गुवाहाटी: असम में हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 1935 के उस कानून को निरस्त करने का फैसला किया है, जिसमें कुछ विशिष्ट शर्तों के साथ मुस्लिम समाज में बाल विवाह मान्य था। राज्य सरकार की कैबिनेट ने गुरुवार को ‘मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून’ को निरस्त करने को मंजूरी दे दी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कैबिनेट की ओर से फरवरी में ही यह प्रस्ताव रखा गया था। बहरहाल, ‘असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियमों’ को निरस्त करने का विधेयक विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘आज हमने मुस्लिम विवाह अधिनियम को निरस्त किया और मुस्लिम विवाह पंजीकरण के लिए एक नया कानून लागू करेंगे। बाल विवाह 80% अल्पसंख्यक समुदाय में होता है, और 20% अन्य समुदायों में। लेकिन हमारे लिए यह समस्या धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक है। जल्द ही राज्य में बाल विवाह को खत्म करने का प्रयास किया जाएगा।’
आज हमने मुस्लिम विवाह अधिनियम को निरस्त किया और मुस्लिम विवाह पंजीकरण के लिए एक नया कानून लागू करेंगे।
बाल विवाह 80% अल्पसंख्यक समुदाय में होता है, और 20% अन्य समुदायों में। लेकिन हमारे लिए यह समस्या धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक है। जल्द ही राज्य में बाल विवाह को खत्म करने का… pic.twitter.com/lPWk0kYJXm
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 18, 2024
यूनिफॉर्म सिविल कोड की तैयारी!
इससे पहले फरवरी में कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा था कि ब्रिटिश काल के कानून को निरस्त करने का कदम उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के लिए जमीन तैयार करना भी है।
बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘विवाह और तलाक के पंजीकरण में समानता लाना’ है। असम ने पिछले साल बाल विवाह पर कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद राज्य भर में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हुईं थी।
साल 1935 के अधिनियम के तहत अगर दूल्हा या दूल्हन या दोनों नाबालिग हैं, तो विवाह के पंजीकरण के लिए आवेदन विवाह के पक्षकारों या उनके कानूनी अभिभावकों द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया जाना आवश्यक था।
सीएम सरमा पहले भी कुछ मौकों पर कहते रहे हैं 1935 अधिनियम को निरस्त करना एक आवश्यकता है क्योंकि इसमें कानूनी शर्त का उल्लंघन करने वाले प्रावधान थे। भारत में मौजूदा कानून के तहत विवाह को वैध माना जाने के लिए दुल्हन की उम्र कम से कम 18 वर्ष और दूल्हे की 21 वर्ष होनी चाहिए।
झारखंड में हो रहा जनसांख्यिकी बदलाव : हिमंता बिस्वा सरमा
इससे पहले इसी हफ्ते झारखंड के दौरे के दौरान असम के सीएम हिमंस बिस्व सरना ने हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में घुसपैठिए आ गए हैं। सरमा ने का था कि झारखंड में हो रही घुसपैठ के कारण कई हिस्सों में जनसांख्यिकी बदलाव हो रहा है। झारखंड की आदिवासी बेटियों के साथ बंगलादेशी घुसपैठियों की शादी करवाई जा रही है।
झारखंड में साल के आखिर में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी के तहत भाजपा के ‘विजय संकल्प सभा’ में हिस्सा लेने के लिए हिमंस बिस्व सरमा आए थे। उन्होंने झारखंड सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार बालू माफियाओं और कोयला की कालाबाजारी करने वालों की सरकार है। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन कोई आंदोलन करने में जेल नहीं गए थे, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए थे।