम पर ढाबा चला रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदुओं के नाम पर अपने ढाबे के नाम रखने के अलावा ढाबे में हिंदुओं के भगवान की मूर्तियां भी लगा रखी है। ढाबे के बाहर लगे बोर्डों पर ‘ओम’ भी लिखा हुआ है। हालांकि, इन ढाबों के मालिक मुसलमान हैं जो हिंदू बनकर ढाबा चला रहे हैं।
ये सभी ढाबे अमरोहा में एनएच-9 के किनारे स्थित है। हिंदुओं का ढाबा समझकर यहां खाना खाने के लिए बड़ी संख्या में यात्री हर रोज रुकते हैं। प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है। ढाबों के ऊपर ढाबा मालिकों के न तो नाम लिखे हैं और न ही उनके समुदाय से जुड़ा कोई शब्द।
डीजे को लेकर सख्ती
साथ ही कांवड यात्रा में इस्तेमाल होने वाले डीजे की हाइट भी प्रशासन ने तय कर दी है। मेरठ डीएम दीपक मीणा ने बताया कि कांवड़ियों के लिए जरूरी चीजों का इंतजाम कर लिया गया है, जिसमें पेयजल का खास ध्यान रखा गया है। कावड़ियों के लिए लगाए जाने वाले शिविर का भी सत्यापन किया जा रहा है। इसके अलावा ऊंची हाइट वाले डीजे को इस बार सड़कों पर नहीं उतरने दिया जाएगा।
पहले आलोचना फिर स्वागत!
बता दें गुरुवार जब मुजफ्फरनगर प्रशासन ने ये आदेश जारी किया तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसकी आलोचना की थी। उन्होने कहा था कि यह कदम अस्पृश्यता को बढ़ावा देगा। नकवी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “कुछ अति उत्साही अधिकारियों द्वारा जल्दबाजी में दिए गए आदेश अस्पृश्यता की बीमारी को जन्म दे सकते हैं… आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन अस्पृश्यता को संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।”
हालांकि, इस आदेश का कई भाजपा नेताओं ने समर्थन किया। इसके बाद नकवी ने कांवड़ यात्रा में भाग लेते हुए अपनी एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्हें कांवड़ यात्रा के प्रति सम्मान और आस्था के बारे में किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है।
अब नकवी ने योगी आदित्यनाथ के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि सरकार ने सांप्रदायिक भ्रम को दूर कर दिया है। सीमित प्रशासनिक दिशा-निर्देश से भ्रम हुआ था। जब कांवड़ यात्रा की भक्ति, सुरक्षा और सम्मान का सवाल है, इसपर किसी को आपत्ति नहीं है। ऐसे मुद्दों पर सांप्रदायिक भ्रम नहीं पैदा करना चाहिए। ये देश, किसी धर्म या मानव जाति के लिए अच्छा नहीं है।
सरकार के आदेश का मौलाना शहाबुद्दीन ने किया समर्थन
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि प्रशासन के इस आदेश में कुछ भी गलत नहीं है। शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों को सभी को समर्थन करन चाहिए और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।
मौलाना ने कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन का यह कदम बिल्कुल सही है। इस तरह के फैसले से किसी भी प्रकार का उपद्रव भी नहीं होगा और पहले से सब जानकारी होने के कारण कोई विवाद भी खड़ा नहीं होगा। सरकार के फैसले से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि इस प्रकार का आदेश मुजफ्फरनगर के अलावा अन्य जिलों में भी जारी करना चाहिए। यह केवल एक समुदाय विशेष के लिए नहीं, बल्कि ढाबा व ठेला लगाने वाले सभी समुदायों के लिए है। इसलिए इसे सांप्रदायिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। मौलाना ने प्रशासन से अपील किया कि अगर किसी की दुकान को हटाया जाता है, तो उसे संबंधित दुकान मालिक को रोजी-रोटी के लिए अन्य जगह उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि उसकी आजीविका चलती रहे।